No Smoking: बस में धूम्रपान करना पड़ा भारी, उपभोक्ता आयोग ने यात्री को 15 हजार रुपये मुआवजा देने का दिया आदेश
अगर धूम्रपान करने से किसी दूसरे को परेशानी है और वह शिकायत करता है तो मुआवजा भी मिल सकता है। हरियाणा राज्य परिवहन के मामले में उपभोक्ता आयोग ने जो फैसला दिया है वह इसका संकेत देता है। आयोग ने हरियाणा राज्य परिवहन को आदेश दिया है कि उस यात्री को 15 हजार रुपये मुआवजा दे जिसने साथी यात्रियों और बस ड्राइवर के धूम्रपान करने से आपत्ति जताई थी।

माला दीक्षित, नई दिल्ली। यूं तो सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान अपराध है, लेकिन अगर धूम्रपान करने से किसी दूसरे को परेशानी है और वह शिकायत करता है तो मुआवजा भी मिल सकता है। हरियाणा राज्य परिवहन के मामले में उपभोक्ता आयोग ने जो फैसला दिया है वह इसका संकेत देता है। आयोग ने हरियाणा राज्य परिवहन को आदेश दिया है कि उस यात्री को 15 हजार रुपये मुआवजा दे जिसने साथी यात्रियों और बस ड्राइवर के धूम्रपान करने से आपत्ति जताई थी।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने तीन अलग-अलग मामलों में पांच-पांच हजार का कुल 15000 रुपये मुआवजा पीड़ित यात्री को दिये जाने के राज्य उपभोक्ता आयोग के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। यह फैसला एनसीडीआरसी के सदस्य जस्टिस सुदीप अहलूवालिया ने गत 17 अक्टूबर को दिया है।
क्या है मामला?
अशोक कुमार प्रजापति ने हरियाणा राज्य परिवहन विभाग के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में तीन शिकायतें दाखिल कीं। इसमें कहा गया कि उसने 29 सितंबर 2018 को चंडीगढ़ से जींद तक की यात्रा की और 185 रुपये की बस टिकट ली। फिर 31 जनवरी 2019 को 220 रुपये की टिकट चंडीगढ़ जाने की ली और 27 फरवरी 2019 को अंबाला कंटेनमेंट जाने की 35 रुपये की हरियाणा ट्रांसपोर्ट रोहतक की बस टिकट ली।
पीड़ित को घुटन और परेशानी का सामना करना पड़ा
तीनों ही शिकायतों में मुख्यता यही आरोप लगाया गया था कि सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडेक्ट एक्ट 2003 के मुताबिक सार्वजनिक स्थानों और सार्वजनिक वाहनों में धूम्रपान पर रोक होने के बावजूद उसे इन तीनों यात्राओं के दौरान सहयात्रियों और ड्राइवर के धूम्रपान के कारण बहुत ज्यादा घुटन, असुरक्षा और परेशानी का सामना करना पड़ा। उसने अधिकारियों से शिकायत की लेकिन उचित कार्रवाई नहीं हुई सिवाय कुछ जुर्माना लगाए जाने के।
जिला उपभोक्ता फोरम ने शिकायतें खारिज कीं
शिकायत में प्रदूषित और भय के वातावरण में यात्रा करने और मानसिक आघात और असुरक्षा के लिए मुआवजा की मांग की। जिला उपभोक्ता फोरम ने शिकायतें खारिज कर दीं। शिकायतकर्ता ने जिस पर चंडीगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। राज्य आयोग ने अपील स्वीकार की और कहा कि जिला फोरम धूम्रपान और परोक्ष धूम्रपान से होने वाले नुकसान की गंभीरता को समझने में नाकाम रही है।
200 या 1000 का जुर्माना भर लगाना पर्याप्त नहीं
यह भी कहा कि विभाग द्वारा 200 या 1000 का जुर्माना भर लगाना पर्याप्त नहीं है। राज्य आयोग ने मुआवजा देने का आदेश दिया था जिसके खिलाफ हरियाणा राज्य परिवहन के डायरेक्टर जनरल ने राष्ट्रीय आयोग में अपील की थी। राष्ट्रीय आयोग ने अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया है।

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