विज के अंबाला कैंट अस्पताल में 42 की जगह हैं 48 डॉक्टर, जींद में 55 में से 16
जागरण संवाददाता, जींद जिला मुख्यालय पर नागरिक अस्पताल में अब इलाज के नाम पर खानापूर्ति ही ह
जागरण संवाददाता, जींद
जिला मुख्यालय पर नागरिक अस्पताल में अब इलाज के नाम पर खानापूर्ति ही हो रही है। जींद सहित उचाना, नरवाना, सफीदों के अस्पतालों में डॉक्टरों की संख्या लगातार घटती जा रही है। जबकि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के क्षेत्र अंबाला कैंट अस्पताल में सैंक्शन पदों से ज्यादा डॉक्टर हैं। वहां डॉक्टरों के 42 पद सैंक्शन हैं, जबकि ड्यूटी पर 48 डॉक्टर हैं। वहीं मुख्यमंत्री मनोहरलाल के क्षेत्र करनाल के अस्पतालों में डॉक्टरों के लगभग सभी पद भरे हुए हैं। इसी तरह हिसार और रोहतक में डॉक्टरों के लगभग सभी पद भरे हुए हैं। खास बात यह है कि ये सभी अर्बन सिटी हैं और यहां सरकारी अस्पतालों में ओपीडी कम है। जबकि जींद पूर्णतया ग्रामीण जिला है और यहां के गरीब लोग सरकारी अस्पतालों में ज्यादा आते हैं। लेकिन डॉक्टरों के हालात उलट हैं।
जींद के नागरिक अस्पताल में डॉक्टरों के 55 पद मंजूर हैं, जिनमें से अब 16 ही रह गए हैं। लेकिन इनमें से कुछ डॉक्टर छुट्टी पर रहते हैं तो कुछ की दूसरे कार्यों में ड्यूटी लगा दी जाती है। कुल मिलाकर आधे डॉक्टर भी ओपीडी के लिए मौजूद नहीं रहते हैं। दो नेत्र रोग विशेषज्ञों का तबादला होने के कारण अब हर सोमवार व मंगलवार को नरवाना से डॉ. देवेंद्र ¨बदलिश जींद आते हैं। इसी तरह जुलाना से फिजिशियन डॉ. नरेश वर्मा भी सोमवार व बुधवार को जींद अस्पताल में सेवाएं देते हैं। इस तरह जुगाड़ के सहारे जींद का नागरिक अस्पताल चल रहा है। स्थानीय नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और मीडिया के जरिए स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी यह बात कई बार लाई जा चुकी है, लेकिन डॉक्टरों की नियुक्ति कराने में सभी फेल हो रहे हैं।
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हड्डी रोग विशेषज्ञ 31 तक छुट्टी पर गया
जींद नागरिक अस्पताल में कुछ महीने पहले हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. संतलाल बैनीवाल आए थे। करीब एक महीने पहले उनका तबादला फतेहाबाद कर दिया गया था, लेकिन जिला प्रशासन ने उनका तबादला रुकवाने के लिए मुख्यालय को चिट्ठी भेज दी थी। उन्हें अभी तक रिलीव भी नहीं किया गया है। वह 31 अक्टूबर तक छुट्टी पर चले गए हैं। इससे हड्डियों के मरीजों को परेशानी हो रही है।
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बुरा हाल: ओपीडी में भीड़, दो डॉक्टर खेल महाकुंभ में भेजे
नागरिक अस्पताल में गांवों से आने वाले गरीब लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। ओपीडी के लिए पहले ही डॉक्टरों का टोटा चल रहा है। वहीं बृहस्पतिवार को दो डॉक्टरों को तीन दिन के लिए अर्जुन स्टेडियम में खेल महाकुंभ में एंबुलेंस के साथ तैनात कर दिया। ओपीडी के नाम पर मरीजों को दर्द निवारक गोलियां देकर टरकाया जा रहा है। यही नहीं, 58 साल की रिटायरमेंट के बाद 65 साल तक एक्सटेंशन पाने वाले दो डॉक्टर लाखों रुपये वेतन ले रहे हैं, लेकिन ओपीडी नहीं कर रहे हैं।
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इधर.. मंत्री को ही ठेंगा दिखा रहे डॉक्टर
स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशक ने 28 सितंबर को तीसरी बार सभी सिविल सर्जन को पत्र जारी किया था कि सभी एमबीबीएस और बीडीएस काडर के सभी अधिकारी अपने कार्य के अतिरिक्त क्लीनिकल ड्यूटी जरूर करेंगे। सीएमओ सप्ताह में एक दिन, पीएमओ, एमएस, सभी डिप्टी सिविल सर्जन और एसएमओ को सप्ताह में दो दिन ड्यूटी करनी पड़ेगी। लेकिन जिले के कई डॉक्टर मंत्री अनिल विज के आदेशों को ही ठेंगा दिखा रहे हैं।
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--नोटिस बोर्ड पर गलत सूचना
नागरिक अस्पताल में हर रोज कितने डॉक्टर ड्यूटी पर रहते हैं, इसकी जानकारी नई बिल्डिंग में लगे बोर्ड पर रोज अपडेट होती है। अब इसको सही तरीके से अपडेट नहीं किया जा रहा है। वीरवार को इस बोर्ड के हिसाब से आठ डॉक्टर ही ड्यूटी पर मौजूद थे। ड्यूटी पर तैनात एक डॉक्टर के नाम के आगे टिक नहीं लगा हुआ था।
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