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    हजारों साल पुराने मनकों के बाद अब कर्ण कोट किले पर मिली पांच हजार वर्ष पुरानी मूर्ति

    By Manoj KumarEdited By:
    Updated: Wed, 04 Dec 2019 06:19 PM (IST)

    मूर्ति मिलने के बाद इसके तले धरोहर दबे होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। बलुआ मिट्टी से निर्मित इस मूर्ति को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि यह करीब 5 हजार वर्ष पुरानी है।

    हजारों साल पुराने मनकों के बाद अब कर्ण कोट किले पर मिली पांच हजार वर्ष पुरानी मूर्ति

    भूना (फतेहाबाद) जेएनएन। गांव भट्टू में कर्ण कोट के किले पर हजारों वर्ष पुरानी मूर्तियों के अवशेष मिले हैं। किले की जमीन से गुजरने वाले नहरी खाल से मूर्ति मिलने के बाद इसके तले धरोहर दबे होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। बलुआ मिट्टी से निर्मित इस मूर्ति को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि यह करीब 5 हजार वर्ष पुरानी है। शानदार बनावट वाली इस मूर्ति की सूचना पुरातत्व विभाग के सूचनावाहक अजय बिरोका ने जिला उपायुक्त धीरेंद्र खडग़टा को दी है।

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    मंगलवार सुबह कर्ण कोट के किले से गुजर रहे नहरी खाल में चल रहे तेज गति पानी के प्रवाह के कारण जमीन से उभर कर ऊपर आई मूर्ति को लेकर किसान हतप्रभ रह गए। जिसके बाद पुरातत्व विभाग ने सूचना वाहक अजय बिरोका मौके पर पहुंचे और उन्होंने मूर्ति को कब्जे में ले लिया। वहीं करीब दो घंटे तक पानी से बह रहे अन्य अवशेषों की भी जांच करते रहे, ताकि किसी भी प्रकार की कोई एतिहासिक सामग्री पानी में न बह जाए।

    बता दें कि 28 नवंबर को भी उक्त किले पर हजारों वर्ष पुराने मनके मिले थे। कीमती मनकों की सूचना भी पुरातत्व विभाग को दी गई थी। जिसके बाद विभाग ने किले की सुरक्षा और अधिक बढ़ा दी है। इससे पूर्व भी पुरातत्व विभाग की टीम कई बार कर्ण कोट के उक्त किले का निरीक्षण कर चुकी है। गत दो वर्षों से उक्त किले पर पुरातत्व विभाग की नजरें हैं और इस टीले से मिट्टी उठाना व खुदाई किए जाने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाकर करीब 9 एकड़ जमीन अधिग्रहण भी की जा रही है।

    थेहड़ मसले को लेकर चंडीगढ़ में हुई विशेष बैठक, पुनर्वास रहा प्राथमिक

    सिरसा : सिरसा में थेहड़ को खाली करवाए जाने और यहां से विस्थापित किए जाने वाले परिवारों के पुनर्वास का मसला राज्य सरकार की ओर से चंडीगढ़ में रखी गई बैठक में उठा। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की अध्यक्षता में हुई बैठक में मुख्य सचिव, पंचायत, नगर निकाय विभाग, हरियाणा पुरातत्व विभाग, राजस्व विभाग, हाउसिंग बोर्ड, वित्त एवं योजना विभाग व सिरसा के उपायुक्त ने हिस्सा लिया। बैठक में जिला प्रशासन ने हाई कोर्ट द्वारा थेहड़ खाली करवाए जाने के लिए समय सीमा निर्धारित करने तथा थेहड़ खाली करवाने के दौरान परिवारों के पुनर्वास का मसला रखा गया। सिरसा के उपायुक्त ने पंचायतों द्वारा जमीन दिए जाने के मसले को भी रखा और कहा कि 120 किमी के दायरे में पडऩे वाली पंचायतों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। पांच पंचायतों के प्रस्ताव आ गए हैं। एक स्थान के बजाय थेहड़वासियों को अलग-अलग भी पुनर्वास के प्रबंध हो सकते हैं। बुधवार को इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई भी होनी थी मगर सुनवाई नहीं हो सकी। ऐसे में इसके लिए किसी और दिन सुनवाई होगी।

    हाउसिंग बोर्ड के फ्लैट में रखे जाने पर भी विचार

    जिला प्रशासन ने बताया कि थेहड़ के ऊपरी हिस्से को पहले खाली कराए जाने की योजना है। इसके तहत यहां रहने वाले परिवारों को पहले की तरह ही हाउसिंग बोर्ड के फ्लैट में अस्थाई रूप से रखा जा सकता है। पहले भी यहां 715 परिवार रखे गए हैं। यह भी मुद्दा उठा कि इसके लिए सरकार की मंजूरी चाहिए। डिप्टी सीएम ने संबंधित विभाग के अधिकारियों से भी मौके पर चर्चा की। इसके अलावा दूसरा विकल्प प्लाट देने से संबंधित योजनाओं का रहा। इस पर भी चर्चा हुई और प्लाट देने के बाद मकान कैसे बने, कौन-कौन सी योजनाएं इसमें कारगर हो सकती हैं इस पर चर्चा की गई। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि थेहड़वासियों को वहां से हटाने से पहले पुनर्वास का प्रबंध होना चाहिए।