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    तो अभी करना होगा इंतजार? हरियाणा में किसानों के सामने बड़ी चुनौती, बाढ़ में तबाह हई फसल का देरी से मिलेगा मुआवजा

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 09:21 AM (IST)

    हरियाणा में बाढ़ और बारिश से प्रभावित किसानों को फसल नुकसान के मुआवजे के लिए इंतजार करना पड़ सकता है क्योंकि प्रदेश में पटवारियों की कमी है। 6397 गांवों के 5.30 लाख किसानों ने मुआवजे के लिए आवेदन किया है लेकिन केवल 1500 पटवारी ही उपलब्ध हैं। फिजिकल सत्यापन में एक महीने से अधिक का समय लग सकता है जिससे गेहूं की बिजाई तक मुआवजा मिलना मुश्किल है।

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    Haryana News: हरियाणा में किसानों के सामने बड़ी चुनौती (File Photo)

    सोमदत्त शर्मा, करनाल। हरियाणा में बाढ़-वर्षा से प्रभावित किसानों को फसल खराबे के मुआवजे के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। प्रदेश में पटवारियों की कमी इस प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर रही है।

    वर्तमान में हरियाणा में केवल 1,500 पटवारी हैं, जबकि 6,397 गांवों के 5.30 लाख किसानों ने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 31 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में नुकसान का दावा किया है। इसमें एक माह तक का समय लगेगा। ऐसे में गेहूं बिजाई तक ही मुआवजा मिलना संभव है।

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    दरअसल पिछले तीन दिनों में केवल तीन लाख एकड़ का ही सत्यापन हो पाया है। द रेवेन्यू पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन के राज्य प्रधान जयवीर चहल के अनुसार औसतन 31 लाख एकड़ की फिजिकल सत्यापन में एक माह से अधिक का समय लग सकता है।

    दूसरी समस्या, तकनीकी आधार पर पटवारियों की लॉगिन आईडी की है। सिरसा से जिला कानूनगो पटवारी एसोसिएशन के प्रधान लाभ सिंह ने बताया कि सिरसा में केवल 50 पटवारियों की लागिन आइडी है, जिन पर वे क्षतिपूर्ति पोर्टल पर आए आवेदनों का सर्वे कर रहे हैं।

    एचकेआरएन और नए अंडर ट्रेनी पटवारियों को सर्वे का काम नहीं सौंपा गया है। एक पटवारी के पास 6 से 7 गांवों का चार्ज है, जिससे वर्कलोड बहुत बढ़ गया है।

    अभी फील्ड में जाने में पटवारियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। महेंद्रगढ़, पंचकूला, सोनीपत में तो एक एकड़ भी जमीन पटवारी से सत्यापित नहीं हो पाई है। इस स्थिति में पटवारी औसतन एक लाख एकड़ की गिरदावरी ही कर पा रहे हैं।

    अगर गति यही रही तो इसमें पूरे एक माह का समय लगेगा। ऐसे में किसानों को गेहूं बिजाई से पहले मुआवजा मिलता नजर नहीं आ रहा है।

    15 दिन का अतिरिक्त समय मिला, पर बात नहीं बन रही ऑनलाइन पोर्टल पर ब्योरा दर्ज कराने की अंतिम तिथि 15 सितंबर को समाप्त हो गई। फिर 16 सितंबर से प्रदेशभर में विशेष गिरदावरी की प्रक्रिया शुरू की गई।

    राजस्व विभाग के अनुसार, सामान्य गिरदावरी हर साल 5 अगस्त से 5 सितंबर तक होती है, लेकिन इस बार लगातार बारिश के कारण यह कार्य पूरा नहीं हो सका। इसी कारण सरकार ने विशेष गिरदावरी के लिए 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया है। विशेष गिरदावरी की रिपोर्ट 25 सिंतबर तक पूरी करने की डेडलाइन सरकार ने तय की है।

    हरियाणा में 1500 पटवारी हैं

    प्रदेशभर में 1,500 से करीब पटवारी हैं। 2,600 पटवारी अंडर ट्रेनिंग हैं। अभी उनको गिरदावरी की समझ नहीं है। लोड 1500 पटवारियों पर ही हैं। सरकार की ओर से 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है, लेकिन गिरदावरी इतनी जल्दी में नहीं हो सकती है।

    इसमें समय लगना लाजिमी है। सरकार से मांग है कि पटवारियों के सभी पदों को भरा जाए। एक-एक पटवारी के पास दस दस गांवों का चार्ज है। -जयवीर चहल, राज्य प्रधान, द रेवेन्यू पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन

    भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतन मान कहते हैं कि किसानों को मुआवजा देने के नाम पर सभी सरकारें ऐसा करती आई हैं। जब किसान पराली जलाता है तो सेटेलाइट से फोटो लेकर उस पर जुर्माना और केस किया जाता है। अब जब फसल खराब हुई है तो फिजिकल वेरिफेशन की जरूरत ही नहीं है, सेटेलाइट से नुकसान का आंकलन कर गेहूं बिजाई से पहले किसानों को मुआवजा दिया जाए। 

    क्षेत्र पटवारी के पास लंबित