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    पलवल में बढ़ रहा एचआईवी का खतरा, पांच साल में 40 गर्भवती समेत 650 से ज्यादा संक्रमित मिले, नवजातों को खतरा

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 02:32 PM (IST)

    पलवल जिले में एचआईवी संक्रमण के मामलों में वृद्धि चिंता का विषय है। इस साल आठ महीनों में 101 नए मामले सामने आए हैं। असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित सिरिंजों का उपयोग मुख्य कारण हैं। गर्भवती महिलाओं में संक्रमण से शिशुओं को खतरा है। स्वास्थ्य विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है। समय पर जांच एवं उपचार से बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। जिले में एआरटी केंद्र कम हैं।

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    एचआईवी के मामलों में हो रही वृद्धि, आठ महीनों में ही आए 101 नए मरीज

    कुलवीर चौहान, पलवल। जिले में एचआईवी संक्रमण के मामलों में साल दर साल वृद्धि हो रही है। इस वर्ष आठ महीनों में ही एचआईवी संक्रमण के 101 नए मामले सामने आ चुके हैं, जो कि चिंताजनक स्थिति को दर्शाते हैं। वहीं, बीते वर्ष 2020 से लेकर 2024 तक पांच वर्षों में लगभग 650 में ज्यादा एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई है। इनमें से करीब 40 मामले गर्भवतियों के भी हैं, जिससे नवजात शिशुओं में संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है।

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    तीन गुना बढ़े केस

    एचआईवी संक्रमण के 2020 में 53 केस सामने आए थे, जो 2021 में बढ़कर 82 हो गए। इसके बाद 2022 में 147, 2023 में 145 और 2024 में 160 नए मामलों की पुष्टि हुई। अब आठ महीनों में ही एचआईवी संक्रमण के 101 मामले सामने आए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार संक्रमण के कारण असुरक्षित यौन संबंध है। इसके अलावा कई मरीज संक्रमित सिरिंज से नशा करने के कारण इसका शिकार हुए हैं। एचआईवी पीड़ित का संक्रमित खून चढ़ाना भी इसका कारण बन सकता है। इसलिए थोड़ी सी लापरवाही बड़ा खतरा बन सकती है।

    संक्रमण के वायरस को कम करने का प्रयास

    जिला नागरिक अस्पताल के डाॅ. संजीव तंवर के अनुसार जिला नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन 50 के करीब मरीजों के एचआईवी जांच की जाती है। इनमें आधी संख्या गर्भवती महिलाओं की है। संक्रमित मिलने पर मरीजों का उपचार किया जाता है। समुचित उपचार के लिए उन्हें फरीदाबाद के बादशाह खान अस्पताल में रेफर किया जाता है। गर्भवती महिलाओं में संक्रमण पाए जाने पर यह बच्चों में ज्यादा न फैले इसके लिए दवाई दी जाती हैं। दवाई देने से बच्चों में एचआईवी संक्रमण के वायरस को कम करने में मदद मिलती है।

    समय पर जांच और उपचार से नियंत्रण

    इसके अलावा उनके द्वारा सेक्स वर्करों और ट्रांसजेंडर का रूटीन टेस्ट किया जाता है, उन्हें जागरूक किया जाता है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि घबराने की आवश्यकता नहीं है। नियमित रूप से दवा का सेवन करने से एचआईवी संक्रमित व्यक्ति भी लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकता है। इसलिए, लापरवाही न करें और समय पर दवाइयों का सेवन करें। समय पर जांच और उपचार से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।

    नवजात शिशुओं में संक्रमण फैलने का खतरा

    अभी तक बीते पांच वर्षों में 40 गर्भवती महिलाओं में भी संक्रमण की पुष्टि हुई है। इससे उनके नवजात शिशुओं में भी संक्रमण का खतरा है। विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिला के बाद बच्चों में भी संक्रमण फैलने का पूरा खतरा रहता है। नवजात शिशुओं में संक्रमण ज्यादा न फैले, इसके लिए गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दवाइयां भी दी जाती है।

    जिला नागरिक अस्पताल में नहीं एआरटी केंद्र

    जिले में एचआईवी संक्रमण के उपचार की व्यवस्था भी नहीं है। एचआईवी के उपचार के लिए जिला नागरिक अस्पताल में एआरटी केंद्र मौजूद नहीं है। यहां आने वाले मरीजों को फरीदाबाद के बादशाह खान अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है। इन मरीजों को काउंसलिंग भी फरीदाबाद में कराई जाती है। इससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

    जांच कराने से पीछे न रहें

    एचआईवी संक्रमण पर काम कर रहे डाॅ संजीव तंवर बताते हैं कि इस रोग से अधिक घबराने की जरूरत नहीं है। जीवन में की गई लापरवाही इस रोग का कारण बनती है। इसलिए एचआईवी से बचाव के लिए जागरूकता ही सबसे ज्यादा जरूरी होती है। कई बार लोग सामाजिक कलंक या डर के कारण इसकी जांच कराने से बचते हैं। जो कि भविष्य में उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

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