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    Tokyo olympics: कजाकिस्तान के जिस पहलवान को हरा बजरंग कांस्‍य जीते, उसे पहले भी 9-0 से दे चुके पटखनी

    By Manoj KumarEdited By:
    Updated: Sun, 08 Aug 2021 07:48 AM (IST)

    जिस पहलवान को बजरंग ने पटखनी दी है उसे वह पहले भी 9-0 से हरा चुके हैं। अपने बेटे की जीत से उत्साहित पिता बलवान पूनिया के मुताबिक बजरंग ने उनका सपना पूरा किया है। वह परिवार को वादा करके गया था कि वह टोक्यो से मेडल लेकर वापिस आएगा।

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    बजरंग पूनिया ने टोक्‍यो ओलंपिक में जाने से पहले मेडल लाने का वादा किया था और उसे पूरा कर दिखाया

    अमित पोपली, झज्जर : मैच चाहे अखाड़े का हो या अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोई स्पर्धा, बजरंग पूनिया बगैर मेडल अपने घर वापिस नहीं लौटा हैं। कांस्य पदक के लिए एकतरफा मैच में जिस पहलवान को बजरंग ने पटखनी दी है, उसे वह पहले भी 9-0 से हरा चुके हैं। अपने बेटे की जीत से उत्साहित पिता बलवान पूनिया के मुताबिक बजरंग ने उनका सपना पूरा किया है। वह परिवार को वादा करके गया था कि वह टोक्यो से मेडल लेकर वापिस आएगा। जो कि उसने यहां कर दिखाया है।

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    आज देश के हर व्यक्ति की शुभकामनाओं का असर बजरंग के खेल में दिखाई दिया। भावुक हुए पिता कहते हैं कि हनुमान जी के आशीर्वाद और सभी की दुआओं से संभव हो पाया हैं। बजरंग के वापिस लौटने के बाद सालासार बाला जी से परिवार के लिए पुन: आशीर्वाद लेने जाएंगे। परिवार से विचार विमर्श के बाद पूजा आदि का कार्यक्रम भी करवाया जाएगा। परिवार सहित गांव में पहुंचते हुए वहां पर भी सभी का आशीर्वाद लेंगे।

    पिता से सुबह सवा 7 बजे वीडियो काल पर की थी बात

    बजरंग ने मैच से पहले सुबह सवा सात बजे अपने पिता से वीडियो काल पर बातचीत भी की है। किसी अलग नंबर से ही वहां से बजरंग फोन करता हैं। ऐसा पिता ने बताया। जब बात हुइ्र तो बजरंग के चेहरे पर काफी सुकून था और हार का कोई मलाल भी नहीं दिखा। लेकिन, पिता ने अपने गुरु होने का फर्ज जरुर निभाया। बात दें कि बजरंग के पिता बलवान पूनिया ने बेटे को कुश्ती का ककहरा सिखाते हुए अखाड़े तक ले जाने का काम किया था। पिता की मेहनत और भाई हरेंद्र के समर्पण से ही यह दिन देखने को मिल रहा हैं। हालंकि, सुबह बजरंग ने जब काल की तो उनके भाई सो रहे थे और पिता नहाने के बाद बजरंग के फोन का ही इंतजार कर रहे थे। पिता ने भी समझाया कि भाई तेरे पैर की चोट के बारे में हम सभी जानते हैं, आपने शानदार खेला और बढ़िया वापसी की। हर दिन अलग दिन होता हैं। इसलिए, आज बेहतर करना है। यह सीख उन्होंने बजरंग को फोन पर दी।