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    Save Aravalli: अरावली के 10 हजार एकड़ से अधिक भूमि पर गैर वानिकी कार्य जारी, बढ़ी धूल भरी आंधी आने की घटनाएं

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 07:00 AM (IST)

    गुरुग्राम में अरावली के सीने पर वन विभाग की निष्क्रियता के कारण हजारों गैर वानिकी कार्य हो रहे हैं, जिनमें फार्म हाउस, मंदिर और होटल शामिल हैं। इससे ह ...और पढ़ें

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    अरावली पर काफी संख्या में मंदिर, गोशाला, धर्मशाला, होटल एवं स्कूल तक बने हुए हैं।

    आदित्य राज, गुरुग्राम। वन सहित कई विभागों के अधिकारियों की निष्क्रियता, मिलीभगत या लापरवाही की वजह से अरावली के सीने पर हजारों गैर वानिकी कार्य हो चुके हैं। इनमें से तीन हजार से अधिक फार्म हाउस हैं। काफी संख्या में मंदिर, गोशाला, धर्मशाला, होटल एवं स्कूल तक बने हुए हैं। इन कार्यों से सबसे अधिक नुकसान हरियाली को हुआ है। यही वजह है कि राजस्थान से धूल भरी हवाएं अधिक आने लगी हैं।

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    पर्यावरणविदों का कहना है कि अरावली की सुरक्षा तब तक सुनिश्चित नहीं हो सकती जब तक किए गए गैर वानिकी कार्य खत्म नहीं किए जाते और आगे इसके ऊपर पूरी तरह रोक नहीं लगती। गैर वानिकी कार्यों को खत्म करने के साथ ही उन सभी अधिकारियों के ऊपर कार्रवाई होनी चाहिए जिनके कार्यकाल में नियमों का उल्लंघन हुआ।

    हरियाणा के गठन के साथ ही अरावली पहाड़ी क्षेत्र में पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम लागू है। जिस इलाके में यह अधिनियम लागू किया जाता है, उस इलाके में गैर वानिकी कार्य के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेना आवश्यक होता है। यही नहीं केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सात मई 1992 को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक गैर मुमकिन पहाड़ के इलाके में न ही पेड़ों की कटाई की जा सकती है और न ही निर्माण ही किया जा सकता है।

    यदि प्रशासन को कार्य करने हैं यानी रोड बनाने की आवश्यकता है, पाइप लाइन डालना हो या फिर बिजली के खंभे ही लगाने हो तो भी केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। इसके बाद भी गुरुग्राम एवं फरीदाबाद जिले के अंतर्गत अरावली पहाड़ी क्षेत्र की 10 हजार एकड़ से अधिक भूमि पर गैर वानिकी कार्य कर दिए गए।

    गैर वानिकी कार्य होने 1990 के बाद शुरू हुए। देखते ही देखते हजारों निर्माण हो गए। वैसे तो कई इलाकों में फार्म हाउस बने हुए हैं लेकिन सबसे अधिक फार्म हाउस रायसीना, गैरतपुर बास, सांप की नंगली, सोहना, मानेसर, पचगांव, दमदमा, रिठौज, बंधवाड़ी, ग्वालपहाड़ी, घाटा एवं बालियावास एवं गरुग्राम से सटे फरीदाबाद के इलाके में बने हुए हैं।

    फार्म हाउसों से वन्यजीव हो रहे अशांत

    धनकुबेरों ने फार्म हाउसों की आड़ में आलीशान रिर्जाट बना लिए हैं। इनमेें पार्टियां होती रहती हैं। काफी फार्म हाउस इतने बड़े हैं कि पता ही नहीं चलता है कि अंदर पार्टी चल रही है। कई बार पुलिस की छापेमारी हो चुकी है। पार्टी के अंत में आतिशबाजी की जाती है। इससे वन्यजीव अशांत होते हैं।

