सावधान! पराली जलाने पर 5 हजार रुपये से लेकर 30 हजार रुपये तक जुर्माना, दर्ज होगी एफआईआर
उपायुक्त पलवल ने पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना एफआईआर और एमएसपी पर फसल बेचने पर रोक लग सकती है। किसानों से पराली को आय का साधन बनाने का आग्रह किया गया है। हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है जिस पर पराली जलाने की सूचना दी जा सकती है। पराली प्रबंधन से पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी।

जागरण संवाददाता,पलवल। उपायुक्त डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण(एनजीटी) के निर्देशानुसार सरकार पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त है। उन्होंने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जिला में पराली जलाने की घटनाओं की प्रभावी रूप से मॉनिटरिंग करते हुए पूर्ण रूप से विराम लगाएं, जिसके लिए अधिकारी तैयारियों में जुट जाएं।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है, जिसके तहत 5 हजार रुपए से लेकर 30 हजार रुपए तक जुर्माना, एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है तथा अगले दो वर्षों तक एमएसपी पर फसल बेचने पर रोक लग सकती है।
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ शुक्रवार को पराली प्रबंधन बारे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग व अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक लेते हुए निर्देश देते रहे थे। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि जिला में पराली जलाने से संबंधित कोई घटना नहीं होनी चाहिए।
इस कार्य में किसी भी प्रकार की कोताही व लापरवाही सहन नहीं की जाएगी तथा कोताही व लापरवाही करने वाले संबंधित अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ भी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देश दिए कि कहीं भी कोई किसान पराली जलाता है तो उसे ऐसा करने से रोकें और उन्हें पराली जलाने से होने वाले नुकसान से अवगत कराए।
यदि कोई खेत में पराली जलाता हुआ पकड़ा जाता है तो उस पर जुर्माना सहित एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करें। उन्होंने बताया कि आमजन पराली जलाने से संबंधित सूचना कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से बनाए गए हेल्पलाइन नंबर 01275-254060 पर दे सकते हैं।
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने जिला के किसानों से आह्वान किया कि वे पराली को जलाने की बजाए आय का साधन बनाएं। पराली जलाने से मृदा स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है जिससे फसल उत्पादन प्रभावित होता है।
किसान पराली को जलाने के बजाय उसे बेचकर आय अर्जित कर सकते हैं। पराली से कई उत्पाद बनाए जाते हैं। पराली का सही उपयोग न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
इस प्रकार, पराली को संसाधन के रूप में उपयोग कर हम एक सतत और समृद्ध भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, पराली का सही तरीके से प्रबंधन पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देता है। इससे वायु प्रदूषण की समस्या से बचा जा सकता है, जो पराली जलाने के कारण उत्पन्न होती है।
पराली को संसाधन के रूप में उपयोग करने से न केवल किसानों को लाभ होगा, बल्कि किसानों द्वारा उठाया गया यह कदम जलवायु परिवर्तन और मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने में भी सहायक होगा। बैठक में जिला राजस्व अधिकारी बलराज सिंह दांगी, डीडीपीओ उपमा अरोड़ा, जिला कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डा. बाबू लाल मौजूद रहे।
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