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कोरोना का सबसे अधिक सामाजिक प्रभाव उन परिवार पर जिनके सदस्य इस बीमारी से जंग में हार गए

जागरण संवाददाता हिसार भारत विकास परिषद विवेकानंद शाखा द्वारा कोरोना महामारी को लेकर

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 May 2021 11:05 PM (IST)Updated: Sun, 23 May 2021 11:05 PM (IST)
कोरोना का सबसे अधिक सामाजिक प्रभाव उन परिवार पर जिनके सदस्य इस बीमारी से जंग में हार गए
कोरोना का सबसे अधिक सामाजिक प्रभाव उन परिवार पर जिनके सदस्य इस बीमारी से जंग में हार गए

जागरण संवाददाता, हिसार : भारत विकास परिषद विवेकानंद शाखा द्वारा कोरोना महामारी को लेकर एक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। शाखा अध्यक्ष राजेश जैन ने बताया कि कोविड-19 का हमारे जीवन पर सामाजिक, आर्थिक व घरेलू प्रभाव विषय पर आयोजित इस प्रतियोगिता में परिषद की अनेक बेटियों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में भाग लेने वाली प्रतिभागी प्रियांशी ने अपने निबंध में कोरोना का सामाजिक प्रभाव बताते हुए लिखा कि इस महामारी का पहला और सबसे गंभीर प्रभाव प्रभाव उन परिवारों पर पड़ेगा जिनके सदस्य इस बीमारी से जंग में हार गए। आर्थिक प्रभाव बताते हुए प्रियांशी ने लिखा कि लॉकडाउन का मुख्य प्रभाव मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ा है क्योंकि उन्हें बच्चों की फीस, दुकान का किराया, कर्मचारियों का वेतन व बिजली पानी का बिल देना पड़ता है। घरेलू प्रभाव पर उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण घर के कामकाज को लेकर पारिवारिक सदस्यों में आपसी मतभेद बढ़ रहे हैं।

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प्रतियोगिता में नीरज जिदल की पुत्री प्रियांशी ने प्रथम स्थान हासिल किया तो सीताराम मंगल की बेटी ईशा गुप्ता ने दूसरा स्थान तथा प्रदीप गर्ग की पुत्री खुशी ने तीसरा स्थान पाया। सांत्वना पुरस्कार पाने वालों में इशिका पुत्री सुनील जिदल, मंशा पुत्री सूर्य गोयल, राधिका पुत्री सुशील गोयल, हिमांशी पुत्री राजेश गोयल, रेणु पुत्री अमित कुमार, कीर्ति देवांशी पुत्री हेमंत बंसल व निशा पुत्री गौरव गोयल रही।


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