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    हरियाणा के इस जिले में 13 अस्पतालों पर कसा शिकंजा, बिना MBBS डॉक्टर के चल रहे कई अस्पताल

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 04:51 PM (IST)

    मेवात जिले में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। कई अस्पताल नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। विभाग ने 13 अस्पतालों पर कार्रवाई की है लेकिन लोगों का आरोप है कि यह केवल दिखावटी है। अधिकतर निजी अस्पताल बिना एमबीबीएस डॉक्टर के चल रहे हैं और कुछ डॉक्टरों ने अपनी डिग्री किराये पर दी हुई है। निजी अस्पतालों में प्रसव के नाम पर अधिक पैसे वसूले जा रहे हैं।

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    जिले में नियमों को ताक पर रखकर चल रहे निजी अस्पताल और क्लीनिक। जागरण

    मोहम्मद मुस्तफा, नूंह (मेवात)। मेवात जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। विभागीय अधिकारियों द्वारा ठोस कदम नहीं उठाए जाने के कारण सैंकड़ों अस्पताल, क्लीनिक और जच्चा-बच्चा केंद्र नियमों को ताक पर रखकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

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    वहीं, हालांकि, विभाग द्वारा उच्च अधिकारियों के आदेशानुसार अब तक अवैध रूप से गर्भपात कराने और नियम ताक पर रखकर नूंह, तावडू, पिनगवां, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना में चलने वाले 13 अस्पतालों पर शिकंजा कसा जा चुका है। लेकिन अधिकारी कार्रवाई के नाम खानापूर्ति ही करते नजर आते हैं। यदि निष्पक्ष तरीके से कार्रवाई के लिए ठोस कदम उठाए जाएं तो सैंकड़ों निजी अस्पताल, क्लीनिक और जच्चा-बच्चा केंद्रों पर अनिमिताओं का संकट मंडरा सकता है।

    लोगों का आरोप है कि विभाग के बड़े अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए बैठे हैं, जो पंचकूला से सख्त आदेश आने के बाद ही थोड़ी बहुत कार्रवाई के लिए हाथ पांव हिलाते हैं।

    स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अस्पताल, क्लीनिक और जच्चा-बच्चा केंद्र को चलाने के लिए एमबीबीएस डाक्टर का होना अनिवार्य है। लेकिन नूंह जिले में अधिकतर निजी अस्पताल बिना एमबीबीएस डाक्टर के चलाए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कुछ एमबीबीएस डॉक्टरों ने अपनी डिग्री को कई-कई अस्पतालों के लिए किराये पर दिया हुआ है। जब उन पर विभाग की छापेमारी होती है तो वह डिग्री तो दिखा देते हैं, लेकिन मौके पर एमबीबीएस डॉक्टर नहीं मिलता।

    इसके बाद छापेमारी करने वाली टीम से सांठ गांठ करने का खेल शुरू हो जाता है। जब बात नहीं बन पाती तो उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है।

    निजी अस्पतालों में हो रही लोगों की जेब ढीली

    निजी अस्पतालों में प्रसव और इलाज के नाम पर कम अनुभवी डाक्टरों के द्वारा लोगों की जेब ढीली की जा रही है। निजी अस्पतालों में जहां प्रसव कराने की एवज में तीन से चार हजार रुपये वसूले जाते हैं वहीं इसी काम को सरकारी अस्पतालों में अनुभवी स्टाफ द्वारा नि:शुल्क किया जाता है। लेकिन लोगों में एक धारणा बनी हुई है कि सरकारी अस्पतालों में ठीक से देखरेख नहीं होती है।

    गर्भपात को लेकर सतर्क विभाग

    जिले में अवैध रूप से गर्भपात कराने वाले निजी अस्पताल, क्लीनिक और जच्चा बच्चा केंद्रों पर नकेल कसने के लिए विभाग कोशिश कर रहा है। पिछले एक महीने के अंदर 13 निजी अस्पतालों पर कार्रवाई की गई है, जिनमें नौ अस्पतालों पर अवैध रूप से गर्भपात कराया गया तो वहीं चार अस्पताल नियमों की अवहेलना करते हुए मिले।

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    विभाग का दावा है कि यह कार्रवाई आगे भी लगातार जारी रहेगी। गर्भपात के लिए अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा, नलहड़ मेडिकल कालेज, देवांस अस्पताल तावडू, मलिक अस्पताल, स्त्री क्लीनिक के पास अनुमति है। इनके अलावा किसी के पास कोई अनुमति नहीं है।

    अवैध रूप से गर्भपात कराने वाले निजी अस्पतालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। विभाग की लगातार कार्रवाई चल रही है। जो अस्पताल बिना एमबीबीएस डाक्टर के चल रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जाएगी। - डा. मनप्रीत सिंह, उप-सिविल सर्जन नूंह