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    'घटोगे तो कटोगे', धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से संतों ने दिया नया नारा; हिंदू आबादी घटने पर जताई चिंता

    Updated: Wed, 11 Dec 2024 12:27 PM (IST)

    अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में देशभर से आए संतों ने सनातन को लेकर चिंता व्यक्त की। संतों ने कहा कि घटोगे तो कटोगे। उन्होंने कहा कि युवाओं को प्राचीन संस्कृति से जोड़ने की जरूरत है। धर्म और सनातन की रक्षा के लिए युवाओं को जगाने की भी आवश्यकता है। मंदिरों में स्वच्छता और व्यवस्था पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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    सम्मेलन में दीप प्रज्वलित करते गजेंद्र सिंह शेखावत, संत परमात्मानंद महाराज व स्वामी ज्ञानानंद जी।

    बृजेश द्विवेदी, कुरुक्षेत्र। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से दिया गया नारा ‘एक रहोगे तो सेफ रहोगे’, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बटोगे तो कटोगे’ नारे से अलग संतों ने मंगलवार को एक नारा और दिया- घटोगे तो कटोगे।

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    अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में देशभर से आए संतों ने सनातन को लेकर चिंता व्यक्त की। संतों की यह चिंता देश के कई हिस्सों में घट रही हिंदू आबादी को लेकर थी। उन्होंने कहा कि हम संतों और मठ-मंदिरों के पुजारियों को आगे आना होगा साथ ही युवाओं को संस्कृति से जोड़ना होगा।

    गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के प्रयासों और केडीबी के तत्वावधान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हाल में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में देशभर से आए संतों ने भारतीय संस्कृति, संस्कारों और सनातन की रक्षा पर खुलकर चर्चा की।

    'समय रहते नहीं हुई चर्चा तो हिंदू हो जाएंगे अल्पसंख्यक'

    हिंदू आचार्य महासभा के महासचिव व आर्ष विद्या केंद्र राजकोट के संत परमात्मानंद महाराज ने कहा कि पुरातन से ही मंदिरों की आस्था को बरकरार रखने का कार्य हमारे पूर्वजों ने किया, लेकिन गुलामी काल खंड में मंदिरों को क्षति पहुंचाई गई। परंपराओं को लुप्त करने का प्रयास किया गया। देश में संस्कृति, संस्कार, न्याय प्राचीन काल में मंदिरों में ही होते थे। मंदिरों में ही कला, साहित्य सेवाओं का संवर्धन भी होता था।

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    इस देश की आठवीं और बारहवीं सदी के शिलालेख में इन तमाम विषयों को देखा गया, लेकिन विडंबना यह है कि आज मंदिर केवल दर्शन का केंद्र बन गए हैं। अव्यवस्था व अन्य कारणों से युवा पीढ़ी मंदिरों से विमुख हो गई है। इस अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में सभी धामों से आए संतों से प्रार्थना की जा रही है कि परंपरा में समानता लाना जरूरी है। इसके लिए समानांतर चर्चा होनी चाहिए। अगर समय रहते चर्चा नहीं हुई तो वर्ष 2050 तक हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे।

    'धर्म और सनातन की रक्षा के लिए युवाओं को जगाना जरूरी'

    उन्होंने कहा कि युवाओं को प्राचीन संस्कृति से जोड़ने की जरूरत है। मंदिरों में स्वच्छता और व्यवस्था पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि घटोगे तो कटोगे। श्रीरामजन्म भूमि अयोध्या ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि मंदिरों और तीर्थों के विकास से ही भारत का विकास होगा। इसके प्रयास सरकार की तरफ से लगातार किए जा रहे हैं और अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण करके रामलला को विराजमान किया गया है।

    इस देश की आत्मा तीर्थों और मंदिरों में बसती है। इसलिए देश को जीवित रखने के लिए मंदिरों और तीर्थों का विकास जरूरी है। इससे देश की परंपरा भी बची रहेगी। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद भी बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रही घटनाओं पर कहा कि यह सनातन पर हमला। इसकी संत समाज को चिंता करनी होगी। उन्होंने कहा कि अपने धर्म और सनातन की रक्षा के लिए युवाओं को जगाने की आवश्यकता है।

    'बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों की सुरक्षा जरूरी'

    संतों का विचार आने के बाद केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों की सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। इसके लिए सामूहिक भूमिका अहम योगदान दे सकती है।

    इसके लिए शस्त्रों का प्रयोग किए बिना सभी धामों पर यहां पहुंचे संतों और संचालकों को हिंदुओं और मंदिरों की सुरक्षा के लिए प्रतिदिन प्रार्थना करनी होगी। इससे बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं का भरोसा और धीरज बढ़ेगा।

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