सुमेधा की मेधा ने बेटी को बनाया गोल्डन गर्ल, दुनिया में ऐसे छाई म्हारी मनु
मनु भाकर को महज 16 साल की उम्र में गोल्डन गर्ल किसी और ने नहीं उनकी मां सुमेधा ने बनाया। मां ने बेटी में बचपन से सपने जगाने के संग उसे पूरा करने लायक बनाया व हर कदम उसके साथ रही।
झज्जर, [मुकेश शर्मा]। महज 16 साल की उम्र में गोरिया गांव से उठकर राष्ट्रमंडल के क्षितिज पर छा जाने वाली मनु भाकर को शूटिंग सनसनी बनाने में जिस एक महिला का सबसे अधिक योगदान है, वह हैं उनकी मां सुमेधा भाकर। गुरुकुल की परंपरा को मानने वाली सुमेधा सुबह चार बजे उठतीं तो अपने साथ ही बेटी मनु भाकर को भी उठातीं थी। तैयार होकर दोनों मैदान में जातीं और घंटों योग व व्यायाम करती थीं। सुमेधा ही चार वर्षीय मनु की योग शिक्षक और ट्रेनर थीं। यह सिलसिला चार साल की उम्र में भले ही शुरु हुआ हो, पर अब तक इसे जारी रखा है मनु और सुमेधा ने।
बेटी के लिए सुबह चार बजे जागती थी हर रोज, छोटी थी तो खुद सिखाया योग ताकि कम हो जाए मनु का वजन
एक शिक्षक, पत्नी और दो बच्चों की मां की जिम्मेदारी एक साथ निभाने वाली सुमेधा की दिनचर्या काफी चुनौतीपूर्ण रही है। सुबह उठ कर आज भी हवन के साथ अपने दिन की शुरुआत करती हैं। यह आदत उन्होंने बच्चों में भी डाली है।
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घर के कामकाज, स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के साथ एक मां का फर्ज भी बखूबी निभाने वाली सुमेधा ने यूं तो बेटी को फैसले लेने की छूट दे दी थी, लेकिन हमेशा से वह मनु का पथ-प्रदर्शक की भूमिका में रही हैं। वह कहती हैं कि मां का प्यार, दुलार और समय पर सही मार्ग दर्शन मिल जाए तो बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नहीं हैं। ऐसा मैं मानती रही हूं और अपनी बेटी के साथ मैने ऐसा ही किया है।
वजन ज्यादा था, चार साल की उम्र में योग सिखाने लगी थी मां
मनु बचपन में शरीर से भारी थी लिहाजा उसकी फिटनेस मां सुमेधा के लिए चुनौती थी। ऐसे में उसकी मां सुमेधा भाकर ने उसे चार साल की उम्र में ही योगा सिखाना शुरू कर दिया था। उस समय वह पहली कक्षा में पढ़ती थी। उसकी मां ने जब उसे योग सिखाना शुरू किया तो कुछ दिन बाद ही उसका वजन कम होने लगा। धीरे-धीरे उसका मोटापा कम हो गया। सुमेधा ने मनु को पढ़ाई के साथ-साथ खेलों के लिए भी प्रोत्साहित किया।
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खेलों में बेहतर प्रदर्शन करते हुए शूटिंग रेंज तक पहुंची मनु भाकर का रुझान शूटिंग के साथ-साथ आइस स्केटिंग और जिम्नास्टिक की ओर भी बढ़ा। जब-जब मनु निर्णय के दोराहे पर खड़ी दिखीं, उनकी मां ने भविष्य का रास्ता दिखाया है। सुमेधा अपनी बेटी के अलावा स्कूल और परिवार की जिम्मेदारी भी निभाती रहीं। उनकी मेहनत का नतीजा आज दुनिया के सामने है। उनके दो बच्चों में एक बेटा व एक बेटी हैं। बेटे अखिल भाकर ने बारहवीं कक्षा की परीक्षा दी है और मनु भाकर अब बारहवीं कक्षा में हुई है।
जर्मनी में विश्व कप में हिस्सा लेगी
मनु मदर्स डे पर मां के साथ नहीं होगी। उसे जर्मनी में विश्व कप में भाग लेना है। मनु की माता सुमेधा भाकर का कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि इस प्रतियोगिता में भी मनु स्वर्ण जीत कर देश की झोली में डालेगी।