Farmers: सूरजमुखी की खरीद को लेकर विरोध की तैयारी में किसान नेता, जीटी रोड पर पुलिस ने शुरू की बैरिकेडिंग
Farmers Protest सूरजमुखी की सरकारी खरीद को लेकर किसान मंगलवार को विरोध कर सकते हैं। इसके लिए पुलिस की तरफ से भी तैयारी शुरू कर ली गई है। जीटी रोड की ओर जाने वाले रास्तों पर बैरिकेडों की दीवार खड़ी करनी शुरू कर दी है।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। सूरजमुखी की सरकारी खरीद को लेकर किसान और पुलिस आमने-सामने हो सकती है। भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के आह्वान पर किसान शहीद ऊधम सिंह स्मारक पर जुटने लगे हैं, दूसरी ओर पुलिस ने भी जीटी रोड की ओर जाने वाले रास्तों पर बैरिकेडों की दीवार खड़ी करनी शुरू कर दी है।
इसके साथ ही पुलिस मौके पर भारी पुलिस बल को तैनात किया गया है।
पुलिस आज किसी भी हालत में किसानों को जीटी रोड पर पहुंचने से रोकने के मूड में है। किसान भी पुलिस की तैयारी को देखते हुए पूरे साजो सामान के साथ पहुंचने लगे हैं। किसान बड़े-बड़े ट्रैक्टरों पर बैरिकेडों को हटाने के लिए टोचन और अन्य सामान लेकर पहुंचे हैं।
भारतीय किसान यूनियन ने सूरजमुखी की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की मांग कर रही है, जबकि सरकार ने भावांतर भरपाई के तहत किसानों की घाटे की भरपाई करने की योजना तैयार कर खरीद शुरू कर दी है। किसान इस बात पर अड़े हैं कि सरकार सीधे समर्थन मूल्य पर खरीद करे। इससे पहले किसानों ने दो जून को बैठक बुलाई थी। इस बैठक में किसानों ने प्रदेश सरकार को पांच जून तक का अल्टीमेटम दिया था। इसके बाद खरीद शुरू न होने पर छह जून को महापंचायत बुलाकर बड़ा आंदोलन करने का एलान किया था।
अंडरग्राउंड होने लगे भारतीय किसान यूनियन के नेता
सरकार को भी इस बात का पहले से अंदेशा था कि किसान मंगलवार को एकजुट होकर कोई बड़ा आंदोलन कर सकते हैं। इसी के चलते पुलिस ने किसान नेताओं पर पहले ही नजर रखनी शुरू कर दी थी। पुलिस से बचने के लिए किसान नेता भी सोमवार दोपहर बाद से ही अंडरग्राउंड होने लगे थे। उन्हें अंदेशा था कि पुलिस उन्हें रात में उठाकर हिरासत में ले सकती है।
वीडियो जारी कर भेजा संदेश
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी और भाकियू के जिलाध्यक्ष कृष्ण कलाल माजरा ने वीडियाो जारी कर किसानों को एकजुट होने का संदेश भेजा। चढूनी ने अपने संदेश में साफ किया कि किसान पूरी तैयारी के साथ पहुंचे। सरकार की मंशा ठीक नहीं है, मांग पूरी नहीं की गई तो मौके पर कुछ भी हो सकता है। इसके लिए किसानों को पहले से पूरी तैयारी करनी होगी। यह उनके लिए करो या मरो की लड़ाई है।
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