कोटा में छात्रों की आत्महत्या का सिलसिला जारी, अब 19 साल के IIT स्टूडेंट ने की आत्महत्या; उठ रहे ये सवाल
Mahendragarh News कोटा से एक और दुखद खबर सामने आई है। आईआईटी-जेईई की तैयारी कर रहे 19 वर्षीय छात्र नीरज ने आत्महत्या कर ली। यह घटना कोटा में छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित करती है। 2023 में कोटा में 29 छात्रों ने आत्महत्या की थी। पुलिस प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं लेकिन आत्महत्या की घटनाएं रुक नहीं रही हैं।

संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़।Kota suicide case: शहर के शिक्षा नगरी कोटा से एक बार फिर दुखद खबर सामने आई है। आईआईटी-जेईई की तैयारी कर रहे जिल के गांव नावा के रहने वाले एक 19 वर्षीय छात्र ने आत्महत्या कर ली है। पुलिस ने मृतक के शव को कोटा के अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया है।
जानकारी के मुताबिक, नीरज एक साल पहले आईआईटी जेईई की तैयारी के लिए कोटा गया था और वह राजीव गांधी नगर इलाके में कोचिंग कर रहा था। नावां में परिवार वाले मृतक छात्र के शव का शाम तक इंतजार कर रहे थे। परिवार के लोग शव को लेने के लिए कोटा राजस्थान के लिए सुबह ही रवाना हो गए।
नीरज की आत्महत्या की सूचना के बाद गांव में पसरा मातम
गांव में माहौल गमगीन है और इस घटना के बाद हर कोई व्यथित और दुखी है। हर किसी की आंख नम है। गांव में जैसे ही नीरज के आत्महत्या की सूचना पहुंची तो मातम पसर गया। परिवार के लोग शव को लेने के लिए कोटा राजस्थान के लिए सुबह ही रवाना हो गए।
करियर बनाने का सपना पूरा करने के लिए अभिभावक अपने बच्चों को कोटा कोचिंग के लिए भेज रहे हैं, लेकिन कोटा में छात्रों के आत्महत्या की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
इससे कोटा के प्रति आजमन का विश्वास उठने लगा है। सवाल उठ रहा है कि आखिर कोटा में ऐसा क्या हो रहा है कि कोचिंग लेने वाले छात्र आत्महत्या जैसा गलत कठोर कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं।
साल 2024 में 19 छात्रों ने किया था सुसाइड
बता दें कि साल 2024 में कोटा में कुल 19 छात्रों ने आत्महत्या की थी, जबकि साल 2023 में कुल 29 छात्रों ने आत्महत्या की थी। गंभीर स्थिति को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से कई कदम उठाए गए।
होस्टल के कमरों में एंटी-हैंगिंग डिवाइस लगाए गए। इसके अलावा छात्रों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया। इसके जरिए छात्र किसी भी समस्या के लिए प्रशासन से बात कर सकते हैं।
चलाया गया था कामयाब कोटा अभियान
इसके अलावा कोटा जिला कलेक्टर डा. रवीन्द्र गोस्वामी ने जिले में कामयाब कोटा नाम से एक अभियान चलाया था। इस अभियान के तहत वह छात्रों के साथ खाना खाते थे और उनसे बातें करते थे। इसके अलावा वह कई बार छात्रों से मिलने हास्टल भी जाते थे। लेकिन इस अभियान के बावजूद आत्महत्या की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।
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