    अशांत होकर वे भटकते हुए रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं। इस वजह से पिछले कुछ सालों के दौरान 15 से अधिक वन्यजीव मौत के शिकार हो चुके हैं। बताया जाता है कि जब तक अरावली सुरक्षित थी तब तक जगह-जगह बने प्राकृतिक तालाबों में पानी भरा रहता था। अब लगभग तालाब सूख चुके हैं। इस वजह से प्यास बुझाने के लिए भी कई बार वन्य जीव रिहायशी इलाकों में पहुंचते हैं।

    कुछ इलाकों में ही हैं अधिकतर वन्यजीव

    जब तक अरावली सुरक्षित थी तब तक पूरे अरावली पहाड़ी क्षेत्र में वन्यजीव दिखाई देते थे। अब जिन इलाकों में घनी हरियाली है उन्हीं इलाकों में अधिकतर वन्यजीव हैं। इन इलाकों में वजीराबाद, घाटा, बंधवाड़ी, मांगर, ग्वालपहाड़ी, मानेसर घाटी, कासन, शिकोहपुर, सांप की नगली, मंडावर, भोंडसी, दमदमा, धुनेला के साथ ही फिरोजपुर झिरका शामिल हैं। पर्यावरणविदों का मानना है कि फार्म हाउसों सहित अन्य गैर वानिकी कार्यों को ध्वस्त किए जाने से वन्यजीवों की संख्या तेजी से बढ़ेगी।

    निर्माणों को तोड़ने के नाम पर खानापूर्ति

    वन विभाग निर्माणों को तोड़ने के नाम पर खानापूर्ति करता है। तीन महीने पहले 90 फार्म हाउसों को तोड़ने के लिए नोटिस जारी करने के बाद विभाग भूल गया। सवाल करने पर कभी पुलिस न मिलने का बहाना तो कभी किसी वीवीआइपी के कार्यक्रम का बहाना बनाया जाता है। इससे पहले भी कई बार नोटिस जारी करने के बाद कार्रवाई नहीं की गई। डीटीपीई, नगर नगर निगम एवं हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी अपने दायरे में आने वाले निर्माणों को तोड़ने के नाम पर खानापूर्ति कर रहा है। इससे अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ रहा है।

    अरावली में 2017 की गणना के मुताबिक वन्य जीव

    वन्य जीव संख्या
    लकड़बग्घा (Striped Hyena) 126
    गीदड़ (Golden Jackal) 166
    सेहली (Porcupine) 91
    बिज्जू (Hedgehog) 61
    नेवला (Mongoose) 50
    तेंदुआ (Leopard) 31
    जंगली बिल्ली (Jungle Cat) 26
    लोमड़ी (Fox) 4
    भेड़िया (Wolf) 3
    लंगूर की प्रजाति (Langur Species) 2

    पूरा अरावली पहाड़ी क्षेत्र ही वन क्षेत्र घोषित है। ऐसे में क्षेत्र में जो भी निर्माण हैं, सभी अवैध हैं। अवैध निर्माणों को तोड़ने के लिए किसी से आदेश लेने की आवश्यकता नहीं। प्रशासन बहाना बनाता है। जब सुप्रीम कोर्ट या एनजीटी में सुनवाई की तारीख आती है तो कुछ स्ट्रक्चर को तोड़कर दिखा देता है। अरावली के साथ मजाक चल रहा है। यह मजाक आने वाली पीढ़ियों को बहुत महंगा पड़ेगा। - डॉ. आरपी बालवान, पर्यावरणविद् व सेवानिवृत वन संरक्षक

    अरावली पहाड़ी क्षेत्र में जहां भी अवैध निर्माण है, उसे ध्वस्त किया जाएगा। इस बारे में योजना तैयार है। जल्द ही इस दिशा में कार्रवाई शुरू की जाएगी। फरीदाबाद के इलाके में काफी निर्माण ध्वस्त किए गए हैं। गुरुग्राम में भी सर्वे कर अवैध निर्माणों की सूची तैयार कर ली गई है। वन भूमि पर बने रास्तों को पूरी तरह खत्म किया जाएगा ताकि आगे से गैर वानिकी कार्य न हो सके। - डा. सुभाष यादव, वन संरक्षक