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    Suicide Cases: इन 2 वजहों से ज्यादातर लोग करते हैं आत्महत्या, पढ़िये- इससे बचने के उपाय

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Thu, 03 Sep 2020 07:38 PM (IST)

    Suicide Cases जांच से सामने आया है कि आत्महत्या के ज्यादातर मामलों के पीछे दो ही मुख्य कारण हैं। पहला कारण आर्थिक परेशानी व दूसरा कारण एक-दूसरे के ऊपर अविश्वास।

    Suicide Cases: इन 2 वजहों से ज्यादातर लोग करते हैं आत्महत्या, पढ़िये- इससे बचने के उपाय

    गुरुग्राम [आदित्य राज]। Suicide Cases: नारनौल में एक पिता द्वारा अपने तीन मासूम बच्चों के साथ पत्नी की हत्या कर देने जैसी वारदात साइबर सिटी में भी कई बार सामने आ चुकी है। इससे पहले पिछले साल सन फार्मा कंपनी में रिसर्च साइंटिस्ट सहित कई पदों पर कार्यरत रहे डॉ. श्रीप्रकाश सिंह ने पिछले साल 30 जून की रात पत्नी डॉ. सोनू सिंह, बेटी अदिति एवं बेटे आदित्य की चाकू व हथौड़े से हत्या करने के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इससे पहले राजेंद्रा पार्क इलाके में रहने वाले धर्मेंद्र ने अपने तीन मासूम बच्चों की हत्या कर दी थी। वह अपनी पत्नी के चरित्र के ऊपर शक करता था। जांच से सामने आया है कि सभी मामलों के पीछे दो ही मुख्य कारण हैं। पहला कारण आर्थिक परेशानी व दूसरा कारण एक-दूसरे के ऊपर अविश्वास।

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    मूल रूप से उत्तरप्रदेश के बनारस जिले के गांव रघुनाथपुरा निवासी डॉ. श्रीप्रकाश सिंह सेक्टर-49 की उप्पल साउथएंड सोसायटी में 10 साल से रह रहे थे। इलाके में उनके परिवार की अच्छी पहचान थी। उनकी पत्नी सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं। पिछले साल 30 जून की रात उन्होंने एक सुसाइड नोट लिखा था। उसमें आर्थिक रूप से परेशान होने का जिक्र किया था। नोट लिखने के बाद न केवल अपने परिवार के सभी सदस्यों काे मार डाला था बल्कि अपनी जिंदगी भी समाप्त कर ली थी। आज भी लोगों को विश्वास नहीं होता है कि डॉ. श्रीप्रकाश सिंह आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। इस मामले से साफ है कि जो लोग आत्महत्या करते हैं वे अंदर ही अंदर टूटे हुए होते हैं।

    हर महीने 40 से 50 आत्महत्या के मामले

    पोस्टमार्टम हाउस के आंकड़े के मुताबिक जिले में हर महीने 40 से 50 आत्महत्या के मामले सामने आते हैं। पत्नी से परेशान होकर, पति से परेशान होकर, परिवार वालों से परेशान होकर, नौकरी जाने से परेशान होकर तो कर्ज में डूबे होने की वजह से आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे हैं। पिछले सप्ताह ही पांच लोगों ने आत्महत्या कर ली। उनमें 19 वर्ष का युवक भी शामिल था। इसी मंगलवार को एक नामी अस्पताल के डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली। बताया जाता है कि पत्नी से नहीं बन रही थी।

    इन कारणों से खत्म हो रहे परिवार

    तनाव व अविश्वास से परिवार खत्म हो रहे हैं। पति चाहता है कि पत्नी नौकरी करे। जब वह नौकरी करेगी तो स्वभाविक है घर में समय कम देगी। इससे दोनों के बीच दूरी बढ़नी शुरू होती है। धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे के चरित्र पर भी शक करना शुरू कर देते हैं। यदि दोनों काम नहीं करते हैं तो आर्थिक संकट सामने आ जाता है क्योंकि कमाई से अधिक लोग खर्च करने लगे हैं। जिन लोगों की नाैकरी चली जाती है, उनके सामने विकराल आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है। दहेज की वजह से भी परिवार के भीतर कलह पैदा होता है।

    प्रो. रेणू सिंह (समाजशास्त्री व सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र, द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय) का कहना है कि दरअसल, संयुक्त परिवार के खत्म होने से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। किसी को कोई समझाने वाला नहीं है। हर कोई व्यस्त है। जो लोग किसी कारण से परेशान हैं वे अंदर ही अंदर घुट रहे हैं। घुटन की स्थिति में लोग आत्महत्या का रास्ता अपना रहे हैं। आवश्यकता है काउंसिलिंग की, माइंड सेट बदलने की। हर व्यक्ति को समझना चाहिए कि आत्महत्या करना या किसी को मारना, समस्या का समाधान नहीं है। ठंडे दिमाग से जब लोग विचार करेंगे तो बेहतर रास्ते सामने नजर आएंगे। जिंदगी अनमोल है, इसे यूं ही खत्म न करें।

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