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    सेवा का ऐसा जज्बा, जब उफान पर थी कोरोना की दूसरी लहर, मानसिक दिव्यांगों की ढाल बने गुरविंद्र सिंह

    By Umesh KdhyaniEdited By:
    Updated: Sat, 14 Aug 2021 11:13 AM (IST)

    सिरसा में हिसार रोड पर भाई कन्हैया आश्रम है। इसके संचालक गुरविंद्र सिंह ने कोरोना की विकट परिस्थितियों में भी सेवा जारी रखी। आश्रम में 126 दिव्यांग और 19 स्टाफ पॉजिटिव मिले। इसके बावजदू 300 से ज्यादा दिव्यांगों को कोरोना से बचाया।

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    सिरसा के भाई कन्हैया आश्रम के संचालक गुरविंद्र सिंह।

    जागरण संवाददाता, सिरसा। मई 2021 में जब जिले में कोरोना संक्रमण पूरे उफान पर था तो उस समय हिसार रोड पर स्थित भाई कन्हैया आश्रम में रहने वाले 126 मानसिक दिव्यांगों व 19 सदस्यों की रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव मिली। आश्रम में रहने वाले करीब 300 से मानसिक रूप से अस्वस्थ व वहां सेवा करने वाले स्टाफ को संक्रमण से बचाना बेहद जरूरी था।

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    स्थिति बहुत विकट थी क्योंकि आश्रम में रहने वाले मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को मास्क लगाने की समझ नहीं थी। अधिकतर लोग एक साथ रहते थे। इस कारण शारीरिक दूरी का भी पालन नहीं हो रहा था। ऐसे में आश्रम के संचालक गुरविंद्र सिंह ने ऐसी स्थिति में सभी को संक्रमण से बचाने के लिए संतुलित आहार, गिलोय घनवटी की गोलियां, काढ़ा, विटामिन, जिंक की टेबलेट्स इत्यादि देनी शुरू की। इसके साथ ही सभी लोगों को सेब, नारियल पानी इत्यादि दिया। परिणाम यह रहा कि सभी की इम्यूनिटी बढ़िया रही। कोरोना संक्रमण के बावजूद सभी स्वस्थ रहे। 

    शहरवासियों ने भी की मददः गुरविंद्र सिंह 

    गुरविंद्र सिंह ने बताया कि आश्रम में कोरोना संक्रमित मरीजों की संभाल में शहरवासियों ने खूब मदद की। आश्रम में रहने वाले लोगों को कोरोना के बारे में समझ नहीं थी। जिस कारण उनको कोरोना को लेकर कोई खौफ नहीं था। डर बड़ी चीज होती है। अगर संक्रमण को हम अपने दिमाग में बैठा लेंगे तो वह खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा सभी का पूरा ध्यान रखा और सभी काे संतुलित डाइट दी। इसका परिणाम यह रहा कि कुछ दिनों के बाद सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई।

    लोगों की मदद से अपनों से मिले कई दिव्यांग

    भाई गुरविंद्र सिंह ने बताया कि संक्रमण के बावजूद सभी स्वस्थ रहे और किसी को कुछ नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि आश्रम में रहने वाले मानसिक दिव्यांगों के लिए जिलावासी खूब मदद करते हैं और आमजन की सहायता से ही सैकड़ों मंदबुद्धि स्वस्थ होकर अपनों से मिल चुके हैं।

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