छायादार, फूलदार पौधे लगा घर को श्योकंद ने बनाया हरा भरा
यदि मनुष्य को लंबा जीवन जीना है तो अधिक से अधिक पौधे लगाने होंगे। क्योंकि पेड़ पौधे हमें ऑक्सीजन ही नहीं बल्कि फल फूल जड़ी बूटियों के अलावा ठंडी छाया भी देते हैं।

सोनू थुआ, कैथल: यदि मनुष्य को लंबा जीवन जीना है, तो अधिक से अधिक पौधे लगाने होंगे। क्योंकि पेड़ पौधे हमें ऑक्सीजन ही नहीं, बल्कि फल, फूल, जड़ी बूटियों के अलावा ठंडी छाया भी देते हैं। इसलिए पर्यावरण को संरक्षित रखने में पेड़ पौधे बहुत जरूरी हैं। पेड़-पौधे ही मनुष्य को जीवनदायिनी आक्सीजन देते हैं। ऐसे में पेड़ पौधे जीवन को बचाने के साथ पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं। वहीं समाज में आज भी कई लोग पर्यावरण के साथ लोगों को बीमारियों से बचा रहे हैं।
हुडा सेक्टर पॉश कालोनी 18 निवासी सुरेंद्र श्योकंद ने अपने घर की बालकनी में 150 के करीब फूलदार, फलदार व छायादार पौधे लगाकर घर को हरा भरा बना दिया है। सुरेंद्र पेशे से जेबीटी अध्यापक है। उनका कहना है कि पौधे रोपित कर घर व आसपास के वातावरण को खुशनुमा रख सकते है व ऑक्सीजन प्राप्त कर सकते है। इससे पर्यावरण तो साफ-सुथरा रहता है बीमारियां भी कम फैलती है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया है कि घर व खाली पड़ी जमीन में ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं। घर में गमलों में पौधे लगा सकते है।
ये पौधे लगाएं हुए है सुरेंद्र
सुरेंद्र श्योकंद ने छायादार में कदंब, नीम, बकायन, पिलखन, पीपल, शीशम व डेक व फलदार में आम, जामुन, अमरूद, नींबू, आंवला, चिकू व किन्नू के पौधे घर के पास खाली पड़ी जमीन में लगाएं हुए हैं। वहीं घर की बालकनी में गमलों को रखकर औषधिय पौधे तुलसी, मंधुनाशनी, हींग, हार सिगार, अर्जुन, कढ़ी पत्ता, गिलोय व पत्थर चट्टा के पौधे लगाएं हुए हैं। घर की छत पर गुडहल, सदाबहार, गेंदा, गुलदाऊदी, गुलमोहर के पौधे प्लास्टिक की बाल्टियों व वेस्ट चीज में लगाएं हुए हैं। घर की चारों तरफ की दीवार पर सजावटी पौधे बोतल पाम, दैजा पाम, फैंगस व अशोक के पौधे लगाएं हुए हैं।
बॉक्स : पार्क बनाकर बीच में रखे हए है बैंच
अपने लगाएं गए पौधों के बीच अध्यापक ने बैंच लगाएं हुए है। शाम के समय उन बैचों पर बैठकर योग करते है। उनका कहना है कि शरीर में ताजगी आती है। ऑक्सीजन की समस्या नहीं रहती है। स्वस्थ रहते है। डाक्टर को जाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
देसी खाद का करते है प्रयोग-
अध्यापक सुरेंद्र श्योकंद बताते है कि सभी पौधों में गाय व भैंस के गोबर का देशी खाद प्रयोग करते है। समय समय अनुसार डॉक्टरों को पौधे दिखाएं जाते हैं। देशी खाद से पौधा अच्छा तैयार होता है। जल्दी फल देता है। ऑक्सीजन भी देशी खाद देने वाले पौधों से ज्यादा मिलती है।
दो घंटे सुबह व शाम को करते है देखभाल
अध्यापक सुरेंद्र बताते हैं कि उनकी पत्नी राजबाला भी अध्यापक है। सुबह व शाम दो मिलकर पौधों की देखभाल करते है। बाहर से कम ही फल लेकर आते हैं। अमरुद, नींबू, जामुन घर पर लग जाती हैं। सुबह व शाम अध्यापक व अध्यापिका दोनों पौधों को पानी देते है। सुबह के समय ड्यूटी पर जाने से पहले व शाम को आने के बाद दो घंटे देखभाल पौधों की करते है। बगीचा मकान के बराबर में तैयार कर ली है। सुबह व शाम के समय वहां पर बैठकर योग करते है। सब्जियों में भिडी, तोरी, घिया, करेला को भी घर पर ही तैयार करते है।
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