Navratra 2025: मां सती के दाहिना घुटना गिरने से बना शक्तिपीठ, कृष्ण-बलराम का हुआ था मुंडन; दर्शन मात्र से भक्त हो जाते हैं निहाल
कुरुक्षेत्र का श्री देवीकूप (भद्रकाली) मंदिर एक शक्तिपीठ है जहाँ माता सती का घुटना गिरा था। यहाँ माँ का शांत स्वरूप स्थापित है और दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। भगवान कृष्ण और बलराम का मुंडन भी यहीं हुआ था। महाभारत युद्ध से पहले कृष्ण ने पांडवों के साथ शक्ति की उपासना की थी और युद्ध जीतने के बाद घोड़े दान किए।

रीतिका एस वोहरा, कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र का श्री देवीकूप (भद्रकाली) मंदिर शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। नवरात्र व शनिवार के दिन मां के दर्शन करने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं। प्राचीन कथाओं के अनुसार, जब माता सती ने पिता दक्ष द्वारा किए गए यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे।
तब शिव बेचैन व व्याकुल होकर उनके शव को लेकर ब्रह्मांड में घूम रहे थे, तभी भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के 52 टुकड़े कर दिए थे। उनके शरीर के अंग जहां-जहां गिरे, वह स्थान शक्तिपीठ कहलाया। कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र के इसी स्थान पर देवी सती का दाहिना घुटना गिरा था। इस कारण इस मंदिर को देवीकूप के नाम से भी जाना जाता है।
अन्य कथाएं भी हैं प्रचलित
मंदिर पीठाध्यक्ष सतपाल शर्मा ने बताया कि यहां मां का शांत स्वरूप स्थापित है, जिसके दर्शनों व पूजा के लिए हरियाणा से नहीं बल्कि दिल्ली, हिमाचल, पंजाब व बंगाल आदि से श्रद्धालु पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि कहा जाता है कि सरस्वती नदी के पास देवीकूप में भगवान कृष्ण व बलराम का मुंडन भी हुआ था। वह देवीकूप यही मंदिर है।
महाभारत के युद्ध से पहले भी भगवान कृष्ण ने पांडवों के साथ धर्म युद्ध के लिए मंदिर में शक्ति की उपासना भी की थी। युद्ध जीतने के बाद मंदिर में अपने रथों के घोड़े दान किए थे।
तभी से यहां घोड़े चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने पर यहां अपने सामर्थ्य के अनुसार चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं। मंदिर में नवरात्र व शनिवार के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
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