अब दूर होगी यात्रियों की मुसीबत, NHAI के AI प्लान से सुधरेगा सड़कों का हाल; दिल्ली-गुरुग्राम रूट पर मिलेगी राहत!
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने 20,933 किलोमीटर राजमार्गों और एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता सुधारने के लिए AI आधारित 'अल्ट्रासाउंड' तकनीक का उपयोग करने की योजना बनाई है। यह तकनीक सड़कों की कमियों जैसे दरारें और गड्ढों का पता लगाएगी, जिससे मरम्मत कार्य में मदद मिलेगी और सड़क सुरक्षा में सुधार होगा। इसका उद्देश्य यात्रियों के लिए आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करना है।

दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे में जगह-जगह बने हुए हैं अवैध कट। जागरण
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। हाईवे और एक्सप्रेसवे से यात्रा सुगम करने व जिंदगी को बचाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) जल्द ही AI आधारित नेशनल सर्वेक्षण वाहन (एनएसवी) से सर्वेक्षण करेगा। इसे शुरू करने की दिशा में कार्यवाही तेज कर दी गई है। इससे सभी हाईवे व एक्सप्रेसवे का अल्ट्रासाउंड हो जाएगा यानी पूरी खामियां सामने आ जाएंगी।
रिपोर्ट का एनएचएआई के विशेषज्ञों की टीम विश्लेषण करेगी। टीम की रिपोर्ट के आधार पर सुधार का काम किया जाएगा। इस सर्वेक्षण से यह भी उजागर हो जाएगा कि स्थानीय स्तर पर यदि किसी हाईवे या एक्सप्रेसवे की मरम्मत के निर्देश दिए गए थे तो उसके ऊपर कितना काम हुआ। यदि काम नहीं हुआ है तो संबंधित परियोजना निदेशक से जवाब-तलब किया जाएगा।
देश भर में हाईवे एवं एक्सप्रेसवे का जाल तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसे देखते हुए एनएचएआई ने एआई तकनीक से सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया है। इससे जहां कम समय लगेगा वहीं पारदर्शिता रहेगी। शुरू में एनएचएआइ द्वारा गठित टीम सर्वेक्षण करती थी या फिर किसी स्वतंत्र एजेंसी से सर्वेक्षण कराया जाता था। इसके बाद ड्रोन से सर्वेक्षण कराया जाने लगा।
रिपोर्ट तैयार होने में ही काफी समय लग जाता था। साथ ही रिपोर्ट सही सौंपी गई है या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं होती थी यानी रिपोर्ट में बदलाव करना आसान था। एआइ आधारित सर्वेक्षण की रिपोर्ट में किसी भी स्तर पर बदलाव करना मुश्किल होगा। इसे सीधे एनएचएआइ के पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। सभी स्तर के अधिकारियों से लेकर केंद्र सरकार के मंत्री तक इसे देख सकेंगे।
सड़कों एवं फुटपाथों की स्थिति से संबंधित आवश्यक आंकड़े एकत्र करने में मदद मिलेगी, जिसमें सतह पर दरारें, गड्ढे और पैच आदि जैसी सभी संबंधित खामियां शामिल होंगी। यदि कहीं रेलिंग दुरुस्त नहीं है, अवैध कट बने हुए हैं, एंट्री व एग्जिट सही नहीं है आदि जानकारी भी सामने आ जाएगी।
20,933 किलोमीटर सड़कों का सर्वेक्षण
योजना के मुताबिक एनएचएआई 23 राज्यों को कई जोन में बांटकर नेटवर्क सर्वेक्षण वाहन तैनात करेगा। सभी वाहन 20,933 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। एकत्रित डेटा को एनएचएआई के एआई आधारित पोर्टल डेटा लेक पर अपलोड किया जाएगा।
