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Lok Sabha Election 2024: देवीलाल, भजनलाल व जिंदल की पीढ़ी अब BJP के लिए मांगेगी वोट, कभी आपस में था 36 का आंकड़ा

हरियाणा में लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) से पहले कई राजनैतिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। बीजेपी हरियाणा में भी परस्पर विरोधी राजनीतिक कुनबे को जोड़कर लोकसभा चुनाव का मैदान मारने उतरी है। हरियाणा की राजनीति में देवीलाल भजनलाल और ओपी जिंदल एक दूसरे की पार्टी के कट्टर विरोधी देखे गए। लेकिन बीजेपी इन्हें एक मंच पर लाकर लोकसभा का मैदान जीतने की तैयारी में है।

By Deepak Saxena Edited By: Deepak Saxena Published: Mon, 01 Apr 2024 03:59 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2024 03:59 PM (IST)
देवीलाल, भजनलाल व जिंदल की पीढ़ी अब BJP के लिए मांगेगी वोट।

मणिकांत मयंक, हिसार। ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर। भारतीय राजनीति के संदर्भ में यह पुराना मिथक भी मोदी मैजिक से टूट रहा है। इस सच को यूं समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कद और उनके साये में हरियाणा की राजनीतिक जमीन के आपसी कट्टर विरोधी एक मंच पर आ रहे हैं।

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दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी देश के अन्य हिस्सों की तरह हरियाणा में भी परस्पर विरोधी राजनीतिक कुनबे को जोड़कर इस बार के लोकसभा चुनाव का मैदान मारने उतरी है। इसे कभी आपस में 36 का आंकड़ा रखने वाले देवीलाल, भजनलाल और ओपी जिंदल-राजनीति के तीन प्रमुख परिवारों के कुनबे को एक मंच पर लाने की राजनीति में प्रत्यक्ष देखा जा रहा है।

बीजेपी ने चला अपना राजनैतिक पैंतरा

भाजपा के रणनीतिकारों ने प्रदेश में सभी दस की दस लोकसभा सीटें जीतने के पिछले सुखद अतीत को दोहराने के लिए आपस में धुर विरोधी कहलाने वाले इन परिवारों को एक-दूसरे के लिए मतदाताओं के बीच जाने की अनूठी युक्ति निकाली है। इसका सबसे बड़ा दृश्य हिसार लोकसभा सीट पर दिखाई भी देने लगा है। चौधरी देवीलाल के पुत्र और हिसार से भाजपा प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला के लिए उस जिंदल परिवार के वारिस मतदाताओं से अपील करेंगे, जिन्हें कुरुक्षेत्र के चुनावी मैदान में अक्सर देवीलाल के ही परिवार से ही चुनौती मिलती रही।

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यही नहीं, प्रदेश की राजनीति में परस्पर कट्टर विरोधी देवीलाल और भजनलाल के पुत्र भी इस बार साथ चलेंगे। मन से अथवा बेमन, भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई देवीलाल के पुत्र रणजीत सिंह चौटाला के लिए वोट की अपील करेंगे। इस संयोग पर राजनीति के विशेषज्ञ भी हैरान हैं।

26 साल पहले ओपी जिंदल और रणजीत चौटाला थे आमने-सामने

विशेषज्ञों की हैरानी यूं ही नहीं है। यह लोकसभा चुनावी वाकया 26 साल पहले का है जब जिंदल हाउस के आदर्श और प्रसिद्ध उद्योगपति ओमप्रकाश जिंदल और रणजीत सिंह हिसार सीट पर आमने-सामने थे। हालांकि ओपी जिंदल बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी से प्रत्याशी थे जबकि रणजीत सिंह कांग्रेस से। दोनों ही हार गए थे। इस चुनाव में हरियाणा लोकदल के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह बरवाला की जीत हुई थी। ओपी जिंदल दूसरे स्थान पर और रणजीत सिंह चौथे स्थान पर रहे थे।

जिंदल परिवार को देवीलाल परिवार से मिलती रही चुनौती

वर्ष 1998 का इकलौता लोकसभा चुनाव नहीं था जब ओपी जिंदल अथवा उनके वारिस को देवीलाल परिवार से चुलौती मिली। देवीलाल के पुत्र ओमप्रकाश चौटाला की अगुवाई वाली इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और जिंदल परिवार के बीच कुरुक्षेत्र के चुनावी संग्राम में खूब घमासान हुआ। कभी कैलाशो देवी, कभी अभय सिंह चौटाला तो कभी अशोक अरोड़ा उनके सामने रोड़ा अटकाते रहे। हालांकि, एक बार ओपी जिंदल और दो बार उनके पुत्र नवीन जिंदल ने कुरुक्षेत्र का मैदान मारा है।

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भजनलाल से स्पर्धा में हुड्डा के साथ थे जिंदल

नब्बे के दशक का दौर कांग्रेस में कलह की शुरुआत का था। बंसीलाल ने अलग बंसी बजाई तो भजनलाल और भूपेंद्र हुड्डा के बीच प्रतिद्वंद्विता परवान चढ़ रही थी। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, इन दोनों के बीच कुर्सी की होड़ के दिनों में ओमप्रकाश जिंदल हुड्डा के साथ थे। सैद्धांतिक रूप से जिंदल और भजनलाल परिवार के बीच कभी नहीं बनी। ओपी जिंदल के परिवार ने पिछले लोकसभा चुनाव तक भूपेंद्र हुड्डा का साथ दिया।

  • 1996 में ओपी जिंदल ने कैलाशो देवी को 51,777 मतों से हराया।
  • 2004 में नवीन जिंदल ने अभय को 1,60,190 वोटों से हराया।
  • 2009 में नवीन ने अशोक अरोड़ा को 1,18,729 वोटों से हराया।

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