धैर्य एवं सदाचार एक दूसरे के पूरक
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : इंसान के जीवन में सदाचारी होना बहुत महत्वपूर्ण है। सदाचारी व्यक्ति
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
इंसान के जीवन में सदाचारी होना बहुत महत्वपूर्ण है। सदाचारी व्यक्ति को समाज में जो सम्मान मिल सकता है वह धन-दौलत हासिल से भी प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसके साथ धैर्य सदाचार का पूरक है। बिना धैर्य के व्यक्ति को सदाचारी नहीं माना जा सकता। धैर्यवान मनुष्य अपने जीवन में सफलता जरूर प्राप्त कर सकता है। यह व्यक्ति का वह गुण है, जो हर परिस्थिति से लड़ना सिखाता है। धैर्यवान व्यक्ति मानसिक रूप से संतुष्ट होता है, जिसकी खुशियां हमेशा द्वार पर रहती हैं और दुखों को वह अपने नजदीक भी नहीं आने देता। दैनिक जागरण की ओर से बुधवार को धैर्य का सदाचार विषय पर विद्यार्थियों और शिक्षकों से बातचीत की गई।
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धैर्य से आता जीवन में सदाचार
श्रीमति केसरी देवी लोहिया जयराम पब्लिक स्कूल की प्राचार्या सविता सूदन का कहना है कि धैर्य एवं सदाचार एक दूसरे के पूरक व पर्यायवाची है। धैर्य से जीवन में सदाचार आता है और एक सदाचारी व्यक्ति ही धैर्य के महत्व को समझ सकता है। धैर्य व्यक्ति का वह गुण है जो हर परिस्थिति में उसे तटस्थ रहना सिखाता है यानि मनुष्य सुख व दुख दोनों ही स्थितियों में विचलित नहीं होता। एक धैर्यवान मनुष्य जीवन में सफलता की परम ऊंचाई के प्रत्येक ताले को खोलने में सक्षम है। सदाचार मनुष्य को चरित्रवान बनाता है, क्योंकि सदाचार सामाजिक मर्यादाओं में रहकर जीवन जीने की कला सिखाता है। एक मर्यादित व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सम्मान का अधिकारी होता है। सफलता प्राप्त करने के कई तत्व है जैसे श्रम, निष्ठा, समय की पाबंदी, उत्साह व आशावाद आदि। इन सब में धैर्य की एक अहम भूमिका रहती है। जब हम अपने प्रयासों में लगे रहते हैं व परिणाम की प्रतीक्षा करते है तो एक अधीर मन सदैव अशांत रहता है। ऐसी स्थिति में अनेक रोगों व दुर्वसनों का शिकार होने की संभावना बनी रहती है। परंतु दूसरी ओर धैर्य मन को संतुष्टि एवं शांति प्रदान करता है और मनुष्य सदैव प्रसन्नचित रहता है। अत: यह आवश्यक है कि हम जीवन में सदाचार को आत्मसात करते हुए धैर्य को अपने आचार व व्यवहार का अभिन्न अंग बनाए।
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धैर्य सफलता की कुंजी
कक्षा 11वीं की छात्रा रीतिका गाबा के अनुसार सदाचार और धैर्य दोनों ही सफलता की कुंजी है। दोनों का ही जीवन में अपना-अपना महत्व है। दोनों के बिना हमारा जीवन व्यर्थ है। सदाचार दो शब्दों के मेल से बना है सत और आचार अर्थात हमेशा अच्छा आचरण करना। सदाचार एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति में सामाजिक वातावरण तथा पारिवारिक माहौल के कारण उत्पन्न होता है। हमें हर माहौल में अपने जीवन में सदाचार को पूरी गंभीरता से शामिल करना चाहिए। इस प्रकार हम अपने जीवन को तो श्रेष्ठ करेंगे ही साथ ही औरों के लिए भी मार्गदर्शक और प्रेरणादायी बनेंगे। संसार में रहते हुए विपरीत परिस्थितियां अथवा आपत्तियां आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, ¨कतु जो अपने विवेक को धारण किए हुए धैर्य के साथ आगे बढ़ता है वही संसार में इतिहास रचता है। परंतु आजकल के युवाओं में सदाचार और धैर्य के गुणों का अभाव होता जा रहा है, जिससे आए दिन भ्रष्टाचार, अपराध और आपराधिक घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है। उसका कहना है कि आपत्तियां हमारे विवेक और पुरुषार्थ को चुनौती देने आती है। जो इस परीक्षा में पास हो जाता है वही इतिहास रचता है तथा यश की जयमाल पहनता है। संसार में जितने भी महापुरूष हुए है उनकी महानता का कारण धैर्य एवं सदाचार ही रहा है। आज के युवा ही कल का भविष्य है तो आज के युवाओं को प्रण लेना चाहिए कि वे अपने जीवन में सदाचार और धैर्य को पूरी गंभीरता और अनुशासन से अपनाए।
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अच्छे आचरण से जीवन होता सुखी
कक्षा नौवीं की छात्रा मनप्रीत का कहना है कि सदाचार शब्दों दो शब्दों के मिश्रण से बनता है सत और आचार। इसका अर्थ यह है कि अच्छा आचरण होना। सदाचार व्यक्ति और समाज दोनों का हित करता है। सदाचार के प्रमुख लक्षण है। सत्य, अ¨हसा, प्रेम, उदारता, सदस्यता। जो व्यक्ति अपने जीवन में इन्हें चरितार्थ करता है, वह सदाचारी कहलाता है और कहा गया है कि अच्छी शिक्षा के साथ-साथ सत्संगति भी अनिवार्य गुण है मानव जिस प्रकार के लोगों के साथ रहेगा। उनकी विचारधारा व्यसन या आदतें उसे अवश्य प्रभावित करेगी। सत्संगति नीच व्यक्ति को भी उत्तम बना देती है। कीड़ा भी फूलों की संगति पाकर सज्जनों के सिर शोभा बनता है। चरित्रवान बनना प्रत्येक इंसान का कर्तव्य है व धैर्य के बिना सदाचार संभव नहीं है। धैर्य की हमारे जीवन में बहुत आवश्यकता है। अत हमारा प्रमुख कर्तव्य यही है कि हम चरित्रवान बने। विशेषकर छात्र-छात्राओं को तो इस दिशा में भागीरथ प्रयत्न करने चाहिए। तभी हम आगे बढ़ सकते हैं।
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सदाचार से मिलती है प्रतिष्ठा
नौवीं की छात्रा जशन के अनुसार सदाचार का अर्थ है अच्छा व्यवहार। सदाचार चरित्रवान बनाता है। मानव जीवन में सदाचार का बहुत महत्व होता है। सदाचार से व्यक्ति को अनेक लाभ होता है। सदाचार से व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। सदाचार के अंतर्गत जिन गुणों की अपेक्षा की जाती है वे सत्य, अ¨हसा के मार्ग पर चलना, दूसरों की सहायता करना, बड़ों का आदर सतकार करना आदि। सदाचार मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र होता है। सदाचारी में आत्म विश्वास होता है। सफल जीवन के लिए सदाचारी होना अति आवश्यक है। शिक्षा, सत्संगति का संयोग व्यक्ति को सदाचारी बनाता है। बच्चों के चरित्र निर्माण में परिवार ओर समाज की महत्वपूर्ण भूमिका है। दोनों संस्थाओं की जीवन में होना बहुत जरूरी है। धैर्य, सदाचारी के गुण यदि व्यक्ति में आ जाते हैं। तो फिर उसे अन्य वस्तु की आवश्यक ही नहीं रह जाती।
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जीवन का सर्वाेत्तम गुण सदाचार
