सुरक्षित यातायात पर ध्यान न देने से खत्म हो रहीं जिंदगियां, एनसीआर में हर साल होती हैं 3000 से अधिक मौतें
सर्दियों में कोहरे के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए दैनिक जागरण ने 'सुरक्षित यातायात' अभियान शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य अवैध कट, रिफ्लेक्टर की कमी और सड़कों पर खड़े वाहनों जैसी समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करना है। अभियान के तहत लोगों को सुरक्षित यातायात के प्रति जागरूक किया जाएगा और उनसे जिम्मेदारी से वाहन चलाने की अपील की जाएगी।

आदित्य राज, गुरुग्राम। सर्दी ने दस्तक दे दी है। किसी भी दिन से कोहरा छाना शुरू हो सकता है। हर साल कोहरे के दाैरान हादसों का आंकड़ा बढ़ जाता है। वैसे तो सभी सड़कों पर हादसे बढ़ जाते हैं, लेकिन हाईवे एवं एक्सप्रेसवे पर अधिक हादसे होते हैं। हादसों की वजह से दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में हर साल न केवल हजारों लोगों की मौत होती है बल्कि हजारों लोग घायल होते हैं।
उदाहरणस्वरूप गुरुग्राम में ही हर साल औसतन 400 से अधिक लोगोंं की मौत होती है। इनमें से 20 से 25 प्रतिशत हादसे कोहरे के दौरान होते हैं। यह हाल तब है जब भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के प्राथमिकताओं में हादसों पर रोक लगाना सबसे ऊपर है। सच्चाई यह है कि प्राथमिकताएं कागजों में ही सबसे ऊपर हैं, धरातल पर नहीं।

