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हरियाणा में कमाल का इलाज; मिट्टी, पानी, धूप और हवा से ठीक हुई लाइलाज बीमारी, मरीज बना डॉक्‍टर

रोहतक में रह रहे उत्तर प्रदेश निवासी बीएएमएस डा. राजीव को वंशानुगत अस्थमा की बीमारी थी। वे 1992 तक इलाज कराते रहे। एक प्राकृतिक चिकित्सक का बोर्ड लगा देखा और इलाज कराने पहुंचे और स्वस्थ्य हो गए। फिर खुद प्राकृतिक चिकित्सा की पढ़ाई की और प्राकृतिक चिकित्सक बन गए।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 07:38 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 09:12 AM (IST)
प्राकृतिक चिकित्‍सा से जन्‍मजात लाइलाज बीमारी को मात दे खुद डॉक्‍टर बन रोहतक में इलाज करते हुए डॉ. राजीव

रोहतक [अरुण शर्मा] मिट्टी, सूर्य की किरणें, पानी और हवा ... यह सब हैं गंभीर मर्जों की दवा ...। यह बात सोलह आने सच है। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ निवासी बीएएमएस डाक्टर डा. राजीव शर्मा को जब पंच तत्वों के विज्ञान का पता चला तो उन्होंने अपने क्लीनिक में ताला लगा दिया। प्राकृतिक चिकित्सा सीखने दिल्ली जा पहुंचे। फिर पंजाब के संगरूर और बाद में हरियाणा के भिवानी और चरखी-दादरी में नौकरी की। 2001 में नौकरी छोड़ दी और तभी से रोहतक में रहकर दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा से पहुंचने वाले मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

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दरअसल, 65 वर्षीय डा. राजीव की स्वर्गीय दादी वीरा देवी और पिता स्वर्गीय राम निवास शर्मा वंशानुगत अस्थमा की बीमारी से पीड़ित थे। राजीव भी इसी बीमारी की चपेट में बचपन से आ गए। 1992 तक गंभीर रूप से बीमार रहे। इस दौरान तक खुद का क्लीनिक चलाते हुए भी दूसरे चिकित्सकों से इलाज कराते रहे। चिकित्सक कह देते कि दम के साथ ही दमा जाएगा। डा. राजीव का क्लीनिक अलीगढ़ के हरदुआगंज में था। यहां अपने क्लीनिक में जाते हुए रास्ते में एक दुकान पर दिल्ली के चिकित्सक डा. गौरी शंकर मिश्र का बोर्ड लगा देखा, जोकि दिल्ली से हरदुआगंज आकर सिर्फ मंगलवार को प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करते थे।

यहां करीब 15 दिन रहकर बीमार में 50 फीसद आराम मिला, जबकि 45 दिन बाद पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हो गए। इन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा की ताकत को पहचाना। अपने क्लीनिक पर ताला लगाकर दिल्ली प्राकृतिक चिकित्सा का कोर्स करने पहुंच गए। प्राकृतिक चिकत्सा को लेकर डा. कहते हैं कि मैं पिछले 26 साल से पूर्ण स्वस्थ्य हूं। अभी तक तमाम नामी चिकित्सकों के अलावा राजनेताओं, उद्यमियों तक को पूर्ण स्वस्थ्य कर चुके हैं।

पंच तत्वों के अंसतुलन का नाम ही है बीमारी

डा. राजीव कहते हैं कि पंच तत्वों जल, मिट्टी(धरती), आकाश(रिक्तता), वायु, अग्नि(सूर्य की किरणें) अंसतुलित यानी कम-ज्यादा होने पर ही व्यक्ति बीमारियों की चपेट में आ जाता है। मिट्टी तत्व के अंसतुलन से मोटापा जैसे रोग हो जाते हैं। आकाश तत्व के चलते टेंशन, बैचेनी, अनिश्चितता, घबराहट, आत्मविश्वास में कमी आदि रोग हो सकते हैं। वायु तत्व के कारण जोड़ों के दर्द के विकार संबंधित रोग बढ़ते हैं। अग्नि तत्व के बढ़ने या फिर कमी से दुबला होना, एसिडिटी, पेट संबंधित बीमारियां, लीवर में दिक्कत आदि रोग हो सकते हैं। वहीं, जल तत्व व्यक्ति के शरीर में सर्दी, जुकाम, खासी, फेंफड़ों से संबंधित रोग, किडनी में दिक्कत ला सकता है।

इस तरह करते हैं उपचार

डा. राजीव जोहड़ या फिर किसी भी स्थान पर पांच-छह फीट गहराई से मिट्टी लाकर उपचार करते हैं। यह उपचार मिट्टी तत्व से संबंधित होता है। आकाश तत्व के लिए ध्यान कराते हैं। वायु तत्व के लिए प्राणायाम व योग मरीजों को नियमित कराते हैं। अग्नि तत्व के लिए सूर्य की किरणों का विभिन्न तरीकों से स्नान कराते हैं। वहीं, जल तत्व की बीमारियों से निजात दिलाने के लिए विभिन्न प्रकार के जल स्नान जैसे मेहन स्नान, कटि स्नान, रीढ़ स्नान, गर्म पैर स्नान आदि कराते हैं।

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