Palwal Cyber Crime: साइबर ठगों के शिकार बने न्यायाधीश, तीन बार में अकाउंट से उड़े 24 हजार रुपये
जिले में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ठग नए-नए तरीके ईजाद कर लोगों की गाढ़ी कमाई साफ कर रहे हैं। जहां ठग पहले आम आदमियों को निशाना बना रहे थे ...और पढ़ें

पलवल, जागरण संवाददाता। जिले में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ठग नए-नए तरीके ईजाद कर लोगों की गाढ़ी कमाई साफ कर रहे हैं। जहां ठग पहले आम आदमियों को निशाना बना रहे थे, वहीं अब पलवल के न्यायाधीश के साथ साइबर ठगी को अंजाम दिया गया है। न्यायाधीश के खाते से साढ़े 24 हजार उड़ा लिए गए। अंगूठे का नकली क्लोन तैयार कर आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के जरिए यह ठगी की गई है। साइबर थाना पुलिस ने मामले में मुकदमा दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी है। मामला सामने आने के बाद जिला पुलिस अधीक्षक ने इस तरीके की ठगी से बचने के लिए एडवाइजरी जारी की है।
साइबर थाना प्रभारी सत्यनारायण के अनुसार, गांव कुसलीपुर स्थित ज्यूडिशियल काम्प्लेक्स में रहने वाले न्यायाधीश महेश कुमार ने शिकायत दी है कि उनके साथ आनलाइन ठगी की वारदात को अंजाम देकर साढ़े 24 हजार की राशि खाते से निकाल ली गई। इसी माह अलग-अलग तीन बार में खाते से यह रुपये निकाले गए। यह राशि सात नवंबर, 23 नवंबर और 25 नंबर को निकाली गई है।
बीते वर्ष हुआ था अंगूठे का क्लोन तैयार कर ठगी का पर्दाफाश
जिला पुलिस अधीक्षक राजेश दुग्गल ने बताया कि आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम लेनदेन संबंधी आनलाइन ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। वर्ष 2021 के जून माह में पलवल पुलिस द्वारा जिले में इस तरह से की जाने वाली साइबर ठगी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया गया था। आरोपितों ने सबसे पहले पलवल के रजिस्ट्री कार्यालय से रजिस्ट्रियां हासिल की। आरोपितों ने रजिस्ट्रियों से खरीदार और विक्रेताओं के लगे हुए अंगूठे के निशान व आधार कार्ड नंबर ले लिए। उसके बाद अंगूठे का क्लोन तैयार कर एईपीएस (आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के जरिए) से अलग-अलग खातों से लाखों की राशि निकाल ली।
बिना कुछ किए ही कटने लगे थे रुपये
बीते वर्ष एक के बाद एक पुलिस के पास खातों से ताबड़तोड़ रुपये निकलने की शिकायतें आने लगी थीं। पीड़ितों ने अपनी शिकायतों में बताया था कि उन्हें न तो किसी ने फोन करके पिन कोड पूछा, न ही वे पिछले कुछ दिनों में बैंक या एटीएम से पैसे निकालने के लिए गए। फिर भी अचानक ही उनके अकाउंट से पैसे कट गए। उनके बैंक खातों से रुपये निकलने के मैसेज आते गए। इतना ही नहीं, आरोपितों ने बड़ी संख्या में अंगूठे के क्लोन तैयार कर रखे हुए थे, जिनसे तीन करोड़ रुपये निकालने थे, लेकिन उससे पहले ही उनको गिरफ्तार कर लिया गया था।
इस तरीके से होती है ठगी
आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम लेनदेन संबंधी वित्तीय धोखाधड़ी के बारे में जागरुक करते हुए पुलिस अधीक्षक राजेश दुग्गल ने बताया कि साइबर ठग फिंगर प्रिंट का रबर क्लोन बना लेते हैं। इसके बाद ठग पता लगाते हैं कि उक्त व्यक्ति का आधार कार्ड नंबर किसी बैंक खाते से जुड़ा है या नहीं। इसके बाद वे उन आधार कार्ड नंबरों को शार्ट लिस्ट करते हैं, जो बैंक खातों से जुड़े होते हैं। इसके बाद साइबर ठग आनलाइन अकाउंट बनाते हैं। ठग इलेक्ट्रानिक ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग प्लेटफार्म के एप में लाग इन करते हैं और बायोमीट्रिक डिवाइस एवं रबर फिंगर प्रिंट क्लोन का उपयोग कर लेनदेन शुरू करते हैं। ट्रांजेक्शन पूरा होते ही पैसा इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्म के वालेट में चला जाता है, जहां से ठग उक्त राशि को अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं।
ऐसे साइबर अपराधियों से कैसे बचें
इस ठगी से बचने के लिए अपने संबंधित बैंक से आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम को डीएक्टिवेट कराएं और आवश्यकता अनुसार ही उसका उपयोग कर दोबारा से डीएक्टिवेट कराएं। किसी भी प्रकार की वित्तीय या आनलाइन धोखाधड़ी होने पर 1930 पर काल कर अपनी शिकायत दर्ज करवाएं। इसके अलावा अपनी शिकायत साइबर थाना या आपके संबंधित थाने में स्थापित साइबर हेल्प डेस्क पर दें।

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