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    Nuh News: किसानों के लिए आफत बनी कोटला झील, चार हजार एकड़ भूमि पर भरा पानी

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 02:37 PM (IST)

    नूंह की कोटला झील किसानों के लिए आफत बन गई है। झील के चारों ओर चार हजार एकड़ में जलभराव से किसान चिंतित हैं जिससे गेहूं और सरसों की फसलें प्रभावित हो रही हैं। किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं क्योंकि पिछले तीन सालों से उनकी जमीन पर फसल नहीं हो पाई है।

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    कोटला झील के इर्द गिर्द जमा खेतों में पानी। जागरण

    जागरण संवाददाता, नूंह। कोटला झील इस बार किसानों के लिए आफत की झील बन गई है। झील के इर्द गिर्द करीब चार हजार एकड़ में जलभराव के कारण किसान आगामी गेहूं और सरसों की फसल को लेकर चिंतित हैं। उन्हें यह डर सता रहा है कि यदि जल्द पानी की निकासी नहीं हो पाई तो पिछले वर्ष की तरह इस बार भी उन्हें गेहूं और सरसों की फसल से वंचित रहना पड़ सकता है।

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    किसानों का कहना है कि धीमी गति से पानी की निकासी से नहीं लगता कि समय पर जंगल खाली हो पाएगा। किसानों की मांग है कि पिछले तीन साल से उनकी पांच हजार एकड़ भूमि में एक भी दाना नहीं हो पा रहा है। उन्हें इसका उचित मुआवजा मिलना चाहिए।

    शब्बी हुसैन, साबिर, वारिश, शाकिर हुसैन, रमजान, नजीर फौजी, तफज्जुल, हमीदा, जैकम, गफूर, जाहिद व शरीफ ने बताया कि कोटला झील के इर्द गिर्द भरे बरसात के पानी से आकेड़ा, छोटी मेवली, बडी मेवली, मोहमदपुर, कोटला, कंसाली, घागस,खानपुर सुलतानपुर, महू और भूडबास की तकरीबन चार हजार एकड़ भूमि जलभराव की चपेट में है। जिसमें उक्त गांवों के किसान पिछले तीन सालों से अनाज नहीं उगा पा रहे हैं।

    किसानों का कहना है कि कोटला झील बनने से उन्हें उम्मीद जगी थी कि शायद अब उन्हें जलभराव की समस्या से दो चार नहीं होना पड़ेगा। लेकिन सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद भी जलभराव की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है।

    लोगों ने बताया कि कोटला झील से ड्रेन में पानी की निकासी नहीं हो पा रही है। झील के बड़े पंप ही अंतिम सांस ले रहे हैं, जिनकी कभी मोटर खराब तो कभी लाइन खराब रहती है। हालांकि कर्मचारी पानी की निकासी के लिए प्रयास तो कर रहे हैं, लेकिन धीमी गति से पानी की निकासी से नहीं लगता कि समय पर किसानों के खेतों से पानी की निकासी हो पाएगी।

    हर वर्ष भरता है पानी

    कोटला झील के इर्द गिर्द मानसून के समय में हर वर्ष करीब पांच हजार एकड़ भूमि जलभराव की चपेट में आ जाती है। जिसके लिए जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग की तरफ से आज तक स्थाई समाधान नहीं हो पाया है। किसानों का कहना है कि जब तक इसका स्थाई समाधान नहीं हो पाएगा, तब तक किसानों को जलभराव की समस्या से निजात नहीं मिल सकती।

    जलभराव की निकासी के लिए टीम लगी हुई है। धीरे धीरे पंपसेट चलाए जा रहे हैं। कोशिश है कि जल्द किसानों की जमीन से पानी की निकासी हो जाए।

    -हितेश धारीवाल, एक्सईएन मकेनिकल