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    Gandhi Jayanti 2025: गांधीजी के संघर्षमय सफर का गवाह रहा पलवल, रेलवे स्टेशन पर हुई थी पहली गिरफ्तारी

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 12:42 PM (IST)

    आज महात्मा गांधी की जयंती पर देश उन्हें याद कर रहा है। पलवल बापू के संघर्ष का साक्षी रहा है जहां उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया था। 1938 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गांधी सेवा आश्रम की नींव रखी। असावटी गांव में गांधी घर का उद्घाटन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था। संग्रहालय में गांधी जी के दुर्लभ चित्र उनके संघर्षों की याद दिलाते हैं।

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    संग्रहालय में गांधी जी की तस्वीरों को देखते स्कूली बच्चे- जागरण

    जागरण संवाददाता,पलवल। अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को अंग्रेजों से आजाद करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (बापू) जी की जयंती पर आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (बापू) जी के संघर्ष का पलवल जिला भी गवाह रहा है। पलवल रेलवे स्टेशन से ही दमनकारी रालट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह करने पर गांधी जी को दस अप्रैल 1919 को गिरफ्तार किया गया था। यह उनकी पहली गिरफ्तारी थी।

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    दस अप्रैल 1919 को गांधी जी को असावटी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर पलवल रेलवे स्टेशन पर लाया गया था। महात्मा गांधी ने असावटी गांव वासियों से मुलाकात भी की थी। महात्मा गांधी की राजनीतिक रूप से इस पहली गिरफ्तारी की याद में पलवल शहर स्थित माल गोदाम रोड पर गांधी सेवा आश्रम के नाम से एक आश्रम बनाया गया था।

    इस आश्रम की नींव गांधी जी के जन्मदिन पर दो अक्टूबर 1938 को आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने रखी थी। वहीं महात्मा गांधी जी की याद में असावटी गांव में गांधी घर भी बनाया गया है, जिसका उद्घाटन देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने 30 अक्टूबर 1957 को किया था।

    समाजसेवी कुलदीप कौशिक के अनुसार जब राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद गांव में गांधी घर का उद्घाटन करने आए थे। उन दिनों उनके पिता दीपचंद शर्मा गांव के सरपंच थे। पिता बताते थे कि गांधी जी ने ग्रामीणों से मिलकर सत्याग्रह में भाग लेने का आह्वान किया था।

    पलवल संग्रहालय में हैं दुर्लभ चित्र

    गांधी सेवा आश्रम पलवल में करीब पांच एकड़ क्षेत्र में स्थापित है। आश्रम में गांधी जी की प्रतिमा के साथ संग्रहालय भी मौजूद है। गांधी सेवाश्रम में वर्ष 1962 में गांधी प्रदर्शनी को स्थापित किया गया था और गांधी जी से संबंधित इतिहास को संजोया गया था।

    प्रदर्शनी के लिए चित्र दिल्ली के गांधी संग्रहालय से लाए गए थे। बाद में ये खराब होने लगे तो इनका नवीनीकरण कराया गया तथा प्रदर्शनी स्थल बदल कर 1968 में संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया। संग्रहालय में गांधी जी के ऐसे दुर्लभ चित्र भी हैं, जो कि उनके कड़े संघर्षों की यादों को ताजा करते हैं।

    देश भर से लोग इस आश्रम में आकर गांधी जी के इन दुर्लभ चित्रों को अपनी यादों में समेट लेते हैं। गांधी जी के किशोरावस्था के चित्र, साबरमती आश्रम की यादों के चित्र मौजूद हैं। छह वर्षीय इंदिरा गांधी के साथ कस्तूरबा गांधी जुहू तट पर सैर करने और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ के चित्र भी इस संग्रहालय में मौजूद हैं।

    गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका में गिरफ्तारी और सत्याग्रह के रूप में दांडी यात्रा समेत बचपन से लेकर उनकी अंतिम यात्रा से जुड़े ढेर सारी चित्रों का संग्रह इस संग्रहालय में है। यह सभी चित्र देश की स्वतंत्रता के लिए गांधी जी द्वारा किए गए कड़े संघर्षों को दिखाते हैं।