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    भावांतर योजना से होगी बाजरा उत्पादक किसानों की भरपाई, सरकार नहीं खरीदेगी बाजरे की फसल

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 02:23 PM (IST)

    मेवात के किसान बाजरे की फसल को कम दामों पर निजी तौर पर बेचने को मजबूर हैं क्योंकि सरकारी खरीद नहीं हो रही है। मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर पंजीकृत किसानों को भावांतर भरपाई योजना का लाभ मिलेगा। बारिश से फसल खराब होने और सरकारी खरीद न होने से किसान परेशान हैं क्योंकि उन्हें एमएसपी से कम दाम मिल रहे हैं।

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    मंडी लाए गए किसान के बाजरे की फसल को आढत पर लगाते मजदूर। जागरण

    जागरण संवाददाता, नूंह। अबकी बार बाजरे की खरीद सरकारी स्तर पर नहीं होगी, बाजरा उत्पादक किसानों को 2023-24 की तर्ज पर बाजरा प्राइवेट स्तर पर बेचना पड़ेगा। किसानों द्वारा बेची जा रही बाजरे की फसल की भरपाई भावांतर भरपाई योजना के तहत पूरी होगी। इसलिए किसानों की बाजरे की फसल प्राईवेट स्तर पर ही बेचनी पड़ेगी। मंडियों में बाजरे की फसल की आवक शुरू हो चुकी है। सरकारी द्वारा बाजरा नहीं खरीदे जाने से किसानों को औने -पौने दामों में बाजरा बेचना पड़ रहा है।

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    बता दें कि अबकी बार जिले में औसत से ज्यादा वर्षा होने के कारण पहले की बाजरे की अधिकांश फसल खराब हो चुकी है। वहीं जिन किसानों के पास बाजरे की फसल बची भी थी, उसकी गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ा है। जिले के जो किसान मंडियों में बाजरे की फसल को ला रहे हैं, उन्हें सरकार की तरफ से तय की गई एमएसपी 2725 रुपये प्रति कुंतल का भाव नहीं मिल रहा है।

    इसलिए किसानों को 2000 से लेकर 2300 रुपये प्रति कुंतल के रेट से बाजरे की फसल मंडियों में बेचनी पड़ रही है। बाजरे की सबसे ज्यादा आवक पुन्हाना की मंडी में हुई है। यहां पर अब तक करीब 20 हजार कुंतल बाजरे की आवक हुई है। इसके अलावा नूंह की मंडी में करीब 400 कुंतल बाजरे की अब तक आवक हो चुकी है।

    किसान तैयब हुसैन, जमील अहमद, तारा चंद, अयूब ने बताया कि प्राइवेट आढ़ति बाजरे में कमी बताकर किसानों की फसल को औने -पौने दामों में खरीद रहे हैं। किसानों का कहना है कि एक तो पहले उनकी अधिकांश फसल वर्षा की भेंट चढ़ गई थी, तो फसल बची भी है, उसके दाम भी ठीक से नहीं मिल रहें हैं।

    वहीं अधिकारियों की माने तो अभी तक सरकार की तरफ से सरकारी खरीद को लेकर कोई आदेश नहीं आए हैं। बल्कि भावांतर योजना के तहत सरकार की तरफ से बाजरे की भरपाई के लिए आदेश जरूर हैं। सरकार की तरफ से आए पत्र में कहा गया है कि इस बार 2023 -24 की तर्ज पर बाजरे की भावांतर भरपाई योजना के तहत बाजरे की फसल की भरपाई होगी। इसका मतलब यह है कि सरकार की तरफ से बाजरे की खरीद नहीं होगी।

    जानकारों ने बताया भावांतर भरपाई योजना के तहत जिन किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पाेर्टल पर बाजरे की फसल का पंजीकरण कराया हुआ है। उसकी फसल मंडी में लाने पर गेट पास कटेगा तथा बाजरा तो पाईवेट स्तर ही खरीदा जाएगा लेकिन उसके खाते में योजना के तहत सरकार द्वारा तय की गई भरपाई की राशि डाली जाएगी।

    2023 -24 में भी सरकार ने ऐसा ही किया था, लेकिन किसान भावांतर योजना के लिए इसलिए उलझन में है कि बहुत से किसान ऐसे हैं, जिन्होंने फसल का पंजीकरण नहीं कराया है वे योजना से वंचित रह सकते हैं। ऐसे किसानों का कहना है कि उन्हें आर्थिक नुकसान होने की आंशका है।

    सरकार की तरफ से मोटे धान की खरीद का पत्र आ चुका है, लेकिन इस बार बाजरा खरीद के लिए कोई पत्र नहीं आया। हां, किसान अपनी बाजरे की फसल को प्राइवेट स्तर पर बेच सकते हैं। सरकार ऐसे पंजीकृत किसानों को भावांतर योजना के तहत क्षति पूर्ति करेगी, उसके स्पष्ट दिशा निर्देश क्या है इस बारे में अध्ययन किया जा रहा है।

    - मनोज कुमार, अतिरिक्त सचिव मार्केट कमेटी नूंह