किसान औने-पौने दामों पर फसल बेचने को मजबूर, हैरान कर देगा अटेली अनाज मंडी का हाल
महेन्द्रगढ़ के अटेली अनाज मंडी में सरकारी बाजरा खरीद शुरू नहीं होने से किसान परेशान हैं। अधिकारी सैंपल फेल होने का हवाला दे रहे हैं जिससे किसान औने-पौने दामों पर फसल बेचने को मजबूर हैं। किसानों का कहना है कि पहले ही बारिश ने नुकसान पहुंचाया और अब खरीद रुकने से उम्मीदें टूट रही हैं। कांग्रेस ने सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया है।

संवाद सहयोगी, मंडी अटेली (नारनौल)। सरकार की घोषणा के बावजूद अटेली अनाज मंडी में बाजरा की सरकारी खरीद शुरू नहीं हो पाई है। मंडी में चार दिन से किसान अपनी उपज लेकर मंडी में पड़े हैं, लेकिन खरीद अधिकारी सैंपल फेल होने का हवाला देकर फसल लेने से इंकार कर रहे हैं। ऐसे में किसान औने-पौने दामों पर बाजरा बेचने को मजबूर हैं।
किसानों का कहना है कि पहले ही बरसात ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया था, जिससे फसल को भारी नुकसान पहुंचा। अब जब फसल मंडी तक पहुंची है तो सरकारी खरीद रुक जाने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। किसानों ने सवाल उठाया कि सरकार ने एमएसपी 2150 से बढ़ाकर 2200 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया, लेकिन खरीद ही नहीं हो रही।
उनका आरोप है कि यह कदम केवल भावांतर योजना में मिलने वाली राशि में कटौती करने की रणनीति है। मंडी में आए किसानों ने बताया कि वे कई दिनों से अपनी ढेरी लेकर बैठे हैं। वर्षा और धूप में फसल खराब होने का डर है, लेकिन खरीद अधिकारी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे। किसान महावीर ने कहा कि अगर सरकार खरीद नहीं करेगी तो मजबूरी में हमें औने-पौने दामों पर व्यापारी को फसल बेचनी पड़ेगी। यह हमारे साथ दोहरी मार है।
खरीद अधिकारी सतेन्द्र यादव ने सफाई देते हुए कहा कि मंडी में लाए गए बाजरे के नमूने लैब में जांच के दौरान फेल मिले हैं, इसलिए फिलहाल इस फसल को सरकारी दर पर नहीं खरीदा जा सकता। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे गुणवत्ता युक्त फसल ही लेकर मंडी में आएं। इस बीच, कांग्रेस नेता और पूर्व सीपीएस अनिता यादव ने सरकार पर बड़ा हमला बोला।
उन्होंने कहा कि बाजरा की खरीद के नाम पर भाजपा सरकार किसानों को परेशान कर रही है। पहले प्राकृतिक आपदा ने किसानों की कमर तोड़ी और अब मंडियों में खरीद रोककर उनके जख्मों पर नमक छिड़का जा रहा है। यह सरकार किसान विरोधी है। यदि किसानों की फसल तुरंत खरीदी नहीं गई तो कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक आवाज बुलंद करेगी। ग्रामीण अटेली और आसपास के किसान अब भी मंडी में अपनी फसल की खरीद शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।
उनका कहना है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे सामूहिक आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। अटेली मंडी में बाजरा खरीद का ठप पड़ना किसानों के लिए दोहरी मार बन गया है। अब देखना होगा कि सरकार किसानों को राहत देने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है।
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