हरियाणा में गृह सचिव को अनुशासनात्मक मामलों में सर्वोच्च अधिकार, डीजीपी और अधीनस्थ अधिकारी नहीं कर सकते दरकिनार
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा कि हरियाणा गृह विभाग के सचिव को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पर अनुशासनात्मक मामलों में सर्वोच्च अधिकार है। न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) को गृह सचिव के आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य बताया। कोर्ट ने दो पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति में बदलने का आदेश दिया क्योंकि उनके साथ असमान व्यवहार हुआ था।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि हरियाणा गृह विभाग के सचिव को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) तथा अन्य अधीनस्थ अधिकारियों पर अनुशासनात्मक मामलों में सर्वोच्च अधिकार प्राप्त हैं। कोर्ट ने साफ कहा कि पुलिस अधीक्षक (एसपी) और अन्य अधिकारी गृह सचिव के आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं और उन्हें अनदेखा या रद करने का कोई अधिकार नहीं है। यह फैसला जस्टिस जगमोहन बंसल ने यह आदेश जारी किया।
मामला 2001 के डबवाली हिरासत हिंसा प्रकरण से जुड़ा है, जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों पर बंदी को पीटने, अवैध रूप से हिरासत में रखने और झूठे दस्तावेज बनाने के आरोप लगे थे। वर्ष 2012 में निचली अदालत ने उन्हें मामूली धाराओं में दोषी ठहराया और तीन साल की सजा सुनाई। इसके बाद इन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि कुछ दोषियों की सजा को गृह विभाग ने बदलते हुए बर्खास्तगी की जगह अनिवार्य सेवानिवृत्ति कर दी थी।
याचिकाकर्ता सेवा से बर्खास्त कृष्ण कुमार और बलवती ने तर्क दिया कि उनके साथ असमान व्यवहार हुआ, जबकि उनके सह-अभियुक्तों को राहत मिल चुकी थी। इस पर हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि डीजीपी के आदेशों की समीक्षा, संशोधन या निरस्तीकरण का अधिकार राज्य सरकार और गृह विभाग को ही है।
अदालत में दाखिल हलफनामे में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) डाॅ. सुमिता मिश्रा ने भी कहा कि नियमों के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह पुलिस अधिकारियों को दी गई सजा की समीक्षा करे और उसे बढ़ाए घटाए या रद करे, यह व्यवस्था दशकों से चली आ रही है।
गृह सचिव के आदेशों को नहीं कर सकते दरकिनार
जस्टिस बंसल ने टिप्पणी की कि गृह सचिव के आदेशों का पालन करने के लिए एसपी बाध्य हैं। उन्हें दरकिनार करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही नियमों में लिखा है कि जेल की सजा पाए पुलिस अधिकारी बर्खास्त किए जाएंगे, परंतु सुप्रीम कोर्ट के फैसले बताते हैं कि हर मामले में स्वचालित बर्खास्तगी जरूरी नहीं। अपराध की प्रकृति, परिस्थितियां और अनुपातिकता को देखते हुए कभी-कभी अधिकारियों को बर्खास्तगी के बजाय अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाती है।
हाईकोर्ट ने अंतत याचिकाकर्ताओं कृष्ण कुमार और बलवती की बर्खास्तगी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति में बदलने और सभी परिणामी लाभ देने का आदेश दिया है, हालांकि उनकी आपराधिक अपील लंबित है।
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