महाराष्ट्र से मेवात तक ठगी का जाल, 10 करोड़ दान का लालच देकर NGO चेयरमैन को बनाया बंधक; 4.43 करोड़ ठगे
महाराष्ट्र से मेवात तक फैले एक ठगी के जाल में, एक एनजीओ चेयरमैन को 10 करोड़ के दान का लालच देकर बंधक बनाया गया। जालसाजों ने उनसे 4.43 करोड़ रुपये ठग ल ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नूंह। जिले में ओडिशा बालासोर जिले के निवासी और मां सरस्वती एजुकेशनल वेलफेयर एंड चैरिटेबल नामक ट्रस्ट के चेयरमैन को दान के बहाने लालच देकर बुला बंधक बनाकर ट्रस्ट के अकाउंट से चार करोड़ 43 लाख रुपये का लेनदेन कर बड़ी ठगी का करने का मामले सामने आया है। मामले में बालासोर साइबर क्राइम एंड इकोनाॅमिक ऑफेंस पुलिस स्टेशन ने जीरो एफआईआर दर्ज की है, जिसे अब नूंह साइबर पुलिस स्टेशन को स्थानांतरित कर दिया है।
कटक स्थित सीआईडी क्राइम ब्रांच द्वारा भेजे गए मेमो नंबर के आधार पर नूंह पुलिस साइबर सेल ने औपचारिक केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। नूंह साइबर पुलिस ने अब मामले की जांच शुरू करने के आरोपित को बुलाया, ताकि आगे की जांच शुरू की जा सके।
पीड़ित सुभाष चंद्र साहू द्वारा दर्ज कराई गई जीरो एफआइआर के मुताबिक घटना की शुरुआत अगस्त 2025 में हुई, जब उन्हें महाराष्ट्र के ठाणे निवासी सुधीर पवार ने उनके एनजीओ के लिए 10 करोड़ रुपये के दान का लालच दिया। सुधीर ने फाइल को मुंबई के मरीन ड्राइव क्षेत्र में बैंकिंग स्टाफ पेरेरा को भेजा,जिन्होंने इसे अपने दोस्त पीटर को सौंपा।
उसके बाद 11 अगस्त 2025 को पीटर ने साहू को बताया कि एक कंपनी दान देने को तैयार है और उन्हें दिल्ली आना होगा। 12 अगस्त की शाम साहू अपने घर से निकले और भुवनेश्वर एयरपोर्ट से दिल्ली पहुंचे। वहां इकबाल नामक व्यक्ति ने उन्हें रिसीव किया और गुरुग्राम के सेक्टर 49 स्थित कार्पोरेट होटल में ले गया, जहां अली और विशाल मिले।
14 अगस्त को साहू और इकबाल को एक कार में दिल्ली से हरियाणा की ओर ले जाया गया। रास्ते में लंच के लिए रुके, जहां 5-6 अन्य व्यक्ति भी शामिल हो गए। बताया गया है कि एक सुनसान इलाके में पहुंचकर कार रुक गई, जहां मदरसा और गौशाला के पास पांच-छह हथियारबंद बदमाशों ने उन्हें घेर लिया।
बदमाशों ने इकबाल को बांस की छड़ी से बुरी तरह पीटा और साहू से बैंक डिटेल्स मांगकर जबरन मोबाइल और सिम छीन लिए। उन्होंने साहू के बैंक अकाउंट में विभिन्न पार्टियों से पैसे ट्रांसफर कराए और फिर इन्हें अवैध रूप से अन्य अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिया,जिससे ट्रस्ट के अकाउंट का गलत प्रयोग कर 4.43 करोड़ रुपये की ठगी हुई।
यह सिलसिला रात 8:30 बजे तक चला। अगले दिन 15 अगस्त को भी यही प्रक्रिया जारी रही, लेकिन शाम को साहू और इकबाल किसी तरह भागने में कामयाब हो गए। साहू किसी तरह गुरुग्राम बस स्टैंड पहुंचा जहां वह दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे और वहां पुलिस को सूचना दी। हालांकि, डर के कारण वे नूंह वापस नहीं गए और 16 अगस्त को भुवनेश्वर लौट आए।
घर पहुंचकर उन्होंने सिम ब्लाक कराए और बैंक से संपर्क किया। बाद में 21 अगस्त को साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज कराई। अकाउंट्स फ्रीज कराए गए, लेकिन वहां की स्थानीय पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। 28 सितंबर को साहू ने कटक सीआईडी क्राइम ब्रांच में लिखित शिकायत दी, जहां से आठ अक्टूबर को मेमो जारी कर बालासोर साइबर पुलिस को भेजा गया।
17 नवंबर 2025 को बालासोर पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज की,जिसे नूंह पुलिस को स्थानांतरित किया गया। जिसमें अब नूंह साइबर थाना पुलिस इसकी जांच कर रही है और आरोपितों की तलाश कर रही है। वहीं, इस मामले को लेकर नूंह के साइबर थाना प्रभारी सुखबीर सिंह ने जीरो एफआइआर आने की पृष्टि की है।
उन्हाेंने बताया कि इस मामले की जांच के लिए पीडि़त को बुलाया गया। उसके आने बाद मामले की जांच होगी। दूसरी तरफ सुभाष साहु ने बताया कि वे जल्द ही नूंह आएंगे। उसके बाद पूरी जानकारी देंगे। हां, उन्होंने घटना व पैसे जबरदस्ती डलवाने की बात कही है।

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