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गुलाम नबी की नाराजगी का भी तंवर पर असर नहीं, कांग्रेस में कलह से भाजपा की होगी बल्‍ले-बल्‍ले

हरियाणा कांग्रेस में विवाद कम होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। गुलाम नबी आजाद की आपत्ति व नाराजगी का भी अशोक तंवर पर असर नहीं हुआ और उन्‍होंने नई कमेटी की बैठक की।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 10:06 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jul 2019 08:45 AM (IST)
गुलाम नबी की नाराजगी का भी तंवर पर असर नहीं, कांग्रेस में कलह से भाजपा की होगी बल्‍ले-बल्‍ले
गुलाम नबी की नाराजगी का भी तंवर पर असर नहीं, कांग्रेस में कलह से भाजपा की होगी बल्‍ले-बल्‍ले

नई दिल्ली/चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा कांग्रेस की कलह थमने के बजाए बढ़ती ही जा रही है। नेताओं का विवाद अब इस स्‍तर तक पहुंच गया है कि हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद की नाराजगी अौर आपत्ति का भी असर नहीं हो रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष डॉ. अशोक तंवर ने गुलाम नबी द्वारा खारिज किए जाने के बावजूद खुद द्वारा गठित चुनाव योजना एवं प्रबंधन कमेटी की नई दिल्‍ली में सोमवार शाम बैठक की। हालांकि अब उन्‍होंने अब इसका नाम चुनाव योजना एवं प्रबंधन ग्रुप कर दिया है। कांग्रेस में इस कलह का सीधा फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है और इससे विधानसभा चुनाव में उसके मिशन 75 में मदद मिल सकती है।

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गुलाम नबी आजाद के खारिज करने के बाद भी तंवर ने की चुनाव योजना एवं प्रबंधन कमेटी की बैठक

बता दें कि प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर ने पिछले शुक्रवार को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की मंज़ूरी के बिना विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव योजना एवं प्रबंधन कमेटी गठित कर दी थी। उन्‍होंने इस कमेटी का अध्‍यक्ष कुछ दिन पहले कांग्रेस में शामिल हुए सुदेश अग्रवाल को बनाया। उन्‍होंने कमेटी की बैठक सोमवार को नई दिल्‍ली में करने की घोषणा की थी।

कमेटी में अाठ सदस्‍य बनाए गए और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कूलदीप बिश्‍नोई, पूर्व केद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, पूर्व मंत्री कैप्‍टन अजय सिंह यादव, पार्टी के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला व कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी को इस कमेटी में शामिल होने का न्‍यौता दिया गया।

 

डॉ. अशोक तंवर के साथ सुदेश अग्रवाल।

इसके बाद रविवार हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ग़ुलाम नबी आज़ाद ने इस कमेटी को खारिज कर दिया था। गुलाम नबी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अशोक तंवर को इस तरह की कमेटी का गठन करने का अधिकार नहीं है। तंवर ने घर में बैठक बिना किसी को जानकारी दिए कमेटी का गठन कर लिया। ऐसी कोई कमेटी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा ही बनाई जाती है।

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आज़ाद की तल्ख़ टिप्पणी के बाद कमेटी में शामिल आठ नेताओं में से छह ने किनारा कर लिया। आज़ाद की टिप्पणी के बाद माना जा रहा था कि कमेटी की बैठक नहीं होगी, लेकिन अशोक तंवर पर इसका कोई असर नहीं हुआ। तंवर के निर्देश पर कमेटी के चेयरमैन सुदेश अग्रवाल पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बैठक के लिए सोमवार नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब पहुंचे।

बैठक के बाद अग्रवाल ने बताया कि बैठक ठीक पांच बजे शुरू हुई मगर जब बैठक का कोरम पूरा नहीं हुआ तोआधे घंटे तक बैठक स्थगित रखी गई। बाद में बैठक छह बजे शुरू हुई। बैठक में उपस्थित डॉ. अशोक तंवर व उन्होंने (सुदेश अग्रवाल) कई अहम फ़ैसले किए। पहले तो बैठक में दोनों नेताओं ने माना कि इस तरह की कमेटी का गठन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ही करती है, इसलिए यह कमेटी फ़िलहाल टेस्टिंग के लिए होगी, ताकि यह पता चल सके एेसी कमेटी का फायदा होगा या नहीं। इसके बाद ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से इसकी अनुमति ली जाएगी।

