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    गुरुग्राम के Pet Dogs ने बंदर और बिल्लियों को पछाड़ा... Dog Owners की लापरवाही को माना जा रहा कारण

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 07:10 PM (IST)

    गुरुग्राम में पालतू कुत्तों के काटने के मामले बढ़ रहे हैं जो बंदरों के मामलों से दोगुना हैं। पिछले पांच महीनों में 404 मामले दर्ज हुए हैं जबकि बंदरों के 152 मामले सामने आए। पशु चिकित्सकों के अनुसार डर और असुरक्षा पालतू कुत्तों में आक्रामकता का कारण हो सकते हैं। बिल्लियों के काटने के मामले भी बढ़ रहे हैं जिससे 125 लोग प्रभावित हुए हैं।

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    जख्म देने में प्यारे पालतू कुत्ते भी नहीं पीछे, बंदरों को पछाड़ा।

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं इतनी बढ़ीं कि सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा, लेकिन आवारा ही नहीं, इंसानों को काट खाने में पालतू कुत्ते भी पीछे नहीं हैं। आक्रामकता में पालतू कुत्तों ने बंदर और बिल्लियों को पीछे छोड़ रखा है।

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    साइबर सिटी में पिछले पांच माह के आंकड़े देखें तो पालतू कुत्तों के काटने के 404 मामले सामने आए। यह बंदर के काटने के मामलों से लगभग दोगुना से ज्यादा हैं। बंदरों के काटने के 152 मामले दर्ज हुए हैं। वहीं, बिल्ली के काटने के 125 मामले दर्ज किए गए हैं।

    पशु चिकित्सकों की मानें तो बंदरों में आक्रामकता अधिक आम है, क्योंकि वे अक्सर भोजन, आश्रय और सुरक्षा के लिए संघर्ष करते हैं, जिससे वे अधिक सतर्क और संभावित रूप से आक्रामक हो जाते हैं।

    यही बात आवारा कुत्तों के बारे में भी है, लेकिन पालतू कुत्तों की आक्रामकता चिंता की बात है। इनमें कुछ विशिष्ट हालात जैसे डर, सुरक्षा, बीमारी या दर्द आदि कारण हो सकते हैं। आम तौर पर पालतू कुत्ते की नियमित देखभाल के कारण आक्रामक नहीं होते हैं।

    साइबर सिटी में आवारा जानवरों की समस्या बढ़ी है। इनमें आवारा कुत्तों की परेशानी ज्यादा है और बच्चों से लेकर बड़े लोगों तक को शिकार बना रहे हैं। बीते पांच महीनों में आवारा कुत्तों के काटने की 2165 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि इस बार पालतू कुत्तों के काटने की घटनाओं में भी वृद्धि दर्ज की गई है।

    नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल मिनिस्ट्री आफ हेल्थ और फैमिली वेलफेयर के आंकड़ों की मानें तो पालतू कुत्ते व बिल्ली भी इंसानों को जख्म देने में पीछे नहीं हैं। बीते वर्ष की तुलना में इस बार सिर्फ पांच महीनों में ही पालतू कुत्तों के काटने के दोगुना मामले सामने आ चुके हैं।

    एक जनवरी से 31 मई 2025 तक जिले के सरकारी अस्पतालों में पालतू कुत्तों के काटने के 404 लोग जख्मी हुए जबकि वर्ष 2024 में जनवरी से दिसंबर तक कुल 218 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं, वर्ष 2024 में बंदरों के काटने के 180 मामले सामने आए थे। इस वर्ष पांच महीने में ही 152 लोग बंदरों का शिकार हो चुके हैं।

    बिल्लियों की नाराजगी से 125 लोगों को किया परेशान

    शहरी क्षेत्रों में बिल्ली पालने का चलन तेजी से बढ़ा है लेकिन इन प्यारी बिल्लियों का पंजा मारने और काटने का स्वभाव लोगों को उपचार के लिए अस्पताल पहुंच रहा है। जिले में पांच माह में कुल 125 लोगों को बिल्लियों ने जख्म दिए हैं। बीते वर्ष यह संख्या 106 थी। जबकि इस वर्ष अन्य जानवर, पक्षी व जीवों से जख्मी होकर 264 लोग उपचार कराने के लिए जिले के सरकारी अस्पतालों में पहुंचे हैं।

    पशुओं के काटने के मामलों पर डालिए नजर

    वर्ष आवारा कुत्ते पालतू कुत्ते बिल्ली बंदर अन्य
    2021 1232 175 56 111 55
    2022 1342 290 202 64 65
    2023 4685 198 114 341 321
    2024 4529 218 106 180 170
    2025 2165 404 125 152 264
    नोट: वर्ष 2025 के आंकड़े एक जनवरी से 31 मई तक के हैं।

    आवारा हो या पालतू कुत्ता, काटना उनका स्वभाव है। लोग पालतू कुत्तों का मैनेजमेंट ठीक तरह से नहीं कर पाते हैं। नियमित चिकित्सीय जांच, वैक्सीनेशन, प्रशिक्षण समेत अन्य देखभाल में लापरवाही जैसे कुछ विशिष्ट कारणों से पालतू कुत्तों व बिल्ली में आक्रामकता बढ़ती है। लोग पालतू कुत्तों का मैनेजमेंट ठीक तरह से करेंगे तो इनकी आक्रामक घट जाएगी।

    -डाॅ. एसपी गौतम, जनरल सेक्रेटरी, एनीमल वेलफेयर सोसायटी डाॅक्टर फोमर, गुरुग्राम

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