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    Emergency 1975 : जब पूर्व उपप्रधानमंत्री 19 महीने बाद जेल से घर लौटे तो उतारी थी आरती

    By manoj kumarEdited By:
    Updated: Wed, 26 Jun 2019 02:43 PM (IST)

    पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व. देवीलाल तथा उनके दो बेटों पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला तथा जगदीश चौटाला को भी गिरफ्तार किया गया था। ग्रामीणों ने हरमोनियम पर मंगल गीत गा स्वागत किया

    Emergency 1975 : जब पूर्व उपप्रधानमंत्री 19 महीने बाद जेल से घर लौटे तो उतारी थी आरती

    डबवाली (सिरसा) [डीडी गोयल] 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977। इस दौरान देश में आपातकाल लागू हुआ था। लोकतांत्रिक देश में आवाज उठाना गुनाह समझा जाने लगा था। लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए निर्भिकता से संघर्ष करने वाले लोगों को जेलों में ठूंसा जा रहा था। किसी को महेंद्रगढ़ तो किसी को केंद्रीय जेल हिसार में रखा गया।

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    पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व. देवीलाल तथा उनके दो बेटों पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला तथा जगदीश चौटाला को भी गिरफ्तार किया गया था। देवीलाल करीब 19 माह तक महेंद्रगढ़ जेल में रहे थे, तो वहीं दोनों बेटों ने करीब सात माह तक हिसार जेल में समय व्यतीत किया था। फरवरी 1977 में तीनों की घर वापसी हुई। ग्रामीणों ने हरमोनियम पर मंगल गीत गाकर तथा ढोल बजाकर उनका स्वागत किया था।

    चौटाला के ग्रामीण आज भी उन लम्हों को नहीं भूले हैं। बताते हैं कि देवीलाल को उनकी बहन धापा देवी, ओमप्रकाश तथा जगदीश को उनकी बहन शांति देवी ने तिलक किया था। आरती उतारकर घर में प्रवेश करवाया था। बेशक आपातकाल को 42 बरस का लंबा अरसा बीत गया है। अविस्मरणीय पल आज भी तस्वीरों में दर्ज हैं। तस्वीरें सामने आते ही परिवार तथा ग्रामीण उन पलों के चर्चे शुरु कर देते हैं।

    जब जीप पर रजाई ओढकर निकले थे चौटाला
    आपातकाल की शुरुआत में ही देवीलाल को गिरफ्तार कर लिया गया था। उनके बेटे ओमप्रकाश तथा जगदीश के पीछे पुलिस लगी हुई थी। गांव चौटाला में सुबह से शाम तक पुलिस पहरा देती थी। पुलिस से बचने के लिए दोनों दिन चढऩे से पहले ही घर से निकल जाते थे। परिवार जल्दी उठता था, महिलाएं खाना बनाकर टिफिन पैक कर देती थीं। सुबह 4 बजे ऊंट पर बैठकर दोनों भाई अज्ञात जगह पर चले जाते थे। रात करीब 10 बजे वापस लौटते थे। एक दिन ऐसा आया, जब पुलिस ने घर घेर लिया। ऊंट तो नहीं आया। ऐसे में दोनों एक जीप के पीछे लेटकर निकले, दोनों ने रजाई ओढ़ रखी थी। जीप देवीलाल का भतीजा चला रहा था।

    पौती की शादी में नहीं आ सके थे देवीलाल

    दिवंगत जगदीश चौटाला की पत्नी सीमा बताती हैं कि आपातकाल के दौरान ओमप्रकाश चौटाला की बड़ी बेटी सुमित्रा की शादी तय हुई थी। उस वक्त ओमप्रकाश ने पुलिस से अर्ज की थी कि बेटी की शादी के बाद वह सरेंडर कर देंगे। ऐसा ही हुआ, सुमित्रा की शादी के कुछ दिन बाद उन्होंने सरेंडर कर दिया। अगस्त 1976 में जगदीश चौटाला ने भी डबवाली अदालत में सरेंडर कर दिया। दोनों को हिसार जेल में रखा गया था। शादी में देवीलाल शरीक होना चाहते थे, लेकिन उन्हें छुट्टी नहीं मिली थी। उनका खत मिला था, जिसमें उन्होंने पौती को आशीर्वाद दिया था।

    पेशी भुगतने आते थे, परफ्यूम लेकर जाते थे
    आपातकाल के दौरान हिसार जेल में समय काट रहे ओमप्रकाश तथा जगदीश एक मामले में पेशी भुगतने डबवाली आते थे। करीब 15-20 दिन बाद उन्हें डबवाली अदालत में पेश किया जाता था। इस दौरान परिवार उनसे मुलाकात करता था। दोनों के लिए लजीज पकवान बनाकर परिवार डबवाली पहुंचता था। जगदीश चौटाला की तो बात ही निराली थी। वे खाने में हलवा, बर्फी मंगवाते थे, साथ ही वे हर पेशी पर नया परफ्यूम लेकर जेल लौटते थे।

    देवीलाल के आदेशों से बंधी थी महिलाएं
    मेरी शादी 1974 में जगदीश सिंह के साथ हुई थी। करीब डेढ़ साल बाद आपातकाल शुरु हुआ तो पिता जी (देवीलाल) को गिरफ्तार कर लिया गया। ओमप्रकाश तथा जगदीश ने सरेंडर कर दिया था, तो दोनों को जेल ले जाया गया। उस समय मैं गर्भवती थी। घर पर मां (हरकी देवी), जेठानी स्नेहलता पत्नी ओमप्रकाश चौटाला, इंदिरा देवी पत्नी रणजीत सिंह होते थे। मैं सबसे छोटी थी। पिताजी का संदेश था कि कोई महिला जेल में मिलने न आए। इसलिए कोई भी महिला जेल में मिलने नहीं गई। इमरजेंसी काटकर तीनों वापिस लौटे तो खूब स्वागत हुआ था। 1 नवंबर 2017 को हरियाणा सरकार ने उपरोक्त संघर्ष को याद करते हुए पेंशन शुरु की। आज मुझे 10 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलती है।
    -सीमा चौटाला (पत्नी जगदीश चौटाला), गांव चौटाला

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