कनाडा में नौकरी, करोड़ों का पैकेज... फिर सब कुछ छोड़कर क्यों बने संन्यासी, पढ़ें IITian बाबा अभय सिंह की कहानी
Mahakumbh 2025 प्रयागराज के महाकुंभ में देखे गए अभय सिंह की कहानी हैरान करने वाली है। आईआईटी मुंबई से एरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने फोटोग्राफी की दुनिया में कदम रखा। दो साल तक फोटोग्राफी करने के बाद उन्होंने कनाडा में करोड़ों के पैकेज वाली नौकरी की। लेकिन कोविड के दौरान उन्होंने सब कुछ छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया।

अमित पोपली, झज्जर। Who is IITian Baba Abhay Singh: करीब 9 साल पहले, इंस्टाग्राम पर डाली पोस्ट में अभय सिंह खुद से एक सवाल कर रहे है, आप कहां हैं और कहां जाना चाहते हैं, क्या महत्वपूर्ण है और क्या नहीं, जरूरतों और इच्छाओं के बारे में सोचना, और सोचने के बारे में सोचना...।
देखा जाए तो यहां से अभय सिंह की उस नई यात्रा की शुरुआत हुई, जब उन्होंने आईआईटी मुंबई से एरोस्पेस इंजीनियरिंग और विजुलाइजेशन की मास्टर डिग्री को पीछे छोड़ फोटोग्राफी की तरफ अपना कदम बढ़ाया।
दो साल तक फोटोग्राफी, फिर करोड़ों के पैकेज में दो साल कनाडा नौकरी करने के बाद कोविड के दौर में सभी कुछ छोड़ वापस भारत में लौट आए। जिस अकेलेपन से जूझते हुए कनाडा गए थे, वहां पर कोविड के दौर में अकेले एक कमरे में रहते हुए दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति को उन्होंने खूब पढ़ा, यहां से खुद की तलाश में आगे बढ़ते हुए धार्मिक एवं तीर्थ स्थानों पर लंबे समय तक पैदल यात्रा की।
सोशल मीडिया पर वायरल अभय सिंह ग्रेवाल
प्रयागराज के महाकुंभ में इसी अभय सिंह ग्रेवाल की वैरागी के रूप में वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। जिसमें वे बचपन की अपनी पीड़ाओं से लेकर मन में चल रहे हर द्वंद का खुलकर जवाब दे रहे हैं, अभय बताते है, साल 2021 में कनाडा से लौटने के बाद से महादेव की शरण में है, वहीं रास्ता दिखा रहे हैं, शायद, जिस रास्ते पर चलने की वे 9 साल पहले तलाश कर रहे थे।
फोटो कैप्शन: अभय सिंह ने साल 2017 में इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट डाली है, जिसका कैप्शन है भाई लोग
दरअसल, वैरागी अभय सिंह की मूल पहचान झज्जर जिला के छोटे से गांव सासरौली से जुड़ी हैं, डी.एच लारेंस स्कूल के टापर रहे अभय सिंह का साल 2008 में 731 वीं रैंक के साथ मुंबई आईआईटी में दाखिला हुआ, इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वे फिलासफी यानी दर्शनशास्त्र की पढ़ाई से जुड़े, मकसद हर जगह यह रहा कि खुद से अपने सवालों के जवाब ढूंढ़ना।
सोचने पर मजबूर कर रहीं अभय की तस्वीरें
प्रतिष्ठित संस्थान से डिग्री हासिल करने वाले अभय सिंह ने विज्ञान की दुनिया में अपनों पंखों को नहीं फैलाया, बल्कि संतई, फक्कड़पन और वैराग्य का जीवन चुन लिया, आधुनिक तकनीक और विज्ञान की चकाचौंध को छोड़कर, आध्यात्म की शरण में आए अभय सिंह ने अपनी अलग राह बनाई है।
फोटो कैप्शन: अभय सिंह ने इस पोस्ट के कैप्शन में लिखा है। अब खुद को जाने दो, संघर्ष और लडाई काफी हुई।
रुद्राक्ष की माला और शांत चेहरे के साथ, अभय सिंह का साधु जीवन हर किसी के लिए जिज्ञासा का विषय बन गया है, उनका जीवन उन लोगों के लिए भी प्रेरणा है, जो भौतिक सुखों से परे कुछ अर्थपूर्ण खोज रहे हैं, इंस्टाग्राम आईडी पर उनकी हर पोस्ट काफी कुछ सोचने को हमें मजबूर करती है, उनके अकाउंट पर कुछ ऐसी भी तस्वीरें हैं जो उनके भीतर चल रहे हर संघर्ष का खुद से जवाब है। जिसे देखकर हर कोई अपने-अपने ढंग से समझते हुए इंटरनेट मीडिया पर प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं।
इम्प्रेसिव प्रोफाइल के साथ अभय सिंह
इधर, अभय ने अपना फेसबुक इंट्रो लिख रखा है- फाउंडर, फोटोग्राफर एट ग्रेवाल, रिसर्च एसोसिएट एट आईडीसी आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी पवई में काम कर चुके हैं। आईआईटी मुंबई में एरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इन सबकी पुष्टि के लिए कई तस्वीरें हैं जो अभय की मोह माया वाली जिंदगी से वैराग्य तक की कहानी कह रही हैं।
फोटो कैप्शन में अभय सिंह ने लिखा, अब विराम लेना का समय, अब सोचना है कि तुम कहां हो और कहां जाना चाहते हो...
वह परिवार में इकलौते बेटे हैं, बहन कनाडा में परिवार के साथ सेटल है। जिसके साथ वे दो बार कनाडा रहने के लिए गए। दरअसल, अभय के मां-बाप उनके बारे में किसी को नहीं बताते थे। लेकिन, महाकुंभ से वीडियो आने के बाद गांव और परिवार चर्चा में है।
एक साल पहले घर से गए थे अभय, सभी नंबर किए ब्लॉक
बातचीत में पिता कर्ण सिंह ग्रेवाल बताते है, वे शुरु से पढ़ने में काफी होशियार रहा है। पहाड़ों में घूमना और पढ़ना, काफी पसंद था, अब इकलौते बेटे का वैराग्य लेना उन्हें काफी असहज लगता है। करीब एक साल से उसने सभी के नंबरों को ब्लॉक किया हुआ है, व्हाट्सऐप पर किए मैसेज के जवाब का इंतजार करना पड़ता है। वैसे पिछले छह माह से कोई मैसेज तक नहीं आया। वे करीब एक साल पहले वह घर से गए थे।
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