फुटपाथ की स्थिति का सर्वेक्षण 3डी लेजर आधारित एनएसवी प्रणाली का उपयोग करके किया जाएगा, जो उच्च रिजाल्यूशन वाले 360 डिग्री कैमरों, डीजीपीएस (डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम), आइएमयू (इनर्शियल मेजरमेंट यूनिट) एवं डीएमआइ (डिस्टेंस मेजरिंग इंडिकेटर) की मदद से बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के खामियों को स्वचालित रूप से पकड़ने और रिपोर्ट करने में सक्षम है।
आगे दो लेन, चार लेन, छह लेन एवं 8 लेन वाली सभी परियोजनाओं पर काम शुरू करने से पहले एआइ आधारित वाहन से सर्वेक्षण किया जाएगा। फिर हर छह महीने पर सर्वेक्षण होगा। इससे यह पता चलेगा कि परियोजना शुरू करने से पहले रूट की क्या स्थिति थी, इसमें काम करने के लिए क्या बदलाव किया गया, छह महीने के भीतर कितने कार्य हुए आदि।
नेटवर्क सर्वेक्षण वाहन (एनएसवी) प्रणाली एक ऐसा उपकरण है जिसमें लेटेस्ट सेंसर और डेटा अधिग्रहण प्रणालियों से लैस वाहन शामिल हैं ।
बदलेगी बदहाल सड़कों की तस्वीर
सर्वेक्षण से देश के सभी बदहाल हाईवे एवं एक्सप्रेसवे की तस्वीर बदलेगी। लोग शिकायत पर शिकायत करते रहते हैं लेकिन कोई ध्यान देने को तैयार नहीं। उदाहरणस्वरूप दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे की न रेलिंग दुरुस्त है, न नालों के ऊपर ढक्कन हैं, न एंट्री व एग्जिट दुरुस्त है। 30 से अधिक अवैध कट हैं।
सर्विस लेन तो डैमेज है ही, मुख्य मार्ग तक में गड्ढे बने हुए हैं। हीरो होंडा चौक फ्लाईओवर में एक जगह महीनों से गड्ढा बना हुआ है लेकिन ठीक करने पर ध्यान नहीं। उम्मीद है कि एआइ आधारित सर्वेक्षण से पूरी सच्चाई सामने आएगी। एनएचएआई के अधिकारी मानते हैं कि अब सर्वेक्षण से पूरी सड़कों की पूरी सच्चाई सामने आ जाएगी।
इसमें घालमेल करना आसान नहीं होगा क्योंकि रिपोर्ट सीधे पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाएगा, जिसे सभी देख सकेंगे।
आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर
एनएचएआई के पूर्व तकनीकी सलाहकार जेएस सुहाग कहते हैं कि केवल आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से व्यवस्था बेहतर हो जाएगी, यह सोचना गलत है। व्यवस्था बेहतर होगी, व्यवस्था को चलाने वालों को जिम्मेदार बनाने से। परियोजना निदेशकों से लेकर क्षेत्रीय अधिकारियों को जिम्मेदार बनाया जाए। वे हर सप्ताह अपने इलाके की सड़कों का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट लिखें।
स्वतंत्र इंजीनियर से रिपोर्ट तैयार कराई जाती है। दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे देश का सबसे बदहाल एक्सप्रेसवे होगा। सभी इससे होकर गुजरते हैं। यदि परियोजना निदेशक से लेकर क्षेत्रीय अधिकारी तक को बदहाली के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता तो कब की तस्वीर बदल जाती। कब, कहां, किस समय दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर हादसा हो जाए, पता नहीं।
रात में अधिकतर लाइटें नहीं जलतीं। रेलिंग ठीक करने के लिए, लाइटों को ठीक करने के लिए, गड्ढों को भरने के लिए एवं अवैध कटों को बंद करने के लिए क्या टेंडर करने की आवश्यकता है। नजदीक दिल्ली में ही एनएचएआई मुख्यालय है। क्या मुख्यालय में बैठे अधिकारी दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे से होकर नहीं गुजरते हैं? जब तक अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा तब तक किसी भी सर्वेक्षण का कोई लाभ नहीं।

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