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    भारतीयाें के पैसे से ही कराई जा रही थी भारत की जासूसी, पाकिस्तानी दूतावास के फंडिंग माॅड्यूल का भंडाफोड़

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 08:28 PM (IST)

    पलवल के तौफीक और वसीम अकरम को पाकिस्तान को खुफिया जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आईएसआई ने उन्हें दिल्ली के नजदीक होने का फायदा उठाकर फंसाया था। वे वीजा के नाम पर वसूली करते थे और उस पैसे का इस्तेमाल आईएसआई एजेंटों को देते थे। वे व्हाट्सएप के जरिए संवेदनशील जानकारी भेजते थे। क्राइम ब्रांच ने उनके खिलाफ सबूत जुटाए हैं।

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    तौफीक और वसीम को अदालत में पेश करने के लिए ले जाती हुई सीआईए टीम। अर्काइ‌व

    कुलवीर चौहान, पलवल। पाकिस्तान को खुफिया सूचनाएं देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए तौफीक और वसीम अकरम को देश की राजधानी दिल्ली से नजदीक होने के कारण जासूसी के लिए ISI ने अपने जाल में फंसाया था।

    जांच में यह भी सामने आया है कि पाकिस्तान का वीजा दिलाने के नाम पर की जाने वाली वसूली का हिस्सा भारत में जासूसी करने वाले आईएसआई एजेंटों को दिया जाता था।

    जासूसी का यह माॅड्यूल पंजाब के मलेरकोटला और नूंह में उजागर हुए पैटर्न की तरह ही है। मई माह में भी बिल्कुल इसी के तरह के आरोपों में मलेरकोटला से महिला गुजाला व यामीन मोहम्मद और नूंह के अरमान व तारीफ को गिरफ्तार किया गया था।

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    जांच में पता चला कि पाकिस्तान दूतावास में तैनात रहे दानिश ने पलवल के आली मेव के रहने वाले तौफीक और कोट गांव के रहने वाले वसीम अकरम को पाकिस्तान जाने वाले लोगों के वीजा आसानी से बनवाने का प्रलोभन दिया गया था।

    जांच अधिकारी ने बताया कि बंटवारे के समय नूंह और पलवल स्थित मेवात इलाके के कई लोग पाकिस्तान चले गए, जबकि उनके कुछ रिश्तेदार यहीं रुक गए।

    लिहाजा, इन लोगों को अपनी रिश्तेदारियों में पाकिस्तान जाने के लिए वीजा की जरूरत होती है। इसी की आड़ में भारत के खिलाफ साजिश रची जाती थी।

    तौफीक और वसीम अकरम मेवात से पाकिस्तान जाने वाले लोगों को ढूंढ़ते और फिर उन्हें दस से 20 हजार रुपयों के बदले आसानी से वीजा दिलवाने का विश्वास दिलाते।

    इन्होंने दर्जनों लोगों के वीजा बनवाए। इस राशी का आधा हिस्सा पाकिस्तान दूतावास के कर्मचारियों के हिस्से में आता था। कर्मचारी इस राशि को पाकिस्तान से भारत घूमने के बहाने आने वाले आईएसआई एजेंटों को जासूसी करने के लिए देते थे।

    2022 में पाकिस्तान जाने के बाद से ही दोनों आरोपी वाट्सएप के जरिए संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान भेज रहे थे। दिल्ली से मेवात के नजदीक होने के चलते इन दोनों के अलावा नूंह के अरमान व तारीफ को भी दानिश के जरिए आईएसआई ने अपने जाल में फंसाया था।

    आरोपियों ने खुद पाकिस्तान दूतावास जाकर संवेदनशील जानकारी और सिम भी दी थी। इस मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच पलवल की टीम ने तौफीक और वसीम के फोन से पाकिस्तान भेजी गई जानकारी और बैंक खातों की डिटेल के सबूत भी जुटाए हैं।

    तौफीक द्वारा वाट्सअप के माध्यम से हथीन के एक बीएसएफ जवान और पलवल शहर की न्यू काॅलोनी के एक युवक की भी निजी जानकारी दानिश को दी गई थी। इस मामले में हथीन के एक गांव के रहने वाले युवक को सरकारी गवाह भी बनाया गया है।

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