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    Diwali 2021: जानें दीवाली के दिन क्‍यों होती है लक्ष्‍मी जी की पूजा, इसके पीछे क्‍या है मान्‍यताएं

    By Manoj KumarEdited By:
    Updated: Thu, 04 Nov 2021 06:31 PM (IST)

    हिंदू कैंलेडर के अनुसार इस वर्ष कार्तिक अमावस्या आज है। आज चंद्रमा का गोचर तुला राशि में है। दीवाली पर्व आज मनाय जा रहा है। अमावस्या प्रात 0603 बजे से पांच नवंबर 2021 को प्रात 0244 बजे तक रहेगी।

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    दीवाली के दिन भगवान राम अयोध्‍या लौटे थे, मगर इस दिन लक्ष्‍मी पूजन करने का क्‍या विधान है

    जागरण संवाददाता, हिसार/दादरी : दीवाली का पर्व लक्ष्मी जी को समर्पित है। इस दिन लक्ष्मी जी की आरती, स्तुति इत्यादि की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और धन से जुड़ी समस्याओं को दूर करती हैं। आचार्य महेश योगी ने बताया कि दीवाली का पर्व लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है। पंचांग के अनुसार दीवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।

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    हिंदू कैंलेडर के अनुसार इस वर्ष कार्तिक अमावस्या आज है। आज चंद्रमा का गोचर तुला राशि में है। दीवाली पर्व आज गुरुवार को मनाया जा रहा है। अमावस्या प्रात: 06:03 बजे से पांच नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक रहेगी। लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त चार नवंबर, गुरुवार, शाम 6:09 से रात्रि 8:20 तक रहेगा।

    दीवाली के दिन लक्ष्‍मी पूजन की क्‍या है मान्‍यताएं

    बता दें कि पुरातन कथाओं के अनुसार माना जाता है कि राक्षसों और देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन में लक्ष्‍मी भी निकली थी। उस दिन कार्तिक मास की अमावस्‍या तिथि थी। इसलिए दीवाली के दिन लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है। वहीं दूसरी यह भी माना जाता है कि मनुओं का समय बीतने पर धरती पर प्रलय होने के बाद जब सृष्टि का फिर से संचालन कार्तिक मास की अमावस्‍या तिथ‍ि को ही हुआ था। एक मान्‍यता यह भी है कि कार्तिक मास की अमावस्‍या तिथि को लक्ष्‍मी और विष्‍णु भगवान का विवाह हुआ था।

    पति विष्‍णु भगवान की बजाय गणेश जी के साथ क्‍यों होती पूजा

    लक्ष्‍मी जी तो भगवान विष्‍णु की पत्‍नी है तो उनकी पूजा उनके साथ न होकर भगवान गणेश के साथ क्‍यों होती है। इसके पीछे का तर्क यह है कि भगवान विष्‍णु चार महीने के लिए सुप्‍त अवस्‍था में होते हैं। दीवाली के ठीक 11 दिन बाद वे देयउठनी एकादशी काे जागते हैं और इसी दिन मंगल कार्य भी शुरू हो जाते हैं। इसलिए उनको निद्रा से नहीं जगाया जाता है। वहीं लक्ष्‍मी को धन वृद्धि, संपन्‍नता और बुद्धि की देवी माना जाता है। वहीं भगवान गणेश को शुभ कार्यों के लिए बिना किसी विघ्‍न के कार्य को संपन्‍न कर देने वाला माना जाता है। जिसके चलते लक्ष्‍मी जी और भगवान गणेश की पूजा एक साथ होती है। ताकि हर तरह से संपन्‍नता मिले।

    ऐसे करें लक्ष्मी पूजन

    आचार्य महेश योगी ने बताया कि दीवाली पर लक्ष्मी पूजन से पूर्व स्थान को शुद्ध और पवित्र करना चाहिए। इसके बाद कलश को तिलक लगाकर स्थापित करते हुए उसका पूजन करें। हाथ में फूल, अक्षत, जल लेकर लक्ष्मी का ध्यान लगाकर सभी चीजों को कलश पर चढ़ा दें।

    इसके पश्चात श्रीगणेश, लक्ष्मी पर भी पुष्प और अक्षत अर्पित करते हुए लक्ष्मी, गणेशजी की प्रतिमाएं थाली में रखकर दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं। बाद में स्वच्छ जल से स्नान कराएं। बाद में लक्ष्मी, गणेश की प्रतिमाओं को चौकी पर स्थापित करें। लक्ष्मी, गणेश को चंदन का तिलक लगाकर पुष्प माला पहनाएं। खील-खिलौने, पताशे, मिष्ठान, फल, रुपये और स्वर्ण आभूषण रखें। इसके बाद गणेश, लक्ष्मी की कथा पढ़ें, आरती करें। पूजा समाप्त करने के बाद प्रसाद वितरित करें, जरूरतमंद व्यक्तियों को दान दें।