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    धड़ल्ले से बिक रही 'मौत' की गोली

    By Edited By:
    Updated: Mon, 02 Nov 2015 05:54 PM (IST)

    सुरेंद्र यादव, नारनौल गेहूं में लगने वाली इल्लियों को नष्ट करने के कार्य में प्रयोग होने वाली

    सुरेंद्र यादव, नारनौल

    गेहूं में लगने वाली इल्लियों को नष्ट करने के कार्य में प्रयोग होने वाली 'सल्फास' नामक कीटनाशक गोलियों के रूप में बिक्री पर सरकार द्वारा सालों पहले प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद जिले के अधिकांश कीटनाशक विक्रेताओं द्वारा धड़ल्ले से बेची जा रही है। इस दवा पर न तो इसके मैन्युफैक्चरर (उत्पादक) का नाम अंकित है और न ही उत्पादन तिथि और समापन (एक्सपायरी) तिथि। बिना बिल के 50 रुपये में बेची जा रही इस कीटनाशक से भोले-भाले किसानों को लूटा जा रहा है क्योंकि यह दवा इल्लियों को मारने में भी सक्षम नहीं है।

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    गेहूं व अन्य अनाज को भंडार गृह में विभिन्न प्रकार के कीटों से बचाने के लिए एल्यूमीनियम फास्फेट नामक कीटनाशक का इस्तेमाल सालों से होता आया था। अत्यधिक जहरीले इस पदार्थ, जो कि पहले क्विकफॉस व सल्फास नाम से बिकता था, को बाद में लोगों को आत्महत्या के लिए जहर के तौर पर इसे उपयोग करते देखा गया। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सल्फास से आत्महत्या के हजारों मामले सामने आने के बाद सरकार ने इसके उत्पादन व खुली बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद से देश व प्रदेश में इसके निर्माण में लगी कंपनियों ने उत्पाद बंद कर दिया।

    सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद प्रदेश में इस जहर की खुलेआम बिक्री की जा रही है। जिला महेंद्रगढ़ की अधिकतर कीटनाशक विक्रेताओं की दुकानों पर बिना किसी पूछताछ के यह जहर मांगते ही उपलब्ध है। प्रश्न यह भी उठ रहा है कि किसी भी रजिस्टर्ड कंपनी द्वारा उत्पादन नहीं किए जाने के बावजूद सल्फास की गोलियों के पैकेट मार्केट में किस तरह उपलब्ध हो रहे हैं? दवा के डिब्बे पर न तो इसको बनाने वाली कंपनी का नाम अंकित है और न ही इसके बनाने की तिथि। दवा कब तक असरकारी है और कब इसकी एक्सपायरी डेट है, कुछ भी नहीं लिखा है। इस बारे में पूछताछ करने वाले के हाथ से दुकानदार दवा वापस छीनकर रख लेता हैं और धमकाते हैं कि लेनी है तो लो वरना चलते बनो।

    आसानी से उपलब्ध इस कीटनाशक को सल्फास के नाम से ही बेचा जा रहा है। हालांकि इस नकली कीटनाशक के नाम की स्पे¨लग में थोड़ी गड़बड़ी कर दी जाती है, जो कि आसानी से किसानों की पकड़ में नहीं आती। कुछ जगह इसके नाम के शुरुआत में अंग्रेजी अक्षर 'सी' की जगह 'एस' लिखा गया है तो किसी में 'सीइ' की जगह 'सीए'। क्षेत्र का किसान अधिक पढ़ा-लिखा नहीं होने के चलते कीटनाशक दुकानों पर भंडारित अनाज के लिए कीट मारने वाली दवा मांगते ही उसे अखबार के टुकड़े में लपेटकर सल्फास की गोलियां थमा दी जाती हैं।

    होगी कड़ी कार्रवाई : गुलिया

    कृषि उपनिदेशक पीके गुलिया से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि अभी मैं मी¨टग के सिलसिले में चंडीगढ़ आया हूं। वैसे उन्होंने बताया कि सालों पहले सल्फास के गोलियों की खुली बिक्री पर राज्य सरकार प्रतिबंध लगा चुकी है। यदि कोई कीटनाशक विक्रेता इन्हें बेच रहा है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

    पाउच में मिलने वाली दवा डालें किसान

    सहायक पौध संरक्षण अधिकारी डा. हरपाल ¨सह ने किसानों को पाउच में मिलने वाली दवा भंडारित गेहूं में डालने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस दवा को अनाज में अधिक नीचे न दबाएं क्योंकि इसमें से निकलने वाली गैस नीचे की ओर जाती है और अनाज में लगी इल्लियों को नष्ट करती है। उन्होंने कहा कि अनाज को ढककर रखें ताकि गैस बाहर नहीं निकलने पाए, तभी दवा असर करती है।