प्राथमिकताएं धरातल पर भी दिखाई दें, इसे लेकर दैनिक जागरण ने एक बार फिर कोहरा छाने से पहले जिंदगी बचाने को लेकर सुरक्षित यातायात अभियान चलाने जा रहा है। अगले 15 दिनों तक सुरक्षित यातायात को लेकर किन-किन विषयों के ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है, इस बारे में केवल शासन व प्रशासन को जागरूक किया जाएगा बल्कि आम लोगों से भी अपील की जाएगी कि वे कोहरे के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखें।
विशेषज्ञों के मुताबिक सड़क हादसों के पीछे कई मुख्य कारण हैं। इन कारणों में अवैध कट, वाहनों के पीछे रिफ्लेक्टर का न लगा होना, सड़कों के किनारे वाहनों का खड़ा होना, देर रात सभी लेन में भारी वाहनों का चलना, एंट्री व एग्जिट के नजदीक रिफ्लेक्टर का न लगा होना, सड़क किनारे पेड़ों एवं बिजली के खंभों पर रिफ्लेक्टर न लगा होना एवं स्ट्रीट लाइटों का सही से न जलना मुख्य हैं।
एनसीआर में कहां कितने हादसे
| शहर | पिछले वर्ष हुईं मौतें | इस साल अक्टूबर तक हुईं मौतें |
| गुरुग्राम | 448 | 370 |
| दिल्ली | 1504 | 1056 |
| सोनीपत | 329 | 300 |
| नोएडा | 462 | 393 |
| पलवल | 283 | 250 |
| गाजियाबाद | 381 | 328 |
| फरीदाबाद | 231 | 182 |
| रेवाड़ी | 103 | 62 |
| नूंह | 147 | 225 |
अवैध कटों की वजह से हाईवे या एक्सप्रेसवे पर अचानक वाहन आ जाते हैं। नतीजा यह होता है कि जब तक पीछे से आ रहे वाहनों के चालक संभलते हैं तब तक हादसा हो जाता है। सड़क सुरक्षा परामर्श समितियों की बैठक में अवैध कटों को बंद करने को लेकर अक्सर चर्चा होती है लेकिन जमीनी स्तर पर काम नहीं हो रहा।
हाईवे एवं एक्सप्रेसवे में अवैध कट किस कदर बने हुए हैं, इसका सबसे बड़ा उदाहरण दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे है। एनसीआर के सबसे व्यस्ततम इस एक्सप्रेसवे में 40 से अधिक अवैध कट हैं।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-जयपुर हाईवे, द्वारका एक्सप्रेसवे, केएमपी एक्सप्रेसवे, दिल्ली-आगरा हाईवे, दिल्ली-देहरादून हाईवे, अर्बन एक्सटेंशन रोड-दो, गुरुग्राम-फरीदाबाद हाईवे, केजीपी एक्सप्रेसवे सहित एनसीआर से निकलने वाले सभी हाईवे एवं एक्सप्रेसवे के किनारे भारी वाहन जगह-जगह खड़े रहते हैं।
अधिकतर वाहनों के आगे-पीछे और साइड में रिफ्लेक्टर न लगे होने से पीछे से आ रहे वाहन टकरा जाते हैं। अभियान के दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों, पुलिस महकमा, एनएचएआइ एवं क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण के साथ मिलकर रिफ्लेक्टर भी लगाए जाएंगे। साथ ही सभी ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन से अपनी की जाएगी वे सभी ट्रांसपोर्टर में रिफ्लेक्टर लगवाएं।
इस वजह से होते हैं हादसे
- अवैध कट, जिनसे अचानक वाहन हाईवे/एक्सप्रेसवे पर आ जाते हैं और पीछे से आ रहे वाहन संभल नहीं पाते।
- वाहनों के आगे–पीछे और साइड में रिफ्लेक्टर का न लगा होना, जिससे पीछे से वाहन टकरा जाते हैं।
- सड़कों के किनारे भारी वाहनों का खड़ा होना, जो रात में खासकर हादसे का कारण बनता है।
- देर रात सभी लेन में भारी वाहन चलने से छोटे वाहन ओवरटेक करते समय दुर्घटना का शिकार होते हैं।
- एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर रिफ्लेक्टर न होना, जिससे मोड़ और रास्ता स्पष्ट नहीं दिखता और दुर्घटना हो जाती है।
- पेड़ों, बिजली के खंभों पर रिफ्लेक्टर का न लगा होना और स्ट्रीट लाइटों का सही से न जलना, दृश्यता कम होने से हादसे बढ़ते हैं।
- अवैध कट बंद करने पर बैठकें तो होती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्रवाई नहीं होती, इसलिए दुर्घटनाएँ कम नहीं होतीं।
विभिन्न कंपनियों व अन्य प्रतिष्ठानों से अपील की जाएगी कि वे कर्मियों को अपने वाहनों में रिफ्लेक्टर लगाने का निर्देश दें। अभियान को एक आंदोलन का रूप देने का प्रयास होगा ताकि बिना रिफ्लेक्टर लगे वाहन सड़कों पर न आएं।
आम लोगों को भी उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया जाएगा। उन्हें अहसास कराया जाएगा कि वाहन चलाते समय ध्यान रखें कि कोई उनका इंतजार कर रहा है। यही अहसास हादसों के आंकड़े को कम देगा।
सड़क हादसों पर नहीं लग रही लगाम
दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में सड़क हादसों पर लगाम नहीं लग पा रही है। गुरुग्राम में गत वर्ष सड़क हादसों में 448 लोगों की मौत हुई, इस बार अक्टूबर तक 370 लोगों की मौत हो चुकी है।
सोनीपत में गत वर्ष 329 लोगों की मौत हुई थी, इस बार अब तक 300 लोगों की मौत हो चुकी है। नोएडा में गत वर्ष 462 लोगों की मौत हुई थी, इस साल अब तक 393 लोगों की मौत हो चुकी है। हादसों पर तभी लगाम लगेगी, जब कागजों से बाहर यानी जमीनी स्तर पर सुरक्षित यातायात को लेकर प्रयास किए जाएंगे।
दैनिक जागरण केवल अखबार नहीं बल्कि मित्र है। यह अभियान प्रमाणित करता है। उस विकास का क्या मतलब है जब जिंदगी ही सुरक्षित नहीं। आज स्थिति यह है कि जब तक व्यक्ति घर नहीं पहुंच जाता है तब तक चिंता लगी रहती है। देरी होने पर मन में कहीं हादसा होने की आशंका बनने लगती है। शासन-प्रशासन को जगाने व आम लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी का अहसास दिलाने के लिए सुरक्षित यातायात अभियान बेहतर कदम है।
- जेएस सुहाग, पूर्व तकनीकी सलाहकार, एनएचएआई

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।