कोरोना से ठीक हो गए मरीजाें की छह माह तक निगरानी जरूरी, रोहतक PGI में खुलेंगे पोस्ट क्लीनिक
हरियाणा के रोहतक पीजीआइ में काेरोना मरीजों के ठीक होने के बाद भी उन पर नजर रखी जाएगी। इन लोगों की अगले छह माह तक निगरानी रखी जाएगी। इसके लिए पीजीआइ में पोस्ट कोविड क्लीनिक बनाया जाएगा। इसमें इन मरीजों की समय-समय पर जांच होगी।
रोहतक, जेएनएन। कोरोना वायरस से ठीक हो चुके मरीजों के लिए अगले छह माह तक निगरानी है। छह माह तक उनको फिर से खतरा हो सकता है। ऐसे में रोहतक के पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (पीजीआइएमएस) यानि रोहतक पीजीआइ में पोस्ट कोविड क्लीनिक बनाया जाएगा। इसके माध्यम से कोरोना वायरस Covid -19 के संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों का छह माह तक फॉलोअप किया जाएगा।
कोविड से ठीक हो चुके मरीजों के उपचार के लिए शुरू किया जाएगा क्लीनिक
पोस्ट कोविड क्लीनिक में मरीजों को समय-समय पर बुलाकर या फोन कॉल के माध्यम से उन्हें होने वाली परेशानियों के बारे में पूछताछ की जाएगी। चिकित्सकों का कहना है कि इस माह के अंत तक क्लीनिक का शुभारंभ कर दिया जाएगा।पीजीआइ में पोस्ट कोविड क्लीनिक का संचालन करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन (पीसीसीएम) और मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों को जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर ऐसे मरीजों को लिए कार्डियोलॉजिस्ट और नेफ्रोलॉजिस्ट से भी परामर्श लिया जा सकेगा।
पीजीआइ में प्रदेश का पहला पोस्ट कोविड क्लीनिक शुरू करने की तैयारी
कोविड से ठीक हो चुके मरीजों में थकावट, मांसपेशियों में अकड़न जैसी परेशानी सामने आई हैं। जिसके चलते चिकित्सक इनका समाधान और फेफड़ों, किडनी व दिल पर वायरस के असर को देखने के लिए मरीजों को बुलाएंगे। डा. ध्रुव चौधरी के मुताबिक कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों का शेड्यूल के मुताबिक छह माह तक फॉलोअप किया जाएगा। सबसे पहले ठीक होने के एक सप्ताह बाद, दूसरा फालोअप एक माह बाद, तीसरा फॉलोअप तीन माह बाद और फिर छह माह बाद इन मरीजों का फालोअप किया जाएगा।
मरीज के ठीक होने पर होगी जांच
डा. ध्रुव चौधरी के मुताबिक मरीज के कोरोना से ठीक होने के बाद विभिन्न स्तर पर जांच की जाएगी। इसमें मल्टी डिसिप्लेनरी टीम, मानसिक रूप से मरीज को क्या परेशानी हो रहीं हैं। इम्यून सिस्टम ठीक से काम कर रहा है या नहीं, रेस्पीरेटरी (सांस संबंधी) समस्या तो नहीं है, फिजिकल रिहेबिलिटेशन के साथ ही फेफड़ों की स्थिति की जांच की जाएगी। व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ है और यदि फेफड़ों में सिकुड़न या मानसिक तनाव जैसी कोई समस्या होती है तो इसका उपचार कराया जाएगा।
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