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...जब पूर्व PM वाजपेयी सहित अन्य सांसदों ने पूछ लिया था उर्दू विषय में पढ़ाई कराने को लेकर सवाल, मिला ये जवाब

जब उर्दू की वजह से संयुक्त पंजाब में राजस्व विभाग जब पंगु हो गया था। तब प्रताप सिंह दौलता ने लोकसभा में तत्कालीन सरकार से इस संबंध में सवाल पूछा था। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित अन्य सांसदों ने उर्दू विषय में पढ़ाई की बात को लेकर संसद में सवाल पूछे थे। जानिए फिर इन सवालों का तत्कालीन सरकार ने क्या जवाब दिया था।

By Jagran News Edited By: Monu Kumar Jha Published: Mon, 01 Apr 2024 03:22 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2024 03:22 PM (IST)
Haryana News: पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी सहित अन्य सांसदों ने जब पूछा था, उर्दू विषय में पढ़ाई कराने को लेकर सवाल।

अमित पोपली, झज्जर। मुगल काल में जमीनों की पहचान करने, उन्हें नंबर व नाम देने की व्यवस्था अकबर के मंत्री टोडरमल ने शुरू की थी। जिसमें इस्तेमाल शब्दावली करीब 425 साल बाद आज तक मजबूती के साथ राजस्व के दस्तावेजों में जमी है। ऐसे सैकड़ों शब्द आम आदमी के साथ ही पटवारियों और राजस्व अधिकारियों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।

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पुराने राजस्वकर्मी थोड़ा-बहुत अर्थ जानते समझते हैं। नए कर्मचारियों को तो शब्दकोश ही खंगालना पड़ता है। ऐसे दुरूह शब्दों की जगह तकरीबन हर राज्य में कायम है। पन्नों को पलट कर देखें तो दूसरी लोकसभा (Lok Sabha Election 2024) में झज्जर (Jhajjar News) का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रताप सिंह दौलता (Pratap Singh Daulata) ने सरकार से सवाल उठाते हुए कहा क्या सरकार को पता है कि पंजाब में सारा राजस्व रिकॉर्ड उर्दू में रखा जाता है और पटवारियों को केवल हिंदी आती है।

जिसके परिणाम स्वरूप राजस्व विभाग पंगु हो गया है और पंजाब सरकार किसी भी निर्देश की परवाह नहीं कर रही कि, वहां उन लोगों को भी उर्दू सीखने की सुविधा दी जाये ? जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री पंडित जी.बी. पंत ने जवाब दिया, मुझे इस आशय की कोई सूचना नहीं मिली है।

देखिए फारसी उर्दू के शब्दों की बानगी

राजस्व की शब्दावली की एक बानगी देखिए। संभवत: जिसकी वजह से तत्कालीन समय में राजस्व विभाग के पंगु तक होने की बात कही गईं। जिसमें तितम्मा मिलान, वाजिब उल दर्ज, रूढ़ अलामात, मुनारा, मसाहती ग्राम, गोश्वारा, बयशुदा, साकिन, मजकूर, अखात तफसील…। ऐसे सैकड़ों शब्द है। जो कि अभी तक सिरदर्द बने हुए हैं।

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देखिए, यह अपने आप में अजीब और अलग तरह की समस्या है। साथ ही पुलिस प्रशासन में अमूमन जो फारसी उर्दू के शब्द प्रयुक्त होते हैं वे शिकायतकर्ता के लिए तो मुश्किल पैदा करते ही हैं, अधिवक्ता भी उन्हें देखकर माथा पकड़ लेते हैं। अक्सर इस्तेमाल में आने वाले फारसी और उर्दू के कुछ शब्द - मोहर्रिर, इमरोज, तहरीर, पुलंदा, हजा, मजरूब, जरायम, दीदा दानिस्ता, पेशबंदी, मसरुका…।

इनके अर्थ पता करना किसी भी शिकायतकर्ता के लिए किसी सजा से कम नहीं है। ऐसी शब्दावली से आम आदमी यह समझ ही नहीं पाता कि उसकी एफआईआर रिपोर्ट में आखिर लिखा क्या है! अब यह उम्मीद की जानी चाहिए कि उस दौरान सदन में उठे इस मुद्दे का जल्द पूरी तरह से समाधान होगा।

क्या शिक्षा उर्दू के माध्यम से प्रदान की जाएगी-वाजपेयी

बात 11 सितंबर 1958 के दिन दूसरी लोकसभा के एक सत्र की है। जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ( (Atal Bihari Vajpayee) ने बतौर सांसद सरकार से सवाल पूछा क्या माध्यमिक स्तर पर शिक्षा उर्दू के माध्यम से प्रदान की जाएगी या माध्यमिक स्तर पर उर्दू की शिक्षा दी जाएगी ? जिस पर गृह मंत्री ने कहा, जहां तक उर्दू को एक भाषा के रूप में पढ़ाने का सवाल है।

इसे हर स्कूल में एक भाषा के रूप में पढ़ाया जा सकता है, चाहे वहां पर कुछ विद्यार्थी हों। इन जगहों पर केवल उर्दू भाषा पढ़ाए जाने का सवाल नहीं है, बल्कि उर्दू माध्यम के इस्तेमाल का सवाल है। जहां शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन के निर्णयों के अनुसार, उर्दू जानने वाले लड़कों की संख्या निर्धारित न्यूनतम तक पहुंच जाती है।

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