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    10 बच्चों के पिता ने 20 वर्ष छोटी लड़की से शादी कर मांगी सुरक्षा, कोर्ट ने ठोक दिया 1 लाख का जुर्माना; पता है क्यों?

    Updated: Tue, 12 Nov 2024 10:13 PM (IST)

    Haryana Latest News हरियाणा के अंतर्गत नूंह में रहने वाले एक मुस्लिम प्रेमी जोड़े को कोर्ट ने जमकर फटकारा। दरअसल परिवार वालों से जान का खतरा बताकर उन्होंने कोर्ट में सुरक्षा की गुहार लगाई। कोर्ट ने जोड़े को एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि जानबूझकर कई तथ्य छिपाकर सुरक्षा नहीं मांगी जा सकती।

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    कोर्ट ने जोड़े को एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana News: हरियाणा के नूंह में रहने वाले एक मुस्लिम प्रेमी जोड़े को परिवार वालों से जान का खतरा बताकर कोर्ट से सुरक्षा मांगना महंगा पड़ गया। कोर्ट ने जोड़े को एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि जानबूझकर कई तथ्य छिपाकर सुरक्षा नहीं मांगी जा सकती। अदालत ने सुरक्षा को लेकर भी संशय किया।

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    उम्र में 20 साल छोटी है युवती

    इस अजीब केस में प्रेमी पुरुष पहले से न केवल शादीशुदा है, बल्कि 10 बच्चों का पिता भी है और जिस लड़की से शादी कर कोर्ट से उसने सुरक्षा मांगी है, वह लड़की इस व्यक्ति से 20 वर्ष छोटी है। कोर्ट के आदेश पर याचिकाकर्ताओं को गरीब मरीज कल्याण कोष, पीजीआइ चंडीगढ़ में एक लाख रुपये का जुर्माना जमा कराना होगा।

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    कोर्ट ने नूंह (Nuh News) के एसपी को लड़की की सुरक्षा पर गौर किए जाने के आदेश दिए हैं। याचिका में लड़की का आधार कार्ड इस तरह से लगाया गया कि लड़की पहचानी ही न जा सके। कोर्ट के जस्टिस आलोक जैन ने कहा कि यह सामने नहीं आ रहा है कि याचिकाकर्ताओं को कब और कहां कोई धमकी दी गई थी।

    55 हजार रुपए कमाता है युवक

    कोर्ट में बहस करते समय याचिकाकर्ता के वकील (Haryana Latest News) ने कहा कि पुरुष याचिकाकर्ता के पास 40 एकड़ जमीन है। याचिका में यह भी लिखा गया कि वह एक मैकेनिक है और 55 हजार रुपये कमाता है। कोर्ट ने कहा कि पुरुष याचिकाकर्ता के उसकी पहली शादी से 10 बच्चे हैं और अब उसने एक ऐसी लड़की से शादी कर ली है, जो उससे 20 साल छोटी है।

    कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने छिपाए तथ्य

    कोर्ट के सामने यह नहीं आ पा रहा है कि याचिकाकर्ताओं को कब और किसने उनके जीवन और स्वतंत्रता को खतरे में डाला। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर रखे गए आधार कार्ड को देखने से पता चलता है कि यह पूरी तरह से अस्पष्ट है और महिला याचिकाकर्ता की पहचान छिपाने के लिए जानबूझकर किया गया कार्य प्रतीत होता है। 

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