आठ साल की उम्र में पैरालाइज हुए थे ओलिंपियन योगेश, मां ने नहीं मानी हार, अब बनाया विश्व रिकार्ड
महज आठ साल की उम्र में जब योगेश पैरालाइज हुए तो परिवार को लगा जिंदगी अब खत्म हो गई लेकिन एक मां ने हार न मानी। उन्हीं के समर्पण और हौसले ने योगेश को पैरालाइज होने के तीन साल बाद फिर पैरों पर खड़ा किया। योगेश दुनियाभर में छाए हैं

प्रदीप भारद्वाज, बहादुरगढ़ : टोक्यो पैरालिंपिक में (चक्का फेंक) रजत पदक जीतने के बाद योगेश कथूनिया ने अब ओपन राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंंपियनशिप में विश्व रिकार्ड बनाया है। बहादुरगढ़ मूल के योगेश कथूनिया के इस मुकाम के पीछे की दास्तां में दर्द भी है और जिजीविषा भी। महज आठ साल की उम्र में जब योगेश पैरालाइज हुए तो परिवार को लगा जिंदगी अब खत्म हो गई, लेकिन एक मां ने हार न मानी।
उन्हीं के समर्पण और हौसले ने योगेश को पैरालाइज होने के तीन साल बाद फिर पैरों पर खड़ा किया। वह खेलने लायक बन गया। उसे प्रैक्टिस पर भेजने के लिए उसकी मां मीना हर रोज सुबह तीन बजे जागती थी। मां से मिली इसी हिम्मत ने आज योगेश को पैरा एथलेटिक्स के क्षितिज का सितारा बना दिया है। योगेश का परिवार मूल रूप से झज्जर के मांडौठी गांव से है।
योगेश के पिता ज्ञानचंद सेना में आनरेरी कैप्टन रहे हैं। ऐसे में परिवार ज्यादातर समय दिल्ली में ही रहा। योगेश के दादा हुकमचंद भी सेना में रहे। पिता और दादा ने देश सेवा की तो तीसरी पीढ़ी के लाल योगेश ने परिवार का नाम देश और दुनिया में रोशन कर दिया है।
जिंदगी के उन पलों को याद कर आज भी कांपता है योगेश की मां मीना का कलेजा
योगेश जब आठ साल का था, तब पार्क में खेलने गया था। अचानक गिर गया। बाद में पता चला वह पैरालाइज हो गया। जिंदगी का यह वक्त परिवार के लिए सबसे कठिन था। योगेश को परिवार के लोग बहुत सी जगह इलाज के लिए लेकर गए। याेगेश की मां मीना देवी ने तीन साल खूब मेहनत की। फिर जब योगेश पैराें पर खड़ा हुआ, तब कुछ उम्मीद जगी। वह बुरा वक्त जब-जब याद आता था तो एक मां के पैरों के नीचे से जमीन निकल जाती थी।
जिस दिन योगेश ने पैरालिंपिक में पदक जीता था, उसके बाद उनकी मां मीना देवी को उस बुरे वक्त को भूल पाने की हिम्मत मिली। अब फिर से बड़ी बेटे की उपलब्धि ने मां के कलेजे को ठंडक दी है। याेगेश की मां मीना देवी के मुताबिक, जब वे कहती थी कि बेटा हर हाल में जीतना है तो योगेश ने कहा था कि मां..मैं वर्ल्ड रिकार्ड तोडूंगा। वहीं योगेश कथूनिया भी मानते हैं कि उनकी सफलता के पीछे मां का ही सबसे बड़ा हाथ है।
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