Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    25 देशों में गेहूं खराब कर रही ये घास, सालाना 4000 करोड़ का नुकसान, अब समाधान की उम्‍मीद

    By Manoj KumarEdited By:
    Updated: Sun, 29 Sep 2019 12:28 PM (IST)

    एचएयू वैज्ञानिक डा. समुंदर सिंह ने मलेशिया में अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के दौरान घास से बचाव के सुझाए उपाय। एशियन पैसिफिक वीड साइंस सोसाइटी के आयोजन में 25 देशों के 330 प्रतिभागी

    25 देशों में गेहूं खराब कर रही ये घास, सालाना 4000 करोड़ का नुकसान, अब समाधान की उम्‍मीद

    हिसार, जेएनएन। 25 वर्ष पहले गेहूं में उगने वाले घास को खत्म करने के लिए आइसोप्रोट्यूट दवा का प्रयोग किया जाता था, मगर समय के साथ यह कणकी घास कई अन्य दवाओं से भी लडऩा सीख गई। चार-चार बार स्प्रे करना भी इस घास पर बेअसर है। मौजूदा समय में कणकी घास के कारण भारत सहित 25 देशों में किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह घास 80 फीसद पैदावार को बर्बाद कर देती है, जिससे किसानों को सालभर में 4000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इसको लेकर एशियन पैसिफिक वीड साइंस सोसाइटी ने 27 सितंबर को मलेशिया में 27वीं एपीडब्ल्यूएसएस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें दुनिया भर के 25 देशों के 330 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसी कॉन्फ्रेंस में प्लेनरी स्पीकर के रूप में हिसार से एचएयू के एग्रोनॉमी के विभागाध्यक्ष डा. समुंदर सिंह ने इस घास को रोकने के तरीकों को बताया। स्वदेश लौटने के बाद उन्होंने मीडिया को इस संबंध में जानकारी दी।

    सरकार द्वारा रिकमंड दवाएं, कब-कब खरपतवार पर हुई बेअसर

    - 1980 से 90 तक आइसोप्रोट्यूल दवा चली, मगर 10 वर्ष के बाद इस दवा ने भी असर छोड़ दिया।

    - बाद में डाइक्लोकॉक्स नामक दवा आई। मगर दो साल बाद यह भी असर छोड़ गई।

    - फिर 1998 में टोपिन, प्यूमा पॉवर और लीडर दवा आई जो 2010 से पहले-पहले बेअसर हो चुकी थीं।

    - इसके बाद पिनोक्सेडेन , अथलांटिस जैसी दवाओं को खेतों में किसानों ने स्प्रे किया, अब ये भी बे असर ही हैं।

    नुकसान से बचने के लिए किसान यह अपनाएं उपचार

    1. किसानों को बिजाई के तुरंत बाद दवाई का स्प्रे करना चाहिए। इससे 70 से 80 फीसद घास वैसे ही कम हो जाएगी।

    2- किसानों को दवाओं का ग्रुप बदल-बदल कर छिड़काव करना चाहिए।

    3- सरकार और आइसीएआर ने कुछ दवाओं की सिफारिश कर रखी है। उनका ही प्रयोग करें।