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    महाबीर गुड्डू ने हरियाणवी संस्कृति को विश्व में चमकाया

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 25 Jan 2021 09:40 AM (IST)

    हरियाणा की संस्कृति को देश-विदेश में पहचान दिलाने वाले कलाकारों की लिस्ट उठाएं तो महाबीर गुड्डू का नाम अग्रिम पंक्ति में आता है।

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    महाबीर गुड्डू ने हरियाणवी संस्कृति को विश्व में चमकाया

    कर्मपाल गिल, जींद

    हरियाणा की संस्कृति को देश-विदेश में पहचान दिलाने वाले कलाकारों की लिस्ट उठाएं तो महाबीर गुड्डू का नाम अग्रिम पंक्ति में आता है। उन्होंने शिव गायन और बम लहरी को पहली बार कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में मंच पर जगह दी। यही नहीं, धोती-कुर्ता में सोलो डांस का जनक भी गुड्डू को ही माना जाता है।

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    हिसार डिवीजन के मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर का एडीशनल डायरेक्टर नियुक्त हुए महाबीर गुड्डू से दैनिक जागरण ने विस्तार से बातचीत की। गुड्डू कहते हैं कि 15 अगस्त को उन्हें मंच पर 50 साल पूरे हो जाएंगे। इस दौरान हरियाणवी संस्कृति को आगे बढ़ाने में बहुत काम किया। शिव गायन को साधु संत गाते थे। उन्होंने धोती, कुर्ता व खंडका पहनकर मंच पर शिव गायन किया। इसी तरह बम लहरी को जंगम जोगी गलियों व मेलों में गाते थे। मैं अपना सौभाग्य मानता हूं कि भगवान के आदेश पर उसे मंच पर जगह दी। बम लहरी को हरियाणा ही नहीं, देश-विदेश में अलग पहचान दिलाई। नाहर सिंह की वीर गाथा को सैकड़ों बार मंचों पर गाकर युवाओं में देशभक्ति का जोश भरा। घोड़ा नाच भी विलुप्त हो चुका था। राजस्थान में यह चलन में है। साथी कलाकार जगबीर राठी के साथ मिलकर घोड़ा नाच को नया आयाम दिया। अब हर यूथ फेस्टिवल के मंचों पर घोड़ा नाच की धूम रहती है। गुड्डू बताते हैं कि पहले कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में लड़के दामण पहनकर यूथ फेस्टिवल में डांस करते थे। पहली बार उन्होंने धोती-कुर्ता पहनकर मर्दाना डांस की शुरुआत की और नई पहचान दिलाई। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अनूप लाठर के साथ मिलकर हरियाणवी आर्केस्ट्रा को मंच दिया। इसके देश-विदेश में सैकड़ों शो किए, जिनमें सभी कलाकार गांव के होते थे। गुड्डू कहते हैं कि हरियाणा की कला-संस्कृति बहुत समृद्ध है और ज्ञान का संगम है। कला-संस्कृति से जो व्यक्ति दिल से जुड़ जाता है, वह कभी बुरे कर्म नहीं करेगा। हमारे बुजुर्ग रागनियों व सांग सुनते थे, इसलिए उनमें आपसी प्यार, भाईचार, ईमानदारी, सात्विकता, सत्यता थी। अब की युवा पीढ़ी बेहूदे गाने सुनती है, इसलिए उनमें संस्कारों की कमी हो गई है। जैसा हम सुनते व देखते हैं, वैसा ही हम कर्म करते हैं। इसलिए मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर में एडिशनल डायरेक्टर की जिम्मेदारी को दिल से निभाउंगा। लोगों के बीच अच्छे कार्यक्रम लेकर आएंगे। कलाकारों व कला परिषद के बीच की मजबूत कड़ी बनूंगा।

    देश-विदेश में मिला सम्मान

    जींद जिले के गांव गांगोली निवासी महाबीर गुड्डू बताते हैं कि उन्होंने नाहर सिंह की वीर गाथा के अलावा पंडित लख्मीचंद, चौ. देवीलाल, चौ. रणबीर सिंह, चौ. छोटूराम की जीवन गाथा भी गाई है। बूढ़े सबके होते हैं। 1998 में वह अमेरिका गए। इस दौरान न्यूयॉर्क व न्यूजर्सी में कई हरियाणवी कार्यक्रम पेश किए। लंदन में दो बार गया और हरियाणा गौरव मिला। लंदन से इंडियन हाई कमीशन ने 21 अगस्त 2016 को प्रशंसा पत्र भेजा। हरियाणा सरकार ने 2010 में पंडित लख्मीचंद राज्य पुरस्कार और 2014 में हरियाणा कला रत्न पुरस्कार मिला। वर्ष 2019 में शिक्षा विभाग ने पंडित लख्मीचंद शिक्षा एवं संस्कृति पुरस्कार राज्यपाल के हाथों दिलवाया। मार्च 1980 में उनकी अगुआई में जींद कॉलेज का डांस नेशनल लेवल पर प्रथम आया। जयपुर में पनिहारिन-80 ऑल इंडिया यूथ फेस्टिवल पहले नंबर पर रहा।