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    पिता के जाते ही बुरी तरह रोने लगा बेटा, बच्चे की कस्टडी को लेकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सुनाया फिर ये फैसला

    पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले में मां की बच्चे की कस्टडी की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि बच्चा अपने पिता के साथ खुश है और उसे वहां से हटाना बच्चे के हित में नहीं है। अदालत ने मां के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बच्चे की देखभाल पिता बेहतर तरीके से कर रहे हैं इसलिए कस्टडी में बदलाव करना उचित नहीं है।

    By Dayanand Sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 10 Apr 2025 12:51 PM (IST)
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    तीन साल छह महीने के बच्चे की कस्टडी मां को देने से हाई कोर्ट का इनकार (जागरण फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने तीन साल छह महीने के बच्चे की अंतरिम कस्टडी मां को देने से इनकार कर दिया है।

    जस्टिस विक्रम अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा कि बच्चा अपने पिता के साथ खुश है और उसे वहां से हटाना उसके सर्वोत्तम हित में नहीं होगा।

    अदालत ने मां द्वारा पिता पर दूसरी महिला से संबंध होने के लगाए गए आरोपों को विचार के लायक नहीं माना और कहा कि ऐसे आरोप अक्सर वैवाहिक विवादों में लगाए जाते हैं।

    मतभेदों के कारण आई तलाक की नौबत

    कोर्ट उस याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें जींद फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पत्नी की अंतरिम कस्टडी की मांग को खारिज कर दिया गया था। दंपति की शादी 2019 में हुई थी, लेकिन आपसी मतभेदों के चलते तलाक के लिए याचिका दायर की गई।

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    साल 2021 में दोनों पक्षों ने संयुक्त बयान देकर कहा कि सभी विवाद सुलझा लिए गए हैं और बच्चे की कस्टडी पिता को सौंपी जा रही है, साथ ही पत्नी ने भविष्य में कस्टडी या मुलाकात का कोई अधिकार न रखने की बात मानी थी।

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    2024 में जताई बच्चे की कस्टडी लेने की इच्छा

    हालांकि, 2024 में पत्नी फैमिली कोर्ट में पेश हुई और उसने तलाक नहीं लेने और बच्चे की कस्टडी वापस पाने की इच्छा जताई। इसके बाद उसने गार्जियन एंड वॉर्ड्स एक्ट की धारा 7 और 25 के तहत याचिका दायर की, जो खारिज कर दी गई।

    हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम, 1956 की धारा 6 के अनुसार, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे की कस्टडी सामान्यत मां को दी जानी चाहिए, लेकिन यह सामान्य स्थिति नहीं है।

    कोर्ट ने पाया कि पति डिजिटल मार्केटिंग का काम करते हैं और घर से कार्यरत रहते हैं, जिससे वे बच्चे की अच्छी देखभाल कर पा रहे हैं, जबकि पत्नी केवल 10,000 रुपये ट्यूशन से कमाती हैं।

    पिता को छोड़ने से बच्चे ने किया इनकार 

    जस्टिस अग्रवाल ने यह भी बताया कि जब बच्चे से व्यक्तिगत रूप से बातचीत की गई और पिता को कुछ समय के लिए बाहर भेजा गया, तो बच्चा जोर-जोर से रोने लगा और पिता को छोड़ने से इनकार कर दिया।

    अदालत ने कहा कि इतने छोटे बच्चे उस अभिभावक से चिपके रहते हैं जिसके साथ वे अधिक समय तक रहते हैं। यदि अब मां को कस्टडी दी जाती है और फिर बाद में पिता को दी जाए, तो बच्चा फिर से वैसा ही व्यवहार कर सकता है।

    इसलिए अदालत ने कहा कि यह कोई सामान्य मामला नहीं है और पिछले एक साल से अधिक समय से बच्चा पिता के पास रह रहा है। ऐसे में जबरन कस्टडी मां को सौंपना बच्चे की मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। इसी आधार पर अदालत ने मां की याचिका खारिज कर दी।

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