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    गुरुग्राम के डाॅक्टरों ने सफलतापूर्वक किया लिवर ट्रांसप्लांट और साथ में बदले दो हार्ट वाॅल्व, पहली बार एक साथ कीं दोनों सर्जरी

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 05:13 PM (IST)

    साइबर सिटी गुरुग्राम में डॉक्टरों ने किर्गिस्तान की एक 55 वर्षीय महिला का सफल लीवर ट्रांसप्लांट और दो हार्ट वाल्व की सर्जरी करके इतिहास रचा। महिला ऑटोइम्यून लीवर रोग और गंभीर हार्ट वाल्व की बीमारी से जूझ रही थी। 20 विशेषज्ञों की टीम ने 16 घंटे तक चली सर्जरी में भाग लिया। अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है।जटिल सर्जरी ने चिकित्सा जगत में नई मिसाल कायम की है।

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    साइबर सिटी में लिवर ट्रांसप्लांट के साथ दो हार्ट वाॅल्व की सफल सर्जरी से दी नई जिंदगी।

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। मेडिकल डब के रूप में देश-दुनिया में नई पहचान बना रहे साइबर सिटी में चिकित्सकों ने पहली बार लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट के साथ दो हार्ट वाॅल्व की सफल सर्जरी करके नया कीर्तिमान बनाया है।

    यह जटिल सर्जरी किर्गिस्तान की 55 साल की महिला की हुई। महिला एंड-स्टेज ऑटोइम्यून लिवर रोग और गंभीर हार्ट वाल्व की बीमारी से जूझ रही थी। उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है और अब पूरी तरह स्वस्थ है।

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    किर्गिस्तान की 55 वर्षीय अनारा एम पिछले कई सालों से ऑटोइम्यून लिवर डिजीज और हार्ट वाॅल्व की बीमारी का इलाज चल रहा था। जब उनकी हालत तेजी से बिगड़ने लगी, तो वह बीती 25 फरवरी को एडवांस्ड केयर के लिए पारस हेल्थ आईं।

    जांच में सामने आया कि उन्हें सिर्फ लिवर ट्रांसप्लांट ही नहीं, बल्कि उनके दोनों हार्ट वाॅल्व (माइट्रल और ट्राइकसपिड) की सर्जरी भी करनी होगी। 

    मरीज के 23 वर्ष के भतीजे ने डोनेट किया लिवर

    अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट एंड जीआई सर्जरी डायरेक्टर डाॅ. वैभव कुमार ने बताया कि पहली बार है कि किसी लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट के साथ माइट्रल और ट्राइकसपिड हार्ट वाॅल्व की सर्जरी एक समय में की गई हो।

    डबल वाॅल्व रिपेयर एक ही सर्जरी में करना इस केस को और ज्यादा जटिल और जोखिम भरा बना देता है। आधुनिक लिवर ट्रांसप्लांट और कार्डियक सर्जरी में एक नई मिसाल है।

    मरीज के 23 साल के भतीजे ने लीवर दान किया। सर्जरी के बाद मरीज अनारा को आठ दिन तक आइसीयू में और फिर सात दिन हास्पिटल में चिकित्सीय निगरानी में रखा गया।

    15वें दिन उन्हें छुट्टी दे दी गई। करीब छह हफ्तों बाद वह वह किर्गिस्तान लौट गईं। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।

    हृदय को स्थिर किए बगैर लीवर ट्रांसप्लांट नहीं होता संभव

    कार्डिएक सर्जरी के वाइस चेयरमैन डाॅ. संजय कुमार ने बताया कि मरीज के दोनों हार्ट वाॅल्व गंभीर रूप से खराब थे। जब तक हृदय को स्थिर नहीं किया जाता, तब तक लिवर ट्रांसप्लांट संभव नहीं हो सकता था।

    हमने माइट्रल वाल्व को बदलने और ट्राइकसपिड वाॅल्व की सर्जरी सफलतापूर्वक की, जिससे ट्रांसप्लांट टीम आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकी। इसके बाद लीवर ट्रांसप्लांट किया गया।

    20 विशेषज्ञों की टीम, 16 घंटे चली जटिल सर्जरी

    सबसे पहले 4 घंटे की हार्ट सर्जरी की गई, जिसमें मरीज के खराब हार्ट वॉल्व की मरम्मत की गई। इसके बाद मरीज को थोड़ी देर के लिए होश में लाया गया।

    ताकि यह देखा जा सके कि उनका हार्ट सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं, क्योंकि अगली स्टेज यानी लीवर ट्रांसप्लांट के लिए हार्ट का स्थिर रहना जरूरी था।

    इसके तुरंत बाद 12 घंटे लंबा लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। पूरी सर्जरी करीब 16 घंटे चली। इस जटिल आपरेशन में 20 विशेषज्ञों की संयुक्त टीम शामिल थी। टीम में सर्जन, एनेस्थेटिस्ट, टेक्नीशियन और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ शामिल रहे।

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