सृष्टि के रचयिता हैं शिव
शिव कल्याण स्वरूप हैं। कल्याण स्वरूप होने के कारण परमेश्वर का नाम शिव है। परमपिता परमात्मा के अनंत ग
शिव कल्याण स्वरूप हैं। कल्याण स्वरूप होने के कारण परमेश्वर का नाम शिव है। परमपिता परमात्मा के अनंत गुण, कर्म, स्वभाव है। वैसे ही असंख्य शिव, शंभू, शंकर, महादेव नाम भी हैं। शिव सृष्टि के रचयिता हैं। उन्होंने ही अग्नि, वायु, पृथ्वी, वनस्पति को रचा है। शिव अजन्म व अनंत हैं। वे निरंकारी व सभी का पालन करने वाले हैं। वे पुराणों में शिव की महिमा का वर्णन है। सावन माह में गृहस्थी शिव मंदिरों में कतार में खड़े होकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए पूजा अर्चना करते हैं। शिव हमारे पवित्र मन-मंदिर में निवास करते हैं। वह तो विभु हैं। अव्यक्त हैं और स्थायी तौर पर कण-कण में विराजमान हैं। यदि हमारे विचार पवित्र होंगे तो हम अपने अंदर विराजमान शिव के दर्शन कर लेंगे।
हमें शिव यानी परमात्मा का ध्यान हमेशा करना चाहिए। केवल सावन माह में ही नहीं। माह तथा वर्ष तो परमात्मा ने ही बनाए हैं। शिव तो सच्चिदानंद स्वरूप, अजन्में, निराकार, सर्वशक्तिमान, सुख-दुख से परे तथा सृष्टि के रचयिता हैं। शिव यानी परमात्मा ही उपासना करने योग्य हैं। यदि हम सत्य का मार्ग धारण करेंगे तो शिव भी हमसे प्रसन्न रहेंगे। हमें अपने कर्म अच्छे रखने चाहिए। जो व्यवहार हम दूसरों से चाहते हैं, वही व्यवहार हमें दूसरों के साथ करना चाहिए। हमें सावन के इस पवित्र माह में यह संकल्प लेना चाहिए कि हम समाज का ज्यादा से ज्यादा भला करें। हम ज्यादा से ज्यादा आध्यात्मिक, सामाजिक, आत्मिक उन्नति करें। यदि हमारे कर्म अच्छे होंगे तो उनका प्रभाव दूसरों पर भी पड़ेगा।
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