Heart Attack: विदेश की तुलना में भारतीय युवाओं में बढ़ रहा है हृदय रोग का खतरा, जानें बचाव के उपाय
Heart Disease हृदय रोग अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही। युवाओं में भी यह तेजी से बढ़ रही है। इसकी वजह जेनेटिक बदलाव शुगर नशा और गलत लाइफस्टाइल है। युवाओं में एंजाइना पेन अनियमित धड़कन वाल्व में खराबी और हार्ट अटैक के मरीज बढ़ रहे हैं। इस खबर के माध्यम से पढ़िए आखिर इससे कैसे बचा जा सकता है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। इस गलतफहमी में न रहें कि रोग बुढ़ापे में आते हैं और जवानी तो खुलकर जीने के लिए है। जिनके परिवार में शुगर और हार्ट की बीमारी है वो 25 साल में और हर युवा 30 साल की उम्र में शुगर, कोलेस्ट्राल और हार्ट की जांच करवा लें।
जेनेटिक बदलावों और शुगर की वजह से विदेश की तुलना में भारतीयों में हृदय रोग का दोगुना खतरा है। इसके मुख्य युवाओं में बढ़ती विभिन्न प्रकार के नशे की लत भी है।
लाइफस्टाइल में बदलाव तनाव और हाई कोलेस्ट्राल युक्त खानपान से दिल की धड़कन बिगड़ रही है। युवाओं का भी दिल भी दगा देने लगा है। एंजाइना पेन, अनियमित धड़कन, वाल्व में खराबी और हार्ट अटैक के मरीज बढ़े हैं।
मेदांता अस्पताल के सीएमडी व प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डा. नरेश त्रेहन बताते हैं कि अभी तक कि स्टडी में यह सामने आया है कि 26 प्रतिशत जनसंख्या को पता ही नहीं हैं कि वह हाई ब्लड प्रेशर की शिकार है। हाई ब्लड प्रेशर भी हार्ट अटैक का एक कारण है।
बीपी बढ़ता है तो हार्ट को ब्लड पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे हार्ट की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ जाता है। इससे धमनियों में दरारें पड़ सकती हैं और रक्त वाहिकाएं सिकुड़ सकती हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
अचानक हार्ट अटैक से मृत्यु का यह भी है कारण
विशेषज्ञों के अनुसार ठंड के कारण नसें सिकुड़ जाती हैं। इस कारण ब्लड प्रेशर और हृदय रेट दोनों बढ़ता है। ऐसे में यदि किसी को हृदय में अंडरलाइन ब्लाकेज है। तो ऐसी स्थिति में अचानक हार्ट अटैक होता है। मनुष्य पहले से हार्ट डिजीज का शिकार होता है।
ऐसे में ठंड के कारण या तनाव के कारण प्रोस्टेट हो जाता है। इसके अलावा कुछ मनुष्य में प्रो स्पोंटेनियस रप्चर भी होता है। इसमें पहले से ब्लाकेज थे लेकिन, वह इतने क्रिटिकल नहीं थे कि हृदय में दर्द हो। यदि उनका कवर अचानक फट जाए और क्लाट बन जाए तो हार्ट अटैक जाने पर मनुष्य की मृत्यु हो जाती है।
शुगर के मरीजों को नहीं मिलती वार्निंग
हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि शुगर के मरीजों में हार्ट डिजीज का खतरा रहता है। इन मरीजों को छाती में दर्द की दर्द की वार्निंग नहीं मिलती है। क्योंकि डायबिटीज में हार्ट की लंग्स डैमेज हो जाती हैं।
इस कारण उन्हें दर्द का पता नहीं चलता है। विदेश में जहां चार से पांच प्रतिशत लोगों में हृदय रोग होता है। तो वहीं भारत में यह आंकड़ा 10 से 12 प्रतिशत है।
हार्ट अटैक के इन लक्षणों को न करें अनदेखा
- अचानक सीने पर दबाव पड़ना और दर्द होना
- थकान और घबराहट होना
- सांस लेने में परेशानी होना
- ज्यादा पसीना और चक्कर आना, पैर में सूजन रहना
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