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    Nuh Violence: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पांच साल पहले दी थी नूंह में RAF-CRPF कैंप की मंजूरी, टल सकती थी हिंसा

    By Jagran NewsEdited By: Jagran News Network
    Updated: Thu, 03 Aug 2023 04:00 AM (IST)

    Nuh Violence केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पांच साल पहले नूंह के इंद्री में रेपिड एक्शन फोर्स (RAF) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कैंप के लिए मंजूरी प्रदान कर दी थी लेकिन जमीन के सीएलयू (चेंज आफ लैंड यूज) पर पेंच फंस गया जिस कारण कैंप नहीं बन सके। इन कैंप के बनने में हुई देरी भी कहीं न कहीं नूंह में दंगों के भड़कने का कारण है।

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    Nuh Violence: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पांच साल पहले दी थी नूंह में RAF-CRPF कैंप की मंजूरी

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पांच साल पहले नूंह के इंद्री में रेपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप के लिए मंजूरी प्रदान कर दी थी, लेकिन जमीन के सीएलयू (चेंज आफ लैंड यूज) पर पेंच फंस गया, जिस कारण 50 एकड़ जमीन में यह दोनों कैंप नहीं बन पाए।

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    प्रदेश सरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय से सीएलयू की फीस मांग रही है, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय का तर्क है कि प्रदेश की सुरक्षा के लिए ही नूंह क्षेत्र में कैंप बनाए जा रहे हैं। इन कैंप के बनने में हुई देरी भी कहीं न कहीं नूंह में दंगों के भड़कने का कारण है। अगर यह कैंप बने होते तो शायद नूंह में अशांति नहीं फैलती।

    आरएएफ और सीआरपीएफ का कैंप स्थापित नहीं हो पाया

    हरियाणा सरकार की ढिलाई की वजह से नूंह के इंद्री में अभी तक भी आरएएफ और सीआरपीएफ का कैंप स्थापित नहीं हो पाया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018-19 के दौरान नूंह में आरएएफ और सीआरपीएफ का कैंप बनाने का निर्णय लिया था। उस समय राजनाथ सिंह केंद्रीय गृह मंत्री थे।

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    केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से कैंप को लेकर कई बार सरकार के साथ बैठकें की जा चुकी हैं और लगातार पत्राचार भी किया जा रहा है, लेकिन गृह मंत्रालय की जरूरतों को प्रदेश सरकार द्वारा पूरा नहीं किया गया। सबसे बड़ा पेंच 50 एकड़ भूमि के सीएलयू (चेंज आफ लेंड यूज) पर फंसा हुआ है।

    केएमपी से सीधी कनेक्टिवटी मांगी

    प्रदेश सरकार ने इस कैंप के लिए गृह मंत्रालय को मुफ्त में यह जमीन दी थी। अब सीएलयू के लिए फीस मांगी जा रही है। गृह मंत्रालय ने तर्क दिया है कि आरएएफ और सीआरपीएफ का कैंप हरियाणा की सुरक्षा के लिए स्थापित किया जा रहा है। ऐसे में इसके लिए सीएलयू की जरूरत नहीं है। अगर सीएलयू करना भी है तो सरकार सीएलयू करके दे।

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    गृह मंत्रालय की दूसरी बड़ी मांग कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे से सीधे एक्सेस की है। गृह मंत्रालय के एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा रोड सिस्टम और अंडरपास से उनके बड़े वाहन नहीं गुजर सकते। इसी को ध्यान में रखते हुए केएमपी से सीधी कनेक्टिवटी मांगी गई है।

    इंद्रजीत सिंह की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात

    बिजली के लिए 11 किलोवाट की स्वतंत्र फीडर लाइन का प्रबंध भी सरकार की ओर से किया जाना है। इसी तरह से राज्य सरकार को कैंप तक पानी की सप्लाई पहुंचानी है। इन चार बिंदुओं पर केंद्रीय गृह मंत्रालय कई बार चिट्ठी भी लिख चुका है और हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं लेकिन अभी तक भी इस दिशा में कदम आगे नहीं बढ़ाए गए हैं।

    केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने मोदी पार्ट-वन में कैंप का मुद्दा केंद्र के सामने उठाया था। इसके बाद ही राजनाथ सिंह ने नूंह के इंद्री में कैंप स्थापित करने का ऐलान किया था। मंगलवार को भी राव इंद्रजीत सिंह ने नूंह में हुई हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।

    दंगों से निपटने के लिए बज्र वाहन

    उन्होंने केंद्रीय मंत्री के सामने नूंह में स्थापित होने वाले आरएएफ और सीआरपीएफ कैंप पर जल्दी काम शुरू करवाने की मांग उठाई। इस पर गृह मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि जल्दी ही इसका शिलान्यास किया जाएगा। केंद्र सरकार ने रेपिड एक्शन फोर्स का गठन ही दंगों से निपटने के लिए किया था।

    नूंह के इंद्री में रेपिड एक्शन फोर्स और सीआरपीएफ का कैंप अगर बन गया होता तो नूंह में हुई हिंसा पर तुरंत काबू पाया जा सकता था। कैंप में दंगों से निपटने के लिए बज्र वाहन, बुलेट प्रूफ वाहन, वाटर कैनन सहित सभी प्रकार के उपकरण और हथियार उपलब्ध होते हैं। अब एक बार फिर यह मुद्दा केंद्रीय गृह मंत्री के सामने उठाया गया है, जिससे इससे सुलझने की आस बंध गई है।