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    बुजुर्ग को सांस नली के दुर्लभ ट्यूमर से मिली मुक्ति, दुनिया भर में आते हैं सिर्फ 0.01 से 0.4 फीसद ही ऐसे केस

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 04:27 PM (IST)

    गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में 83 वर्षीय बुजुर्ग के सांस नली से दुर्लभ ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाला गया। ट्यूमर सांस की नली के आधे से ज्यादा हिस्से को ब्लॉक कर रहा था जिससे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। एडवांस ब्रॉन्कोस्कोपी तकनीक से बिना सर्जरी ट्यूमर निकाला गया। मरीज हृदय रोग से भी पीड़ित थे जिससे ऑपरेशन मुश्किल था। अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ हैं।

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    सांस नली का दुर्लभ ट्रेकिआ ट्यूमर निकाल 83 वर्षीय बुजुर्ग को दिया नया जीवन।

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। साइबर सिटी के प्रतिष्ठित मेदांता अस्पताल में ट्रेकिआ में एक दुर्लभ प्लेमार्फिक एडेनोमा (सैलिवरी ग्लैंड टाइप का नान-कैंसरस ट्यूमर) से पीड़ित 83 वर्षीय बुजुर्ग का सफल इलाज किया।

    यह बीमारी ट्रेकिआ में बहुत ही कम पाई जाती है। दुनिया भर में ऐसे केस सिर्फ 0.01–0.4 फीसदी ही सामने आते हैं।

    एसोसिएट डायरेक्टर डाॅ. आशीष कुमार प्रकाश ने बताया कि यह ट्यूमर सांस की नली का आधे से ज्यादा हिस्सा ब्लाक कर रहा था, जिससे बुजुर्ग मरीज को सांस लेना मुश्किल हो गया था। इसे एडवांस ब्रान्कोस्कोपी तकनीक (स्नेरिंग और क्रायो-एक्सट्रैक्शन) से हटाया गया।

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    इस प्रक्रिया से बिना चेस्ट खोले और जनरल एनेस्थीसिया दिए ट्यूमर को निकालकर श्वांस नली को पूरी तरह खोल दिया।

    उन्होंने आगे बताया कि ब्राॅन्कोस्कोपी में तकनीक की मदद से बेहद गंभीर मरीजों का भी इलाज बड़े ऑपरेशन के बिना कर सकते हैं। सही योजना, टीमवर्क और मरीज-केंद्रित देखभाल के साथ हम उनका एयरवे और जीवन की गुणवत्ता सुरक्षित तरीके से बहाल कर पाए। मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है।

    एक महीने से बढ़ गई थी समस्या

    डाॅ. आशीष कुमार ने बताया कि कई अस्पतालों ने उम्र, दिल की बीमारी और खून पतला करने वाली दवाओं की वजह से इसे (आपरेशन न हो सकने वाला केस) मान लिया था।

    मरीज को एक महीने से लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ और सीटी जैसी आवाज स्ट्राइडर की शिकायत थी। बुजुर्ग मरीज धूम्रपान नहीं करते थे, लेकिन उन्हें रूमैटिक हार्ट डिजीज, सीवियर माइट्रल रिगर्जिटेशन और एट्रियल फिब्रिलेशन से पीड़ित थे।

    वो खून पतला करने की दवा ले रहे थे, जिसकी वजह से जनरल एनेस्थीसिया और ओपन सर्जरी का रिस्क ज्यादा था।

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