कक्षा नौवीं की छात्रा नवनीत कौर का कहना है कि मानव जीवन का सर्वोत्तम जीवन गुण सदाचार ही है। यह सभी धर्मों का सार है। यह मनुष्य को उच्च एवं वंदनीय बनाता है। इसके अभाव में मनुष्य समाज में सम्मान प्राप्त नहीं कर सकता। किसी विद्वान का कथन है कि धन नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट नहीं हुआ स्वास्थ्य नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट हो गया, लेकिन चरित्र नष्ट हो गया तो सब कुछ नष्ट हो गया। सदाचार के समक्ष धन और स्वास्थ्य तुच्छ है। यह एक देवी शक्ति है। वास्तव में सदाचार ही सर्वश्रेष्ठ मानव धर्म है। सदाचारी में अनेक गुण विद्यमान होते हैं। वह सत्य का अनुगामी होता है। वह काम, क्रेाध, लोभ तथा मोह के माया जाल में नहीं फंस सकता। सदाचारी त्यागी और संवेदनशील होता है। वह अभिमान से कोसों दूर रहता है। स्पष्टवादी होने पर भी वह दूसरों की भावनाओं को ठेस नहीं होने देता।
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अन्य से श्रेष्ठ साबित करता
कक्षा नौवीं की छात्रा तृप्ति नरूला का कहना है कि सदाचार वह गुण है जिसके बिना इंसान समाज में पशु के समान है। सदाचार मानव को अन्य मानव से श्रेष्ठ साबित करता है। मानव को समस्त जीवों में श्रेष्ठतम माना जाता है, क्योंकि मानव ने अपने विवेक और सदाचार से अपनी महानता सर्वत्र साबित की है, जो व्यक्ति इस गुण को पाता है वे समाज के लिए
मार्गदर्शक और प्रेरणादायी होता है। अगर हम इतिहास के पन्नों में झांक कर देखें तो जितने भी महापुरूष, महान कवि, महान लेखक तथा महान व्यक्ति हुए है। सभी ने सदाचार को अपने जीवन में अपनाया है। हमें अपने जीवन में सदाचार को पूरी गंभीरता से शामिल करना चाहिए। इस प्रकार हम अपने जीवन को तो श्रेष्ठ करेंगे। साथ ही औरों के लिए भी प्रेरणादायी बनेंगे। धैर्य हमारे लिए हमारी सफलता की कुंजी होती है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जो लोग उतावले न होकर जो धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं वे अवश्य ही सफलता प्राप्त करते हैं और जो व्यक्ति छलांग लगाकर जल्दी ही लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं वे असफल हो जाते हैं। धैर्य के साथ हम हर चुनौती को पार कर सकते हैं।
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धैर्य मनुष्य को श्रेष्ठ बनाता
कक्षा 11वीं की छात्रा ज्योतिका बाजवा के अनुसार सदाचार का अर्थ है कि हमेशा अच्छा आचरण करना और धैर्य का अर्थ होता है संयम या धैर्य धारण करना। सदाचार और धैर्य ये दो ऐसे गुण है जो मनुष्य को श्रेष्ठ बना देते हैं। मानव को समस्त जीवों में श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि उसमें ये दोनों गुण विद्यमान होते हैं। सदाचार और धैर्य के गुण मानव में सामाजिक वातावरण तथा पारिवारिक माहोल से उत्पन्न होते हैं। जो व्यक्ति इन गुणों को आत्मसात कर पाता है वह समाज के लिए मार्गदर्शक और प्ररेणादायी होती है। अगर हम इतिहास के पन्नों में झांके तो जितने भी महापुरुष, कवि, लेखक तथा महान व्यक्ति पैदा हुए है सभी ने सदाचार और धैर्य के गुणों को आत्मसात किया और इन्हें अपनाया। लेकिन आज के युवाओं में इन गुणों का अभाव है, जिससे कि अपराधिक मामलों में वृद्धि हो रही है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे राष्ट्र के विकास पर भी पड़ रहा है। आज के युवाओं को यह प्रण लेना चाहिए कि वे अपने जीवन में इन गुणों को अपनाएंगे।
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