टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारियों की साइबर ठगों से मिलीभगत का पर्दाफाश, ऐसे कर रहे थे मदद; दो गिरफ्तार
Cyber Fraud in Gurugram एक टेलीकॉम कंपनी के दो कर्मचारियों को साइबर ठगों के साथ मिलीभगत के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ये कर्मचारी पार्ट टाइम जॉब दिलाने व इन्वेस्टमेंट कराने के नाम पर व्हाट्सएप/टेलीग्राम के माध्यम से ठगी करने वाले इंडोनेशियन व चाइनीज ठगों को वर्चुअल नंबर उपलब्ध कराते थे। पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम।Gurugram Cyber Fraud: साइबर ठगों के साथ टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारियों की मिलीभगत का पर्दाफाश गुरुग्राम पुलिस की साइबर क्राइम टीम एवं केंद्रीय गृह मंत्रालय से संबंधित इंडियन साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर ने किया है।
कंपनी के दो कर्मचारी पार्ट टाइम जॉब दिलाने व इन्वेस्टमेंट कराने के नाम पर व्हाट्सएप/टेलीग्राम के माध्यम से ठगी करने वाले इंडोनेशियन व चाइनीज ठगों को वर्चुअल नंबर उपलब्ध कराते थे।
पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी पहचान उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के टटीरी गांव के रहने वाले नीरज वालिया एवं हेमंत शर्मा के रूप में की गई। उनके कब्जे से ठगी की वारदात को अंजाम देने में प्रयोग किए गए दो मोबाइल भी बरामद किए गए हैं।
हर महीने मिल रहे थे करीब 8 से 10 लाख रुपये
आरोपित नीरज के पास कंपनी में साइट वेरिफिकेशन की जिम्मेदारी है। हेमंत कंपनी में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत है। हेमंत के पास साइट वेरिफिकेशन करने वाली टीम पर नजर रखने की जिम्मेदारी है। कंपनी को नंबरों की एवज में हर महीने लगभग 8 से 10 लाख रुपये बिल के रूप में प्राप्त होते थे।
कुछ दिन पहले साइबर थाना (पूर्व) में दी अपनी शिकायत में एक व्यक्ति ने बताया था कि उसके पास गुरुग्राम के लैंडलाइन नंबर से कॉल प्राप्त हुई थी। उसे पार्ट टाइम जॉब का ऑफर दिया गया था। उसे अलग-अलग होटल के रिव्यू डालने थे। एक टास्क को पूरा करते ही उसके बैंक खाते में 200 रुपये ट्रांसफर कर दिए गए थे।
उसके बाद उसे टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ दिया गया था। फिर उसे टास्क देते हुए दो-तीन बार छोटे-छोटे अमाउंट खाता में ट्रांसफर किए गए। इसके बाद उससे टास्क के लिए इन्वेस्टमेंट करने के नाम पर अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांसफर कराए गए।
जब उसने पैसे निकालने की बात की तो और ज्यादा पैसों की मांग की गई। पैसे नहीं देने पर ग्रुप से बाहर कर दिया गया था। मामले की छानबीन में साइबर क्राइम पुलिस के साथ ही इंडियन साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर ने संयुक्त रूप से शुरू की।
छानबीन के दौरान पता चला कि ठगों को वर्चुअल नंबर एक टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारी उपलब्ध करा रहे हैं। इसके बाद पहचान शुरू की गई। पहचान करने के बाद दोनों से पूछताछ की गई। पूछताछ में आरोप सही मिलने पर दोनों को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया गया था।
नियमों की अवहेलना करके नंबर किया गया जारी
आरोपितों से पूछताछ में सामने आया कि वारदात में प्रयोग किए गए लैंडलाइन नंबर/डीआईडी नंबर एकमदर्श सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के नाम जारी किया गया था। जब मौके पर पता किया गया तो कंपनी थी ही नहीं। इस तरह आरोपितों ने टीआरएआई के नियमों की अवहेलना करके उपरोक्त कंपनी के नाम लैंडलाइन नंबर जारी किया गया।
आरोपितों ने स्वीकार किया है कि फर्जी पता पर रजिस्टर्ड कंपनी के ऑपरेशनल मैनेजर के साथ मिलीभगत करके उपरोक्त लैंडलाइन नंबर/डीआईडी नंबर के अलावा और भी काफी नंबर एक इंडोनेशियन व्यक्ति को उपलब्ध कराए थे। उनको एसआइपी ओवर एडब्ल्यूएस नंबर/डीआईडी नंबर, को-सीपी नंबर्स, क्लाउड बेस्ड सर्विसेज के कनेक्शन भी उपलब्ध कराए थे।
पुलिस ने दी ये जानकारी
सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर क्राइम) प्रियांशु दीवान ने बताया कि आरोपितों द्वारा आपस में बनाए गए एक व्हाट्सएप ग्रुप में और भी काफी कंपनियों के लिए क्लाउड बेस्ड सर्विसेज के कनेक्शन जारी करने के साक्ष्य मिले हैं।
प्रारंभिक पूछताछ में ही 500 से अधिक नंबर जारी करने के साक्ष्य मिल चुके हैं। ठगों के बारे में पता करने के लिए आरोपितों को शुक्रवार अदालत में पेश कर एक दिन के लिए रिमांड पर लिया गया है। पूछताछ से यह भी पता चल सकता है कि टेलीकॉम कंपनी के और कर्मचारी तो मामले में शामिल नहीं।
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