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उन्‍होंने बताया कि फिलहाल कमेटी का नाम बदलकर चुनाव योजना एवं प्रबंधन ग्रुप रख दिया गया है। इस ग्रुप का आने वाले समय में विस्तार भी किया जाएगा और छह उपसमूह बनाए जाएंगे। जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ऐसे मामलों की कमेटी गठित कर देगी तो इन ग्रुप को भंग कर दिया जाएगा।

 कांग्रेस दिग्गजों की लड़ाई का भाजपा को होगा फायदा

दूसरी ओर, अशोक तंवर के नए तेवर से हरियाणा कांगेस के दिग्गजों के बीच नई जंग का माहौल तैयार हो गया है। गुलाम नबी आजाद द्वारा खारिज किए जाने के बाद भी अशोक तंवर की कमेटी की बैठक किए जाने से कांग्रेस नेताओं में घमासान मखचना तय है। जानकारों का मानाना है कि इस कदम का खामियाजा अशोक तंवर को उठाना पड़ सकता है।

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पूरे मामले में यह साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के बावजूद हरियाण कांग्रेस के दिग्‍गज नेता  एकजुट होने को तैयार नहीं हैं। हरियाणा में इनेलो और जननायक जनता पार्टी के नेता जिस तेजी के साथ भाजपा में शामिल हो रहे, उसे देखकर लग रहा कि अब सिर्फ कांग्रेस ही विपक्ष के रूप में बची है। कांग्रेस दिग्गजों के बीच झगड़े से कयास लगाए जा रहे  हैं कि भाजपा को विधानसभा चुनाव में भी क्लीन स्वीप रोकना मुश्किल होगा।

हरियाणा के चुनावी रण में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 75 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। भाजपा को अब न तो इनेलो की चिंता है और न ही जननायक जनता पार्टी का कोई डर। आम आदमी पार्टी, बसपा और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टियां भी हाल फिलहाल भाजपा को कोई बड़ी चुनौती देती दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में सिर्फ कांग्रेस बची है, जो विधानसभा चुनाव में भाजपा के मिशन 75 को फतेह करने में बाधा उत्पन्न कर सकती है। लेकिन, कांग्रेस की कलह देखकर नहीं लगता कि इसके दिग्गज नेता मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

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हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष डा. अशोक तंवर के बीच लड़ाई कम होने की बजाय लगातार बढ़ रही है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार इन दोनों खेमों के बीच सुलहनामे की कई बार कोशिश की गई। दोनों राजी भी हो गए, लेकिन हाईकमान के सामने हुई बैठकों में जब दोनों खेमों ने एक दूसरे की खामियां गिनानी शुरू कीं तो तमाम प्रयास विफल हो गए। अब रही सही कही अशोक तंवर के चुनाव योजना एवं प्रबंधन कमेटी (अब ग्रुप) के गठन ने पूरी कर दी है।

तो क्‍या विधानसभा चुनाव में फंडिंग करते सुदेश अग्रवाल

अशोक तंवर ने चुनाव योजना एवं प्रबंधन कमेटी (अब ग्रुप) की कमान समस्त भारतीय पार्टी का कांग्रेस में विलय करने वाले उद्योगपति सुदेश अग्रवाल को सौंपी। सुदेश अग्रवाल बड़े पूंजीपति हैं तथा दुबई में उनका बड़ा कारोबार है। पैसे की कोई कमी नहीं है। उन्हें कांग्रेस में आए कुछ माह ही हुए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा हो रहा कि जब हुड्डा और कुलदीप बिश्नोई खेमे को अशोक तंवर का नेतृत्व ही स्वीकार नहीं हो रहा तो सुदेश अग्रवाल का नेतृत्व कैसे स्वीकार किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि सुदेश अग्रवाल विधानसभा चुनाव में पार्टी के बहुत काम आएंगे, जिस कारण उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई।

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